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सभी विवि को पांच प्रोजेक्ट का टास्क

यूरोपियन यूनियन व राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद् की वर्कशॉप पटना : राज्य में उच्च शिक्षा को सुदृढ़ करने के लिए यूरोपियन यूनियन भरपूर मदद करेगा. यूरोपियन यूनियन के अधिकारियों ने विश्वविद्यालयों को रिसर्च के लिए राशि उपलब्ध कराने का भरोसा दिलाया है. राज्य सरकार ने सभी विश्वविद्यालयों को टास्क दिया है कि जनवरी 2017 तक […]

यूरोपियन यूनियन व राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद् की वर्कशॉप
पटना : राज्य में उच्च शिक्षा को सुदृढ़ करने के लिए यूरोपियन यूनियन भरपूर मदद करेगा. यूरोपियन यूनियन के अधिकारियों ने विश्वविद्यालयों को रिसर्च के लिए राशि उपलब्ध कराने का भरोसा दिलाया है. राज्य सरकार ने सभी विश्वविद्यालयों को टास्क दिया है कि जनवरी 2017 तक पांच-पांच प्रोजेक्ट लें और रिसर्च कराये. इसमें यूरोपियन संघ के यूरोपियन रीजन एक्सन स्कीम फॉर द मोवेलिटी ऑफ यूनिवर्सिटी स्टूडेंट (इरासमस) रिसर्च में होने वाले खर्च की फंडिंग करेगा. गुरुवार को शिक्षा विभाग और यूरोपियन यूनियन के संग करार हुआ.
इस मौके पर शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी, यूरोपियन यूनियन के मिनिस्टर डॉ. सिसारे ओनेस्तिनी व आद्री के सदस्य सचिव डॉ शैबाल गुप्ता और सभी विवि के कुलपति भी उपस्थित थे. होटल मौर्या में आयोजित वर्कशॉप का उद्घाटन करते हुए शिक्षा मंत्री डॉ. अशोक चौधरी ने कहा कि सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व में उच्च शिक्षा के सुधार में बिहार तेजी से आगे बढ़ रहा है. हम आधारभूत संरचना को सुधार कर आधुनिक स्तर पर लाना चाहते हैं. विश्वविद्यालयों में शोध को बढ़ाना चाहते हैं. आद्री के सदस्य सचिव शैवाल गुप्ता ने कहा कि विश्वविद्यालयों को प्रमोट करना चाहिए. यहां रिसर्च को बढ़ावा देना चाहिए. राइस यूनिवर्सिटी नासा को स्पांसर करता है.
बिहार समेत देश में ऐसे पेंटेट विश्वविद्यालय, जिन्होंने रिसर्च किया है उनकी संख्या बहुत ही कम है. देश में वर्ल्ड क्लास यूनिवर्सिटी की कमी है.
साथ ही बिहार को विश्व स्तर की शिक्षा पर फिर से ले जाना चाहते हैं, लेकिन यह काम अकेले संभव नहीं है. इसलिए उच्च शिक्षा के क्षेत्र में यूरोपियन संघ के साथ समझौता किया गया है.
मानव सभ्यता के विकास के लिए हमें एक-दूसरे के सहयोग से आगे बढ़ना होगा और रुढ़ीवादी मानसिकता से आगे निकलना होगा. डॉ. अशोक चौधरी ने कहा कि यूरोप पिछले पांच दशक से ज्ञान में अग्रणी रहा है, लेकिन बिहार उससे फायदा नहीं ले पाया. अब समय आ गया है कि इरासमस प्रोजेक्ट (यूरोपियन रीजन एक्सन स्कीम फॉर द मोवेलिटी ऑफ यूनिवर्सिटी स्टूडेंट) के साथ आगे बढ़ें. उच्च शिक्षा के गुणवत्ता के लिए हम प्रयासरत हैं. इसमें मदद की दरकार होगी. बिहार की गौरवशाली शिक्षा व्यवस्था को उत्कृष्ट सीमा तक पहुंचाना है. उन्होंने कहा कि यूरोपियन यूनियन का प्रोजेक्ट बाकी राज्यों में चल रहा है. बिहार में भी इससे फायदा उठाया जा सकता है. वित्तीय सहायता मिलने से बिहार की उच्च शिक्षा को बुस्ट मिलेगा.
वर्कशॉप में यूरोपियन यूनियन के मिनिस्टर डा. सिसारे ओनेस्तिनी ने भी अपनी बात रखी. इस मौके पर रूसा के उपाध्यक्ष डा. कामेश्वर झा, शिक्षा सचिव जितेंद्र श्रीवास्तव, शिक्षा विभाग के अपर सचिव के. सेंथिल कुमार समेत सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति, प्रति कुलपति समेत रूसा-उच्च शिक्षा के पदाधिकारी मौजूद थे.
नहीं होता शोध, वर्ल्ड क्लास विवि की है कमी : शैवाल गुप्ता
आद्री के सदस्य सचिव शैवाल गुप्ता ने कहा कि विश्वविद्यालयों को प्रमोट करना चाहिए. यहां रिसर्च को बढ़ावा देना चाहिए. राइस यूनिवर्सिटी नासा को स्पांसर करता है. बिहार समेत देश में ऐसे पेंटेट विश्वविद्यालय, जिन्होंने रिसर्च किया है उनकी संख्या बहुत ही कम है.
देश में वर्ल्ड क्लास यूनिवर्सिटी की कमी है. इसका मूल कारण है कि हम बैकवर्ड लिंकेज (स्कूली शिक्षा) एजुकेशन को नजर अंदाज करते हैं और वहां फोकस नहीं करते हैं. सिर्फ फारवर्ड एजुकेशन (उच्च शिक्षा) पर फोकस करते हैं. जब तक स्कूली शिक्षा पर फोकस नहीं करेंगे, उच्च शिक्षा की बेहतरी नहीं हो सकेगी.
ऑनलाइन कर सकते हैं अपलाइ : संजीव रॉय
यूपोपिय यूनियन के सीनियर हाइयर एजुकेशन एक्सपर्ट संजीव रॉय ने बताया कि कोई भी व्यक्ति जो रिसर्च करना चाहते हैं या ट्रेनिंग लेना चाहते हैं तो वह ऑनलाइन अप्लाई कर सकते हैं.
इसमें शिक्षक, छात्र या फिर कहीं भी कोई कार्यरत हो सकते हैं. यूरोपियन यूनियन आपकी सारी फंडिंग करती है. इसमें किसी के पॉकेट से कोई राशि नहीं लगता है. रिसर्च करने वाले को तीन महीने से एक साल तक प्रशिक्षण दिया जाता है. इसमें सभी सबको के लिए आगे बढ़ने का दरवाजा खुला हुआ है. अगर किसी के पास कोई भी प्रोजेक्ट है तो उस पर यूरोपियन यूनियन फंडिग कर सकता है.

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