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पूंजी तो डूबी ही, सिर पर कर्ज भी चढ़ा, सो अलग

पटना : दानापुर में बन रही सर्वोदय सिटी में अपने सपने का घर पाने के लिए निवेश करने वाले ग्राहक अब उम्मीद खो चुके हैं. समय पर फ्लैट नहीं मिलने से निराश आवेदकों को न्याय के लिए अब कोर्ट ही एकमात्र उम्मीद दिख रही है. लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए पीड़ित 250 ग्राहकों ने […]

पटना : दानापुर में बन रही सर्वोदय सिटी में अपने सपने का घर पाने के लिए निवेश करने वाले ग्राहक अब उम्मीद खो चुके हैं. समय पर फ्लैट नहीं मिलने से निराश आवेदकों को न्याय के लिए अब कोर्ट ही एकमात्र उम्मीद दिख रही है. लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए पीड़ित 250 ग्राहकों ने समूह बनाया है. हाल ही में से इनमें से करीब 50 लोगों ने सामूहिक बैठक कर आगे की रणनीति तय की. तमाम लोगों ने अब इसी बैनर के तले अपनी लड़ाई लड़ने का निर्णय किया है.

हर महीने बड़ी राशि दे रहे इएमआइ के रूप में: सर्वोदय सिटी में निवेश करने वाले अधिकांश लोगों की जमा पूंजी डूब गयी है. इन लोगों ने प्रोजेक्ट में बुकिंग कराने के लिए बैंकों से लंबी अवधि का कर्ज लिया था. कर्ज के एवज में उनको हर महीने एक बड़ी राशि इएमआइ (इजी मंथ इंस्टॉलमेंट) के तौर पर बैंक को चुकानी पड़ती है. कई लोग किराये के मकान में भी रहते हैं, इसलिए उनको हर महीने एक तय किराया भी अदा करना होता है. ग्राहकों ने उम्मीद लगायी थी कि फ्लैट मिलने पर कम से कम उनको किराया नहीं भरना पड़ेगा. लेकिन, समय पर फ्लैट नहीं मिलने से उनको बैंक की इएमआइ के साथ मकान का किराया भी अदा करना पड़ रहा है. उनकी पूंजी तो डूबी ही पूरा घरेलू बजट भी गड़बड़ा गया है.

डीएम से भी लगायेंगे गुहार : सर्वोदय सिटी फ्लैट बुकिंग एसोसिएशन के लोगों ने न्याय के लिए डीएम से भी गुहार लगाने का फैसला किया है. कई लोग रियल इस्टेट के नये प्रावधानों का अध्ययन कर रहे हैं ताकि आगे की कानूनी लड़ाई लड़ी जा सके.

सर्वोदय मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने सर्वोदय सिटी के नाम से वर्ष 2011 में दानापुर में प्रोजेक्ट लांच किया. प्रोजेक्ट के तहत 16-16 तल्ले के सात टावर बनाये जाने थे. इस प्रोजेक्ट के लिए वर्ष 2013 में करीब 250 लोगों ने एग्रीमेंट कराया. इनमें से अधिकांश लोगों ने बिल्डर को 50 फीसदी से लेकर 100 फीसदी तक पैसा जमा कराया, लेकिन तय समय (जनवरी 2016) तक फ्लैट हैंडओवर नहीं किया गया. कई टावर का निर्माण कार्य तक शुरू नहीं हुआ है.

डी ब्लॉक के फ्लैट नंबर बी/402 के लिए बुकिंग करायी थी. मई, 2011 में ही एक लाख रुपये का पहला चेक दिया. उसके बाद 10 लाख रुपये दिये गये. इसके लिए एलआइसी एचएफएल व एलआइसी कॉपरेटिव से लोन लिया. इसके एवज में 21 हजार रुपये की मंथली इंस्टॉलमेंट देनी होती है. मैंने इस उम्मीद में फ्लैट बुक कराया कि मासिक किराये से छूट मिलेगी. लेकिन, समय पर फ्लैट नहीं मिलने से किराया तो भरना ही पड़ रहा है, लोन की किश्त भी चुकानी पड़ रही है.

प्रवीण कुमार, एलआइसी कर्मी

ए-3 ब्लॉक में फ्लैट बुक कराया. 2013 में लोन लिया. पिछले साल जुलाई से हर महीने करीब 10 हजार रुपये का इएमआइ कट रहा है. उस कॉस्ट में अब नहीं मिलेगा. अगर काम शुरू करता है, तो ठीक , नहीं तो लीगल एक्शन लेंगे.

राजीव लोचन सहाय, एसबीआइ कर्मी

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