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आठ चीनी मिलों को लीज पर देने की शुरू होगी प्रक्रिया
पटना : राज्य कैबिनेट की बैठक में बंद पड़े आठ चीनी मिलों और डिस्टलरियों को निजी क्षेत्र को सौंपने के लिए पांचवी बार प्रक्रिया शुरू करने के निर्णय को मंजूरी दी गयी. इसके तहत इस बार निवेशकों को चीनी मिल परिसरों में गैर चीनी उद्याेग की भी स्थापना की छूट होगी. सरकार के इस फैसले […]
पटना : राज्य कैबिनेट की बैठक में बंद पड़े आठ चीनी मिलों और डिस्टलरियों को निजी क्षेत्र को सौंपने के लिए पांचवी बार प्रक्रिया शुरू करने के निर्णय को मंजूरी दी गयी. इसके तहत इस बार निवेशकों को चीनी मिल परिसरों में गैर चीनी उद्याेग की भी स्थापना की छूट होगी.
सरकार के इस फैसले से बंद पड़े चीनी मिल परिसर में अब किसी भी प्रकार के उद्योगों के स्थापना का रास्ता साफ हो गया है. इन चीनी मिलों को निजी क्षेत्र को देने के लिए राज्य सरकार ने कोलकाता के एसबीआइ कैप्स को वित्तीय सलाहकार नियुक्त किया है. कैबिनेट सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा ने बताया कि पिछले चार बार की निविदा में भी राज्य के बंद पड़े आठ चीनी मिलों और डिस्टलरी पर कोई निर्णय नहीं लिया जा सका. विकास आयुक्त की अध्यक्षता में गठित उच्चस्तरीय समिति की अनुशंसा में बनमनखी, लोहट, हथुआ (डिस्टलरी सहित), सीवान, न्यू सावन, गोरौल, गुरारू और वारिसलीगंज को निजी क्षेत्र में देने के लिए पांचवी बार एसबीआइ कैप्स के माध्यम से प्रक्रिया पूरी करने का निर्णय लिया गया.
21253.87 करोड़ की उगाही : राज्य सरकार खुले बाजार से 21253.87 करोड़ रुपये की उगाही करेगी. यह ऋण राज्य की सालाना योजना 71501.84 करोड़ में वित्तीय मदद होगा. वित्तीय वर्ष 2016-17 में राज्य सरकार की वार्षिक योजना 71501.84 करोड़ रुपये का है. 15951.36 रुपये बाजार ऋण सहित कुल 20476.60 करोड़ रुपये और उदय स्कीम के तहत नॉन एसएलआर बांड द्वारा 777.17 करोड़ रुपये की उगाही खुले बाजार से करने का निर्णय लिया गया है.
कैबिनेट सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा ने बताया कि प्राकृतिक आपदाओं से निबटने और केंद्र से मिली राशि को समय पर खर्च करने के लिए आकस्मिकता निधि को बढ़ाने का फैसला किया है. फिलहाल आकस्मिकता निधि 350 करोड़ रुपये का है. इसे 30 मार्च 1917 तक के लिए अस्थायी रूप से बढ़ा कर 5787.85 करोड़ रुपये करने का निर्णय लिया गया है. उन्होंने बताया कि आकस्मिकता निधि राज्य सरकार के बजट का चार प्रतिशत तक हो सकता है.
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