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4.13 में कैसे मिले खिचड़ी चोखा और दो मौसमी फल
अनुपम कुमारी पटना : सरकारी स्कूलों में पढ़नेवाले बच्चों के मानसिक विकास के साथ-साथ शारीरिक विकास हो सके, इसके लिए विद्यालयों में मिड-डे मील योजना चलायी जा रही है. इसके तहत पहली से पांचवीं कक्षा के बच्चों के लिए प्रति बच्चा 4.13 रुपये और छठी से आठवीं के बच्चों के लिए 6.18 रुपये की राशि […]
अनुपम कुमारी
पटना : सरकारी स्कूलों में पढ़नेवाले बच्चों के मानसिक विकास के साथ-साथ शारीरिक विकास हो सके, इसके लिए विद्यालयों में मिड-डे मील योजना चलायी जा रही है. इसके तहत पहली से पांचवीं कक्षा के बच्चों के लिए प्रति बच्चा 4.13 रुपये और छठी से आठवीं के बच्चों के लिए 6.18 रुपये की राशि से भोजन करवाया जाता है.
सप्ताह में दो दिन खिचड़ी और चार दिनों तक दाल-चावल और हरी सब्जी दी जाती है. लेकिन, सरकार की ओर से अब बच्चों को सप्ताह में दो दिन बुधवार और शनिवार के मेनू में बदलाव किया गया है. इसके तहत बच्चों को अब दो मौसमी फल भी दिये जाने हैं. यानी की अब चार रुपये 13 पैसे में हरी सब्जी युक्त खिचड़ी, चोखा और दो फल भी बच्चों को दिये जायेंगे. यह व्यवस्था अक्तूबर से ही विद्यालयों में लागू कर दी गयी है. लेकिन, विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों का बजट संभले नहीं संभल रहा है कि आखिर 4.13 रुपये में बच्चों को खिचड़ी खिलाया जाये या फिर दो फल.
12 ग्राम दाल में ही खर्च हो जा रहे 1.20 रुपये
पाचंवीं के बच्चों को 12 ग्राम प्रोटीन और आठवीं के बच्चों को 20 ग्राम प्रोटीन मुहैया करानी है. यानी एक बच्चे पर 12 ग्राम दाल दिया जाना है. दाल की कीमत 130 से 140 रुपये तक है.
यदि विद्यालय में थोक मंडी भाव से भी दाल लाते भी हैं, तो 100 रुपये किलो पड़ेगा. ऐसे में एक बच्चे पर 1.20 रुपये की दाल पड़ेगी. इसके अलावे तेल, सब्जी, मसाला और ईंधन की कीमत. इन सब पर करीब ढाई से तीन रुपये खर्च हो जायेंगे. यानी की 4.13 रुपये में बच्चों को खिचड़ी ही खिला दी जाये, तो बड़ी बात है. ऐसे में दो मौसमी फलों को देने के लिए कम-से-कम प्रति बच्चा छह से आठ रुपये दिये जाये, तभी फल संभव हो पायेगा.
शिक्षकों की परेशानी
शिक्षकों की मानें, तो बच्चों को उतने पैसे में ही हरी सब्जी भी खिला पाना मुश्किल है. ऐसे में कभी छोला, चना, तो कभी सोयाबीन का सहारा लेना पड़ता है. महंगाई के दौर में दाल, ईंधन और तेल का खर्च पूरा करना मुश्किल हो रहा है. ऐसे में अब यदि बच्चों को दो केला भी दे दिया जाये, तो 20 रुपये दर्जन केले में छह बच्चे को ही केला मिल पायेगा.
यानी दो फल में तीन रुपये प्रति बच्चे खर्च करने होंगे. लेकिन, यदि 20 रुपये दर्जन केला हर मौसम में मिल जाये, तब ही यह संभव हो पायेगा. अन्य दिनों में मौसमी फल भी महंगे होते हैं. ऐसे में छह रुपये कम-से-कम अतिरिक्त फल के लिए चाहिए.
खुद के पैसे भी लगते हैं
स्कूलों में बच्चों को मिड-डे-मील देना बहुत बड़ी परेशानी है. क्योंकि, इतने पैसे में बच्चों को खाना खिलाने में कई बार अपने पैसे भी लगाने पड़ जाते हैं. ऐसे में अब दो मौसमी फल देने जैसे निर्णय कहीं से सही नहीं है. इसके लिए विभाग को अतिरिक्त पैसे देने की जरूरत है.
शशिभूषण प्रसाद सिंह, प्रधानाध्यापक, राजकीय कन्या मध्य विद्यालय, अदालतगंज
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