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मौर्यालोक कॉम्प्लेक्स. आखिर कहां-कहां बचेंगे लोग चप्पे-चप्पे पर है खतरा

पटना: वर्ष 1983 में बना मौर्यालोक शहर ही नहीं, पूरे सूबे का ऐतिहासिक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स है. लेकिन निर्माण के बाद इसका कभी मेंटेनेंस वर्क नहीं कराया गया. वर्तमान में कॉम्प्लेक्स में पांच ब्लॉक है, जिनमें दर्जन भर जगहों पर छतें जजर्र हैं. ये कभी भी गिर सकती हैं. विद्युत वायरिंग की स्थिति ऐसी कि कभी […]

पटना: वर्ष 1983 में बना मौर्यालोक शहर ही नहीं, पूरे सूबे का ऐतिहासिक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स है. लेकिन निर्माण के बाद इसका कभी मेंटेनेंस वर्क नहीं कराया गया. वर्तमान में कॉम्प्लेक्स में पांच ब्लॉक है, जिनमें दर्जन भर जगहों पर छतें जजर्र हैं. ये कभी भी गिर सकती हैं. विद्युत वायरिंग की स्थिति ऐसी कि कभी शॉट सर्किट से आग लग सकती है. यूं कहें कि यहां के चप्पे-चप्पे में खतरा है.

सभी सीढ़ियां जजर्र : मौर्या लोक परिसर में एसबीआइ, बसंत विहार रेस्टूरेंट, खादी ग्रामोद्योग, काबेरी रेस्टूरेंट, यादें फोटो व एडिडास शो रूम के समीप सीढ़ी बनी हुई है. इनमें एक भी सीढ़ी सही-सलामत नहीं है.

कभी भी बड़ा हादसा : मौर्या लोक परिसर पांच ब्लॉक में बंटा है. इसमें ब्लॉक ए, बी, बी-1, बी-2, सी और डी शामिल है. इसमें बी ब्लॉक में नगर आयुक्त व मेयर की जहां वाहन पार्क होती है, उसी के ऊपर बाउंड्री जजर्र है. इसके साथ ही हुडको दफ्तर के आगे व पीछे बाउंड्री व छत, ए ब्लॉक में ब्लैक बेरी शो रूम के समीप की छत, गिरिजा साड़ी शो रूम के समीप की छत, जी साहिब शो रूम के समीप छत, बी ब्लॉक सेंट्रल बैंक की जाने वाले मार्ग के ऊपर की छत के साथ साथ वायरिंग की स्थिति भी जजर्र है.

नागरिक सुविधाएं नदारद : स्थापना काल में तो यहां पेयजल से लेकर वाहनों की पार्किग तक की सुविधाएं थीं. लेकिन, वर्तमान में यहां सभी सुविधाएं नदारद हैं. परिसर में प्यास लगे या शौचालय जाने की आवश्यकता महसूस हो, तो गा्रहकों के पास बोतल बंद पानी से प्यास बुझाने के के सिवा कोई रास्ता नहीं है. इसमें सबसे ज्यादा परेशानी महिला ग्राहकों को होती है.

मेयर ने लिया जायजा
सोमवार को दुकानदारों के साथ मेयर अफजल इमाम, डिप्टी मेयर रूप नारायण मेहता, स्थायी समिति सदस्य आभा लता व विनोद कुमार ने कल गिरी हुई छत का जायजा लिया. मेयर ने कहा कि सौंदर्यीकरण को लेकर स्थायी समिति छह माह पहले ही प्रस्ताव पारित कर चुकी है, लेकिन निगम प्रशासन काम नहीं करना चाहता है. बुडको को सौंदर्यीकरण की जिम्मेवारी दी गयी है, लेकिन इसमें दो वर्ष लगेंगे. इससे पहले शौचालय व छोटे-छोटे मेंटेनेंस कार्य को पूरा करने की जिम्मेवारी निगम प्रशासन की है.
.. और बैठक स्थगित
निगम स्थायी समिति की बैठक मेयर व नगर आयुक्त कुलदीप नारायण के बीच विवाद के कारण बीच में ही रद्द कर दी गयी. बैठक शुरू होते ही मेयर ने मौर्यालोक में छत गिरने के मामले को लेकर सवाल दागने लगे. इस पर नगर आयुक्त ने भी जवाब देने से पीछे नहीं रहे. आरोप-प्रत्यारोप इतना ज्यादा बढ़ गया कि नगर आयुक्त बीच बैठक से ही चले गये. बाद में मेयर ने बैठक को ही स्थगित कर दिया.

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