20.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

न बस नंबर न रूट का पता, अंधेरे में सफर

घोर लापरवाही. आदेश के पांच माह बाद भी स्कूली बसों में नहीं लगा जीपीएस सिस्टम पटना : स्कूल से निकलने के बाद बच्चे जिस बस से घर आते हैं, उसका रूट क्या है. स्कूल से घर आने में बच्चे कहां तक पहुंचे. कहीं जाम में तो नहीं फंस गये हैं, बच्चे जिस बस से आ […]

घोर लापरवाही. आदेश के पांच माह बाद भी स्कूली बसों में नहीं लगा जीपीएस सिस्टम
पटना : स्कूल से निकलने के बाद बच्चे जिस बस से घर आते हैं, उसका रूट क्या है. स्कूल से घर आने में बच्चे कहां तक पहुंचे. कहीं जाम में तो नहीं फंस गये हैं, बच्चे जिस बस से आ रहे हैं, उसका नंबर क्या है, ड्राइवर कौन है. इन तमाम बातों की जानकारी अभिभावकों को हर पल मिले. इसके लिए संबंधित बसों में जीपीएस सिस्टम लगाना जरूरी है. हर प्राइवेट स्कूल को अपनी स्कूली बसों को जीपीएस सिस्टम से लैस करना है. पटना जिलाधिकारी संजय कुमार अग्रवाल ने यह आदेश पटना के तमाम सीबीएसइ और आइसीएसइ के स्कूलों को 11 फरवरी को आयोजित बैठक में दिया था, लेकिन इसके बावजूद स्कूलों ने जीपीएस सिस्टम नहीं लगाया है.
15 दिनों की डेडलाइन, बीत गये पांच माह
जीपीएस सिस्टम लगाने के लिए स्कूलों को 15 दिनों का समय
दिया गया था. डीएम ने स्कूलों को जीपीएस सिस्टम लगा कर उसकी रिपोर्ट देने को कहा था. स्कूलों के साथ हुई बैठक में स्कूलों को जीपीएस सिस्टम लगाने के लिए खर्च के बारे में भी बताया
गया था. कई स्कूल प्रशासन ने डीएम से स्कूल का अपना कंविनियेंस नहीं होने की बात दुहरा कर पल्ला झाड़ लेने की बात कही. लेकिन, इस पर भी स्कूलों को कहा गया था कि बच्चे स्कूल की सवारी में जाएं या प्राइवेट सवारी में, सुरक्षा तो जरूरी है. इस कारण स्कूल की यह जिम्मेवारी है कि जिस बस में उनके छात्र स्कूल जाते हैं, उसमें जीपीएस सिस्टम लगा रहे, जिससे बच्चों की सुरक्षा हो सके.
ताकि अभिभावकों से जुड़ा रहे सिस्टम
जिस भी स्कूली बस में जीपीएस सिस्टम को लगाया जायेगा, उन तमाम बसों को स्कूल से जोड़ा जायेगा. इससे स्कूल को पता चलता रहेगा कि बस कहां और किस रूट में है. वहीं जिस बस में बच्चे होंगे, उनके अभिभावकों को भी जीपीएस सिस्टम के पासवर्ड दिये जायेंगे, जिससे अभिभावक को खुद पता चल सकेगा कि उनके बच्चे की बस कहां पर और उसकी स्थिति क्या है.
भगवान भरोसे सड़क पर बच्चे
पटना के अधिकतर स्कूली बसों में जीपीएस सिस्टम नहीं लगा हुआ है. अभिभावक भले बस स्टॉपेज पर बच्चे को लेने छुट्टी के बाद पहुंच रहे हों, लेकिन उनके बच्चे की
बस कितने बजे आयेगी, इसकी कोई जानकारी अभिभावकों को नहीं होता है. कई बार तो जाम में फंसने के कारण अभिभावकों को घंटे-डेढ़ घंटे तक बसों को स्टॉपेज पर खड़ा रहना पड़ता है. इस बाबत अभिभावक प्रिया मानसी ने बताया कि कई बार स्कूल से पूछना पड़ता है कि बस कितने बजे निकली. फिर स्कूल वाले बस के ड्राइवर का मोबाइल नंबर देते हैं, फिर बात कर पता चलता कि बस कहां पर है और क्यों देरी हो रही है.
जीपीएस सिस्टम नहीं होने से होती हैं ये परेशानियां
बस में निश्चित ड्राइवर नहीं होता हैै, इससे ड्राइवर से काॅन्टेक्ट करना मुश्किल होता है
स्कूल से बस चली, कहां पहुंची, इसकी जानकारी न स्कूल और न ही अभिभावकों को होती है
बस में बच्चों की क्या स्थिति है, यह घंटे दो घंटे तक स्कूलों और अभिभावकों को पता नहीं रहता है
बस कहीं रूक तो नहीं गयी है, कंडक्टर क्या कर रहा है, इसके बारे में भी जानकारी नहीं मिलती है
बस में मौजूद बच्चों के बीच लड़ाई-झगड़े भी होते हैं, इस पर भी कोई लगाम नहीं होता हैकई बार बस की खिड़की के बाहर सिर या हाथ निकाल कर बच्चे शैतानी भी करते हैं, लेकिन इस पर नजर रखने के लिए कोई नहीं होता है और इसकी जानकारी भी अभिभावकों को नहीं मिल पाती है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें