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एटीएम खाली, जेब खाली… अब पेट भी खाली
1000 और 500 रुपये के नोट बंद होने के पांचवें दिन रविवार को भी शहर की परेशानी बरकरार रही. लोगों को एटीएम, बैंक और डाकघरों से पर्याप्त राहत नहीं मिल पा रही है. ऐसे में कई लोगों के घरों का राशन अब खत्म होने की कगार पर है. बच्चों को दूध िदलाने के लिए अब […]
1000 और 500 रुपये के नोट बंद होने के पांचवें दिन रविवार को भी शहर की परेशानी बरकरार रही. लोगों को एटीएम, बैंक और डाकघरों से पर्याप्त राहत नहीं मिल पा रही है. ऐसे में कई लोगों के घरों का राशन अब खत्म होने की कगार पर है. बच्चों को दूध िदलाने के लिए अब छुट्टे पैसे भी घरों में नहीं बचे हैं. छात्रों को कोचिंग आने-जाने में परेशानी हो रही है. किसी की दवाईबंद है, तो किसी की शादी की तैयारी रुकी हुई है. इन सबके बीच राजधानी में फुटकर से लेकर थोक व्यापार भी थमा सा गया है.पटना : कालेधन की लड़ाई अब पेट की भूख तक पहुंच चुकी है.
लोगों के घरों का राशन खत्म होने को है, तो कुछ के खत्म हो चुके हैं. घरों में पहले से जो छोटे नोट थे, वे खत्म हो चुके हैं. अब नये नोटों के लिए लोग एटीएम और बैंकों शाखाओं पर जद्दोजहद कर रहे हैं. रविवार को अधिकतर एटीएम मशीनों के आगे लगी लंबी कतारों में महिलाओं की संख्या अधिक दिखी. स्थिति की संजीदगी यह है कि महिलाएं पैसे के लिए 10 किलोमीटर दूर जा रही हैं. राजधानी पढ़ने आये छात्रों के जेब में पैसे हैं, पर वे न सही से खा पा रहे हैं और न ही कोचिंग जा रहे हैं.
लगभग नौ किलोमीटर दूर पैसे
लेने अनिसाबाद पहुंची पटेल नगर की पम्मी सिन्हा कहती हैं कि घर काराशन खत्म हो चला है. महीने की शुरुआत में ही थोक राशन लेती थी. छोटे नोट जो थे वह पिछले चार दिनों में खर्च हो चुके हैं. अब जो बड़े नोट हैं उससे खरीदारी नहीं की जा सकती. बच्चे की ट्यूशन फी तक भरने में परेशानी हो रही है. स्थिति यह हो चुकी है कि दूध खरीदने के लिए खुले पैसे भी नहीं हैं.
पापी पेट समझने को तैयार नहीं:
काम-धंधा छोड़ तीन घंटे से कतार में खड़े बेऊर के रामप्रवेश कहते हैं
कि घर में कुल 10 लोग हैं. कमानेवाला सिर्फ एक. घर का राशन खत्म हो चुका है. मन को समझाया जा सकता है, पर पेट को नहीं. अनिसाबाद एक्सिस बैंक की लाइन में लगे सुजीत त्रिवेदी कहते हैं आदमी अब काम-धंधा छोड़ कर बैंक व एटीएम दौड़ रहे हैं. इसका घर की आमदनी पर भी असर पड़ रहा है.
2000 के नोट से एक लीटर दूध खरीद सकते हैं क्या? : चितकोहरा में रहकर बीडी इवनिंग कॉलेज में पढ़ाई कर रहे साहिल कुमार अपना पर्स निकाल 500 व 1000 के कई नोट दिखाते हैं और कहते हैं, ये नोट बेकार हो चुके हैं. इससे न पेट की भूखमिटेगी और न ही कॉलेज व कोचिंग जाने के लिए ऑटो भाड़े के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. एक निजी कंपनी में काम करनेवाले दिनेश कहते हैं कितनी बड़ी विडंबना है कि मेरे पैसे मेरे ही काम नहीं आ रहे. बैंक और एटीएम में कैश की कमी ने आमलोगों को बेहाल कर दिया है.
क्या 2000 के नये नोट से एक लीटर दूध खरीदा जा सकता है?
