पटना: वीरेश रंजन के परिजनों ने बांकीपुर क्लब के सुरक्षा गार्डो पर भी संदेह जाहिर करते हुए उनको पुलिस जांच में राहत दिये जाने पर सवाल उठाया है. मृतक की पुत्री रोहिणी रंजन का कहना है कि 23 जनवरी की सुबह पौने पांच बजे एक गार्ड उनकी मौत की सूचना देने घर आया था. जब उससे पूछ गया कि वह अन्य सदस्यों को फोन किया है तो उसका कहना था कि पिछले एक घंटे से फोन मिला रहा हूं. क्लब के सभी सदस्यों का फोन स्विच ऑफ है, जबकि सदस्यों की संख्या लगभग 2500 है. सूत्रों की माने तो क्लब में जिस एजेंसी के सुरक्षा गार्ड है, वह मंत्री का रिश्तेदार है. मंत्री ने पुलिस को फोन करके गार्डो को छोड़ने का आदेश दिया.
अनदेखी कर रही पुलिस : मौत के उलङो रहस्यों को सुलझाने के लिए पुलिस का पूरा ध्यान केवल पूछताछ तक सीमित होकर रह गया है. पुलिस ना तो सीसीटीवी फुटेज का खंगाल रही है और ना ही कॉल डिटेल की जांच कर रही है. पुलिस ने अभी तक रिसेप्शन सीडी को देखने की भी जहमत नहीं उठायी है.
तीन दिन की दोस्ती या तीस साल : मीना सिंह का कहना है कि उनके पति का आरके ककड़ से मात्र तीन दिन पहले ही मित्रता हुई थी. उसके बाद दोनों तीन दिन में घनिष्ठ बन गये. जबकि, आरके ककड़ का कहना है कि वे दोनों साथ पढ़े हुए हैं. उनकी मित्रता पिछले तीस साल से है.
विवादों से जुड़ा है क्लब का इतिहास : क्लब का विवादों से पुराना रिश्ता है. 2005 में सिविल कोर्ट के वकील संत बाबू कुरसी से अचानक गिर गये थे. अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गयी.
2008 में भी क्लब के एक कर्मचारी की अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो चुकी है. 2011 में क्लब मे वीरेश रंजन की एक अन्य सदस्य से मारपीट हुई थी. 2012 में होली के जश्न में दो सदस्य आपस में उलझ गये थे और एक दूसरे को देख लेने की धमकी दी थी.
डीएसपी व एसएचओ ने लिया जायजा: वीरेश रंजन के हत्या की गुत्थी सुलझाने के लिए बुधवार की दोपहर डीएसपी और एसएचओ राज बिंदु प्रसाद राजेंद्र नगर स्थित वीरेश रंजन के घर पहुंचे. उन्होंने परिजनों से पूछताछ करने के साथ ही हत्या में संदेह के घेरे में आने वाले लोगों के बारे मे जानकारी ली.
हत्या के दिन था रिसेप्शन
22 जनवरी को क्लब में आर के ककड़ नामक बैंक कर्मी के बेटे शशांक का रिसेप्शन था. जिसमें शामिल होने के लिए बैंक कर्मी ने वीरू पर कई बार दबाव डाला था. 21 जनवरी की रात एक बजे और 22 जनवरी की सुबह 6 बजे उक्त बैंक कर्मी ने वीरेश रंजन को फोन करके रिसेप्शन में शामिल होने का आग्रह किया था.
हादसे के बाद एक दर्जन कर्मचारी : क्लब में वीरेश रंजन की मौत के बाद क्लब के एक दर्जन कर्मचारियों ने शहर छोड़ दिया है. क्लब में शर्मा जी के नाम से प्रसिद्ध सुपरवाइजर 23 जनवरी की शाम को ही अपने घर चले गये. जबकि, सचिव महेश अग्रवाल 22 जनवरी को जयपुर चले गये. क्लब के बार में कार्यरत आधा दर्जन कर्मचारी पहले ही अवकाश लेकर शहर छोड़ चुके हैं. इसके साथ ही क्लब से जुड़े पदाधिकारी भी किसी ना किसी बहाने पटना से बाहर हैं.