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72 लाख की वसूली सुविधा कुछ भी नहीं

पटना: शहर का एकमात्र अंतरराज्यीय मीठापुर बस अड्डा बुनियादी समस्याओं से जूझ रहा है. नगर निगम इस बस स्टैंड से चुंगी शुल्क के रूप में सालाना लगभग 72 लाख रुपये से अधिक की राशि वसूलता है, मगर इसके रखरखाव पर वह एक पैसा भी खर्च नहीं करता है. डेली हजारों यात्री मीठापुर बस स्टैंड से […]

पटना: शहर का एकमात्र अंतरराज्यीय मीठापुर बस अड्डा बुनियादी समस्याओं से जूझ रहा है. नगर निगम इस बस स्टैंड से चुंगी शुल्क के रूप में सालाना लगभग 72 लाख रुपये से अधिक की राशि वसूलता है, मगर इसके रखरखाव पर वह एक पैसा भी खर्च नहीं करता है. डेली हजारों यात्री मीठापुर बस स्टैंड से अपनी यात्र शुरू व समाप्त करते हैं, मगर उन्हें शुद्ध पेयजल, तो दूर, शौचालय व रोड तक की सही सुविधा नहीं मिलती है. स्टैंड परिसर में टूटी सड़कों की वजह से दिन भर धूल उड़ती रहती है. लाइटिंग व्यवस्था की भी कुछ ऐसी ही स्थिति है. गेट नंबर एक व परिसर के भीतर दो हाई मास्ट लाइट लगी हुई है, लेकिन ेये भी कभी जलती हैं, तो कभी नहीं.

बेतरतीब लगती हैं बसें
परिसर में बसों का प्रवेश गेट नंबर एक से होता है, जबकि चालान गेट नंबर दो से कटता है. बसों के आने-जाने की व्यवस्था तो ठीक है, लेकिन परिसर के भीतर किस रूट की बसें, कहां खड़ा होंगी, यह चिह्न्ति नहीं है. इससे चालक बसों को जहां-तहां खड़ा कर यात्रियों को बैठाना शुरू कर देते हैं. इससे यात्रियों को भी अपनी बसों को खोजने में काफी समय लग जाता है. सिर्फ झारखंड जानेवाली बसें व्यवस्थित ढंग से खड़ी रहती हैं. वहीं बिहार के मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, दरभंगा, मधुबनी, मोतिहारी, सीवान, छपरा, रक्सौल, बेतिया, समस्तीपुर, नवादा, नालंदा, गया आदि जगहों के लिए चलनेवाली बसों का कोई स्थान चिह्न्ति नहीं है.

बैठक में चर्चा
पिछले दिनों निगम की स्थायी समिति की बैठक में स्टैंड को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने को ले कर विस्तृत चर्चा हुई. इसमें मेयर अफजल इमाम ने बस स्टैंड की दयनीय स्थिति का मुद्दा उठाते हुए पैसा उपलब्ध कराये जाने की बात कही थी. इस पर नगर आयुक्त ने नगर मुख्य अभियंता को निर्देश दिया कि शीघ्र योजना बनाएं और उसे पूरा करें. इस योजना के तहत स्टैंड परिसर में सड़क, लाइटिंग और शौचालय की व्यवस्था दुरुस्त करनी है. इसकी मंजूरी स्थायी समिति से मिल गयी है.

खुलती हैं 1500 बसें
मीठापुर बस स्टैंड से हर दिन लगभग 1500 बसें खुलती हैं. ये बसें बिहार के विभिन्न जिलों के साथ ही झारखंड के रांची, हजारीबाग, बोकारो और पं बंगाल के सिलीगुड़ी तक आती-जाती हैं. निगम प्रशासन प्रत्येक बस से प्रति खेप के अनुसार चुंगी वसूलता है. इन बसों से प्रतिदिन 18 से 20 हजार रुपये की आय होती है. फिर भी यात्रियों को मूलभूत सुविधाएं तक नहीं दी जाती हैं.

न प्रतीक्षालय है, न शौचालय
परिसर में बसों का इंतजार करने के लिए कोई प्रतीक्षालय नहीं है. यात्रियों को सड़क पर ही खड़े हो कर समय बिताना पड़ता है या लिंक बस पकड़ कर जाना पड़ता है. यही नहीं, स्टैंड परिसर में बना इकलौते शौचालय की भी स्थिति काफी खराब है. कहने को, तो वह डीलक्स शौचालय है, लेकिन मेंटेनेंस के अभाव में काफी गंदा रहता है. कोई भी यात्री उसका उपयोग नहीं करना चाहता.

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