धंधा पड़ा मंदा, छोटे दुकानदार परेशान: नोटबंदी का सबसे ज्यादा असर छोटे दुकानदार व असंगठित क्षेत्र के विक्रेताओं पर हुई है. उनकी रोजाना की बिक्री में अप्रत्याशित गिरावट आयी है. मित्रमंडल कॉलोनी रेजिडेंशियल एरिया में किराना की दुकान चालनेवाले लक्ष्मी नारायण सिंह कहते हैं बिक्री करीब-करीब आधी हो गयी है. वहीं, लखीसराय से पलायन कर कमाने पटना आये डोमन महतो कहते हैं कि नोटबंदी के बाद धंधा मंदा हो गया है. पहले हर दिन 3000 तक के केले बेचते थे, आज हजार रुपये की भी बिक्री नहीं रही . शहर के प्रमुख बाजारों का भी हाल बुरा है. कभी देर रात तक गुलजार रहनेवाला बाजार अबशाम ढलते ही सुना पड़ जाता है. दिन में भी दुकानदार ग्राहकों का रास्ता हीदेखते रहते हैं. कुछ खरदार आते तो जरूर हैं, लेकिन खुल्ले पैसे नहीं होने के कारण िसर्फ कीमत जानकार लौट जाते है.
दो दिनों से दवा भी नहीं खा पा रही हूं
मौर्या लोक के स्टेट बैंक में नोट बदलने आयी सरकारी इंजीनियर स्नेहा ने बताया कि नौकरी के कामकाज से तीन दिनों से छुट्टी नहीं मिल पा रही थी, जिसके कारण नोट नहीं बदल पा रही थी. वीकेंड का प्रयोग नोट बदलने के लिए कर रही हूूं. सच है कि पैसे रहते हुए दैनिक जरूरत का सामान नहीं खरीद पा रही हूं. दवा दुकानदार भी 500 रुपये के नोट लेने से मना कर रहे हैं. पिछले दो दिनों से दवा भी नहीं खा पा रही हूं. परेशानी तो है. लेकिन, यह सरकार का फैसला देशहित में है.
घर में नहीं बचा है किराना सामान
अशोक राजपथ स्थित इलाहाबाद बैंक में संबलपुर दियारे से नोट बदलने आयी लगनी देवी ने बताया कि पैसा लेकर दलदली से घूम कर बैंक आयी हूं. किराना दुकानदारों ने पांच सौ रुपये लेने से साफ इनकार कर दिया. घर में किराना सामान नहीं है, जब नोट बदलने बैंक आयी, तो पता चला कि दूसरे के आधारकार्ड पर पैसा नहीं बदला जायेगा. क्या करी बाबू जानकारी न होने से हमर परेशानी बढ़ गइले. दुकानदार उधारो देवे ला तइयार न हई.
निकाह के लिए सामान नहीं खरीद पा रही हूं.बांकीपुर पोस्ट आॅफिस में नोट बदले आयी लगभग साठ वर्षीय शमीमा खातून में बताया कि अगले महीने बेटी की निकाह है. लेकिन, पैसा रहते हुए निकाह के लिए सामान नहीं खरीद पा रही हूं. ऊपर से लड़के वाले अलग. वे लगातार सामान खरीदने का दबाव डाल रहे हैं. मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है. परेशानी पर परेशानी है. अल्लाह पर भरोसा है सब ठीक हो जायेगा.
गांधी मैदान स्थित स्टेट बैंक के मुख्य शाखा में लगभग एक बजे दस साल का बालक लोदीपुर निवासी रीतेश कुमार नोट बदलने के लिये आया. बैंक कर्मचारी ने पहले तो फाॅर्म देने से मना कर दिया. लेकिन, जब कहा कि मेरे पास आधारकार्ड है तो उसे फाॅर्म दिया गया.
रीतेश ने बताया कि पापा काम पर गये हैं. घर में खाने का सामान नहीं है. मम्मी पढ़ी नहीं है. इसलिए वह खुद नोट बदलने आया है. अगर रुपया नहीं बदलेगा, तो शाम में खाना नहीं खा पायेगा. इसका फाॅर्म भरने में वहां तैनात एक पुलिस ने मदद की. उसके बाद वह लाइन में लग गया और नोट बदला. इस दौरान कुछ लोग उसे संदेह की नजर से भी देख रहे थे. लोग पूछते रहे, तुम्हारा ही पैसा है न ?
