पिछले साल आनन-फानन में पटना-पूर्णिया तथा पूर्णिया-पटना पैक की घोषणा तो कर दी गयी, लेकिन बस के अभाव में सेवा शुरू ही नहीं हो पायी. वहीं पटना-बोधगया तथा बोधगया बस सेवा एक साल पहले तक प्रतिदिन दो बार खुलती थी, लेकिन यह सेवा पिछले दो सालों से बंद हैं. कहने को तो जब पर्यटक आते हैं, तो बस खुलती है. पटना-पावापुरी-ककोलत-पटना में भी है पर्यटकों का टोटा ही है. पर्यटन विकास निगम के महाप्रबंधक राकेश मोहन कहते हैं कि बसों की कोई कमी नहीं है. पटना-बोधगया की बस सेवा पूरी तरह बंद नहीं है. जब पर्याप्त संख्या में पर्यटक आते हैं, तो बस खुलती है. जहां तक प्रश्न है पटना-पूर्णिया का, तो इसे नियमित रूप से संचालन के लिए प्रयास चल रहा है.
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निगम की पांच में से तीन बसें बंद
पटना: पर्यटन निगम द्वारा संचालित पांच नियमित बसों में से तीन बंद हैं. इससे पर्यटकों को निराश हो लौटना पड़ता है. साथ ही घरेलू पर्यटकों को भी बस सेवा के बारे में जानकारी नहीं है. इससे पर्यटकों की संख्या कम होती जा रही है. इससे पर्यटन निगम को प्रति माह लाखों का नुकसान उठाना पड़ […]
पटना: पर्यटन निगम द्वारा संचालित पांच नियमित बसों में से तीन बंद हैं. इससे पर्यटकों को निराश हो लौटना पड़ता है. साथ ही घरेलू पर्यटकों को भी बस सेवा के बारे में जानकारी नहीं है. इससे पर्यटकों की संख्या कम होती जा रही है. इससे पर्यटन निगम को प्रति माह लाखों का नुकसान उठाना पड़ रहा है.
निगम की वेबसाइट पर नियमित बस सेवा के तहत पटना-पूर्णिया, पूर्णिया-पटना, बोधगया-पटना, पटना-बोधगया, पटना-रांची, रांची-पटना, पटना-मुंडेश्वरी तथा मुंडेश्वरी-पटना का संचालन नियमित रूप से किया जा रहा हैं. लेकिन, जब पर्यटक बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम के कार्यालय पहुंचता है, तो उसे बताया जाता है कि अभी केवल पटना-रांची, रांची-पटना, पटना-मुंडेश्वरी तथा मुंडेश्वरी-पटना बस सेवा का ही संचालन हो रहा है.
पर्याप्त संख्या में नहीं हैं बसें
निगम के पास नियमित बस सेवा के लिए मात्र छह वॉल्वो बस जो सेवा के हिसाब से काफी कम हैं. इनमें से दो बसें (पटना- रांची) दुर्घटनाग्रस्त होकर डिपो में एक माह से खड़ी हैं. दुर्घटना में एक खलासी की मौत हो गयी थी. नियमित बस सेवा के लिए कम-से-कम चार वॉल्वो बस की और जरूरत है. परिवहन विभाग के प्रभारी बताते हैं कि कई बार प्रबंध निदेशक को इस संबंध में लिखा गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.
वेटिंग रूम में कुरसियां नहीं : टिकट काउंटर के पास बने वेटिंग रूम में पर्यटकों के बैठने के लिए पर्याप्त कुरसियां तक नहीं हैं. उन्हें सूचना देने के लिए संचार यंत्र भी नहीं है. साफ-सफाई भी नहीं होती.
नहीं आते पर्यटक : पटना-मुंडेश्वरी बस सेवा में हर बार 10-12 सीटें खाली रह जाती हैं. ऐसा ही हाल पटना-पावापुरी-ककोलत-पटना का भी है.
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