पटना : जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान में महाश्वेता देवी को याद करते हुए श्रद्धांजलि दी गयी. वक्ताओें ने कहा कि महाश्वेता देवी सत्ता से मुठभेड़ करनेवाली शोषितों एवं वंचितों की प्रख्यात लेखिका थीं. वह अपने पात्रों की भूमि तक
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जगजीवन राम शोध संस्थान में महाश्वेता देवी को दी गयी श्रद्धांजलि
पटना : जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान में महाश्वेता देवी को याद करते हुए श्रद्धांजलि दी गयी. वक्ताओें ने कहा कि महाश्वेता देवी सत्ता से मुठभेड़ करनेवाली शोषितों एवं वंचितों की प्रख्यात लेखिका थीं. वह अपने पात्रों की भूमि तक जानेवाली और एक गतिशील विचारधारा की लेखिका थीं. उन्होंने अपने को आजीवन […]
जानेवाली और एक गतिशील विचारधारा की लेखिका थीं. उन्होंने अपने को आजीवन जन-आंदोलनों से संबद्ध रखा.
वरिष्ठ पत्रकार अरुण श्रीवास्तव ने महाश्वेता देवी के साथ कोलकाता में अपने बिताये क्षणों को याद करते हुए कहा कि वे मूलत: एक कार्यकर्ता थीं और वे रिपोर्टों के आधार पर जमीनी पड़ताल कर कहानियां और उपन्यास लिखती थीं. उन्होंने वर्तिका पत्रिका निकाली जिसमें कृषि-श्रमिकों की जमीनी हकीकत का वर्णन होता था.
साहित्यकार प्रेम कुमार मणि ने
कहा कि महाश्वेता जनता के साथ
संबद्ध थी और उनके साथ एकाकार
हो जाती थीं. उनके निधन से
आदिवासियों और वंचित समाज की आवाज उठाने वाला एक अभिभावक खो गया है. हम
जनता के साथ एकाकार होना सीखें, उनके प्रति यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी. कवि आलोक धन्वा और
प्रभात सरसिज ने भी अपने संस्मरण सुनाये. इस अवसर पर संस्थान के निदेशक श्रीकांत, अजय, शशि भूषण, नीरज, अरुण सिंह, मनोरमा सिंह, सुषमा कुमारी, अजय त्रिवेदी, राकेश, ममीत प्रकाश सहित कई साहित्यकार एवं पत्रकार मौजूद थे.
महाश्वेता देवी के निधन पर राजद महिला प्रकोष्ठ में शोक: राजद महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश प्रवक्ता डॉ उर्मिला कुमारी पाल ने महान लेखिका महाश्वेता देवी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा है
कि महाश्वेता देवी दलित, पिछड़े, नारी आंदोलन की शक्ति थीं. बिहार में सामाजिक आंदोलन की प्रेरणा श्रोत ही नहीं बल्कि पैरोकार भी थीं. उनकी एक किताब ‘‘मास्टर साहब’’ जो बिहार सामाजिक आंदोलन को ऑक्सीजन देती हुई प्रतित होती है. बिहार की डोला प्रथा और बेगारी प्रथा के विरुद्ध चल रहे आंदोलन की प्रेरणा श्रोत थीं महाश्वेता देवी.
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