चार हजार की सीमा भी परेशानी का सबब
नोटबंदी के बाद आरबीआई द्वारा जारी दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि 24 नवंबर तक एक व्यक्ति अपने आईडीप्रूफ को दिखाकर केवल चार हजार रुपये के पुराने नोट का बदलेन नये नोटों या सौ रुपये के नोटों से कर सकता है. एटीएम से एक बार या एक दिन में अधिकतम दो हजार रुपये निकासी की सीमा रखी गई है. प्रभात खबर की टीम से कई लोगों ने शिकायत की कि दो हजार एटीएम निकासी या चार हजार बदलेन की सीमा किसी तरह से उचित नहीं है. इसके कारण उन्हें जरूरी खर्च को पूरा करने में भी कठिनाई हो रही है.
15 दिनों में केवल चार हजार रुपये के बदलने की सीमा बहुत कम है. इसके कारण लोगों को असुविधा हो रही है. यदि रुपये को बदलने की सीमा बढ़ा दी जायेगी तो अलग-अलग आईडीप्रूफ के इस्तेमाल से गलत ढंग से पैसा निकालने के लिये लोगों को विवश नहीं होना पड़ेगा.
असीम आशीष, गर्दनीबाग
हॉस्टल का दस हजार का फीस लगता है. चार हजार रुपये की सीमा के कारण उसे चुकाना मुश्किल हो गया है. एटीएम में भी लंबी लाइन में घंटो खड़े रहना पड़ता है. पैसा बदलेन व निकासी की सीमा बढ़नी चाहिए.
रौशन कुमार, बाजार समिति
पैसे रहते हुए भी डाॅक्टर कर रहे देखने से इनकार
फ्रेजर रोड सेंट्रल बैंक में दरगाह रोड से नोट बदलने आये मो नेहाल ने कहा कि पिछले तीन दिनों से बेटी बीमार है. लेकिन, पैसे रहते हुए भी डाॅक्टर उसे देखने से इनकार कर रहे हैं. उनके कर्मचारियों का कहना है कि सौ-सौ के नोट लेकर आना. इसी कारण यहां नोट बदलने आया हूं. मुसीबत में कोई भी साथ नहीं देता है. यह आज पता चल गया. डाॅक्टर को भगवान का रूप कहा जाता है. लेकिन, आज के डाॅक्टर भगवान नहीं है.
पांच सौ का नोट है, तो नहीं मिलेगा खाना
मुंबई-पटना कुर्ला एक्सप्रेस ट्रेन के एसी थर्ड कोच से पटना आ रहे संजय कुमार रात्रि में पैंट्रीकार का खाना खा लिया. संजय कुमार के साथ कोच में और कई यात्रियों ने पेंट्रीकार का खाना खाया.
खाना खाने के बाद वेंडर पैसे लेने पहुंचा, तो संजय के साथ चार-पांच यात्रियों ने 500 का नोट दिया. बड़ा नोट देखते ही वेंडर पैसा लेने से मना कर दिया. इसके बाद यात्रियों पेंट्रीकार संचालक के पास पहुंचे और हंगामा किया, तो पांच सौ का नोट लिया. अगले सुबह वेंडर उसी यात्रियों को पानी, स्नैक्स और खाना दे रहा था, जिसके पास खुल्ला रुपये थे.
संपूर्ण क्रांति एक्सप्रेस में भी हंगामा
संपूर्ण क्रांति एक्स की पेंट्रीकार में वेंडरों ने कोच में जाकर खाना-पानी बेचना बंद कर दिया है. जिनको खाना या पानी खरीदना होता है, उन्हें खुल्ले पैसे लेकर पैंट्रीकार कोच में जाना पड़ता है. बड़े नोट नहीं लेने पर दो दिन पहले ही स्लीपर क्लास के एस-3 कोच के यात्री अशोक प्रसाद ने जंकशन पहुंच कर काफी हंगामा किया था. मगध, विक्रमशीला, ब्रह्मपुत्र, राजेंद्र नगर-मुंबई आदि ट्रेनों में यह परेशानी हो रही है.
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