कई विभागों की तमाम जरूरी योजनाएं पूरी नहीं हो पा रही हैं. पिछले वित्तीय वर्ष में भी इस समय तक इतनी प्रतिशत राशि ही खर्च हुई थी. वित्तीय वर्ष समाप्त होने तक करीब 93 प्रतिशत रुपये खर्च हो पाये थे. इस बार पिछली वित्तीय वर्ष की तुलना में खर्च की रफ्तार कम रहने की संभावना है. मौजूदा वित्तीय वर्ष में पांच विभाग ऐसे हैं, जिनके खर्च का प्रतिशत शून्य या एक प्रतिशत से भी कम है. इसके अलावा तीन विभाग ऐसे हैं, जिन्होंने 10 फीसदी से भी कम रुपये खर्च किये हैं. बेहतर या 50 फीसदी से ज्यादा रुपये खर्च करने वाले विभागों की संख्या महज आठ है.
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आठ माह बीते, विभागों ने खर्च किये महज 39%
पटना: चालू वित्तीय वर्ष 2016-17 में अभी तक राज्य के योजना आकार के खर्च की स्थिति धीमी बनी हुई है. सभी 41 विभागों के लिए इस बार 71 हजार 500 करोड़ रुपये का योजना आकार तैयार किया गया है, लेकिन आठ महीने बीतने के बाद भी इन विभागों ने महज 39 प्रतिशत यानी करीब 27 […]
पटना: चालू वित्तीय वर्ष 2016-17 में अभी तक राज्य के योजना आकार के खर्च की स्थिति धीमी बनी हुई है. सभी 41 विभागों के लिए इस बार 71 हजार 500 करोड़ रुपये का योजना आकार तैयार किया गया है, लेकिन आठ महीने बीतने के बाद भी इन विभागों ने महज 39 प्रतिशत यानी करीब 27 हजार 495 करोड़ रुपये ही खर्च किये हैं. इससे योजनाओं में रफ्तार नहीं आ रही है.
5 विभागों का खर्च एक फीसदी से कम : पिछड़ा एवं अति पिछड़ा कल्याण (0.03 प्रतिशत), सहकारिता (0.88), खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण (0.20), खनन (0) और उत्पाद एवं मद्य निषेध (0.61)
इसका खर्च 25 फीसदी से कम
कला, संस्कृति एवं युवा (8.39 प्रतिशत), परिवहन (3.95), एससी-एसटी कल्याण (23.03), ग्रामीण विकास (13.86), राजस्व एवं भूमि सुधार (24.14)
50 फीसदी के आसपास या ज्यादा खर्च : शिक्षा (48.64 प्रतिशत), अल्प संख्यक कल्याण (57.65), पीएचइडी (61), योजना एवं विकास (65.66), सड़क निर्माण (72.31), ग्रामीण कार्य (59.74), समाज कल्याण (48.35) और गन्ना उद्योग (66.59). मौजूदा वित्तीय वर्ष में बिहार में चलने वाली केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं और अन्य तरह की योजनाओं के मद में कुल 34 हजार 142 करोड़ रुपये बतौर ग्रांट मिलने हैं. परंतु इसमें अभी तक महज 12 हजार 500 करोड़ रुपये ही प्राप्त हुए हैं.
इससे स्वास्थ्य, शिक्षा, ग्रामीण सड़क, बिजली, पशुपालन, कृषि समेत अन्य कई विभागों में महत्वपूर्ण योजनाएं अधूरी पड़ी हुई हैं. कई योजनाएं ठीक से शुरू तक नहीं हो पायी हैं. हालांकि केंद्रीय पूल से राज्य को मिलने वाले टैक्स शेयर में राशि के आने की स्थिति ठीक है. 14 किस्तों में अब तक नौ किस्तों में 37 हजार करोड़ रुपये आ चुके हैं.
राज्य के टैक्स संग्रह की रफ्तार भी धीमी
राज्य में आंतरिक टैक्स संग्रह की रफ्तार भी धीमी बनी हुई है. इस वित्तीय वर्ष में टैक्स के जरिये 27 हजार 730 करोड़ रुपये के संग्रह का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें महज नौ हजार 565 करोड़ ही अब तक जमा हुए हैं. गैर-टैक्स में 23 हजार 58 करोड़ के राजस्व संग्रह के लक्ष्य में एक हजार नौ करोड़ रुपये ही जमा हुए हैं. नोटबंदी के बाद टैक्स कलेक्शन की रफ्तार धीमी होने की संभावना व्यक्त की जा रही है.
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