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आज संतोषा पर हथौड़ा, 2258 पर फैसला बाकी

अवैध िनर्माण. सुप्रीम कोर्ट की डेडलाइन 10 को हो रही खत्म, आवंटियों ने केस का हवाला देकर लगायी रोक की गुहार पटना : नगर निगम की टीम पूरी तैयारी के साथ शुक्रवार को बंदर बगीचा स्थित संतोषा अपार्टमेंट के अवैध निर्माण को तोड़ने पहुंचेगी. इस मौके पर 18 निगम पदाधिकारियों के साथ जिला प्रशासन और […]

अवैध िनर्माण. सुप्रीम कोर्ट की डेडलाइन 10 को हो रही खत्म, आवंटियों ने केस का हवाला देकर लगायी रोक की गुहार
पटना : नगर निगम की टीम पूरी तैयारी के साथ शुक्रवार को बंदर बगीचा स्थित संतोषा अपार्टमेंट के अवैध निर्माण को तोड़ने पहुंचेगी. इस मौके पर 18 निगम पदाधिकारियों के साथ जिला प्रशासन और बड़ी संख्या में पुलिस बल मौजूद रहेंगे. निगम की टीम सुबह नौ बजे से कार्रवाई शुरू कर देगी.
निगम को हर हाल में शनिवार तक अवैध निर्माण को तोड़ कर अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को दे देनी है. निगम को संतोषा अपार्टमेंट के ऊपरी तीन तल्लों (सात से नौ) के 21 फ्लैटों से साथ सभी तल्लों की बालकोनी तोड़नी है. नगर आयुक्त अभिषेक सिंह के अनुसार निगम के पास अब अपार्टमेंट तोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है.इधर संतोषा अपार्टमेंट के आवंटी रमेश गुप्ता ने बताया कि हमलोगों ने सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर अपना पक्ष रखा है.
निगम ने हमारे आवेदन को स्वीकार कर लिया है. संभावना है कि शुक्रवार या सोमवार को कोर्ट में हमलोगों के केस की सुनवाई हो और कोर्ट हमारा पक्ष सुने. उन्होंने बताया कि हमलोगों ने केस के अपडेट के साथ नगर आयुक्त, प्रमंडलीय आयुक्त और डीएम से तोड़ने की कार्रवाई पर दो-तीन दिनों तक रोक लगाने की मांग की है. फ्लैटधारियों ने कहा, हमें मुआवजा भी नहीं मिला, निगम को अपार्टमेंट में घुसने नहीं देंगे
अपार्टमेंट के फ्लैटधारियों ने कहा कि चार माह पहले सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया था. इसमें छह सप्ताह में आवंटियों को मुआवजा देना था. फिर आवंटियों को चार सप्ताह में फ्लैट खाली करने थे. इसके बाद निगम को तोड़ने की कार्रवाई शुरू करनी थी. लेकिन, हमलोगों को अब तक कोई मुआवजा नहीं मिला. अब जब 10 जुलाई को चार माह का समय खत्म हो रहा है, तो निगम दो दिनों में काम पूरा करना चाहता है. रमेश गुप्ता ने कहा कि जब तक हमलोगों को मुआवजा नहीं मिल जाता और निगम हमारी सुरक्षा की गारंटी नहीं देती, तब तक संतोषा अपार्टमेंट में निगम को कोई व्यक्ति घुस नहीं सकता.
नगर निगम में अभी तक कोर्ट का कोई स्टे का कोई ऑडर नहीं मिला है. निगम ने अपनी तैयारी पूरी कर ली है. अभी तक कोर्ट का कोई नया आदेश नहीं आया है. शुक्रवार को तोड़ने की कार्रवाई की जायेगी.
अभिषेक सिंह, नगर आयुक्त
3175 पर निगरानीवाद महज 917 का निबटारा
पटना (प्रभात रंजन). राजधानी में अपार्टमेंट क्लचर शुरू होते ही बिल्डिंग बाइलॉज के उल्लंघन का खेल शुरू हो गया. इस खेल पर नकेल कसने के लिए निगरानीवाद केस भी दर्ज किया जाने लगा.
हालांकि, अवैध निर्माण का सिलसिला रुका नहीं है. पिछले 14 वर्षों में 3175 अवैध भवनों पर निगरानीवाद के केस दर्ज किये गये, जिनमें से सिर्फ 917 का ही निष्पादन किया गया है. 2258 केस अब भी लंबित हैं. वर्तमान में निगरानीवाद केस की सुनवाई को लेकर नगर आयुक्त के कोर्ट की तिथि निर्धारित होती है, फिर रद्द हो जाती है. इससे केसों की निष्पादन की रफ्तार काफी धीमी हो गयी. अब नये नगर आयुक्त के रूप में अभिषेक कुमार सिंह आये हैं. ऐसे में उन्हें एक-दो माह निगरानीवाद को समझने में लग जायेंगे. स्थिति यह है कि पिछले छह माह में सिर्फ एक निगरानीवाद केस पर नगर आयुक्त का अंतिम फैसला आया है.
वर्ष 2006 में सबसे अधिक हुआ केस दर्ज व निष्पादन
वर्ष 2006 में अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार पटना क्षेत्रीय विकास प्राधिकार (पीआरडीए) के हाथ में था. तब के पीआरडीए चैयरमेन सुजाता चक्रवती ने अवैध निर्माण के खिलाफ मुहिम चलायी और 934 अवैध इमारतों के खिलाफ निरगानीवाद केस दर्ज किया, जिनमें से 356 केसों का निष्पादन हुआ.
वर्ष 2006 में दर्ज किये गये केस व केसों का किया गया निष्पादन अब तक रिकॉर्ड बना हुआ है. हालांकि, हाइकोर्ट के निर्देश पर तत्कालीन नगर आयुक्त कुलदीप नारायण ने वर्ष 2013 व 2014 में अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई करते हुए 310 व 235 केस दर्ज किये, जिनमें 173 केसों का निष्पादन किया. इसके बाद से निगरानीवाद केस की रफ्तार काफी धीमी हो गयी है.
इस साल सिर्फ छह केस दर्ज
वर्ष 2016 के बीते छह माह में छह केस दर्ज किये गये हैं. यह निगरानीवाद केस निगम की ओर से नहीं, बल्कि लोगों की शिकायत पर दर्ज किये गये हैं. इसके साथ ही, नगर आयुक्त ने एक केस में अंतिम फैसला सुनाया है. वहीं, वर्ष 2015 में 333 अवैध भवनों पर निगरानीवाद केस दर्ज किये गये, जिनमें से 41 केसों में नगर आयुक्त का अंतिम फैसला सुनाया गया. नगर आयुक्त ने अपने अधिकतर फैसलों में बिल्डरों पर जुर्माना तय कर अवैध हिस्सा को वैध किया है.
अवैध निर्माण के खिलाफ निगरानीवाद
वर्ष दर्ज केस निष्पादित
2003 252 20
2004 320 36
2005 170 18
2006 934 356
2007 100 71
2008 85 38
2009 56 37
2010 34 01
2011 132 104
2012 211 22
2013 310 06
2014 235 167
2015 333 41
2016(अब तक) 06 01

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