पटना : बिहार की महिलाओं की बात मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को चुभ गयी. सत्ता संभालने के बाद उन्होंने तत्काल शराबबंदी की घोषणा की. प्रथम चरण में 640 विदेशी शराब की दुकानों को शहरी इलाके में खोलने का निर्णय लिया. सरकार के इस फैसले का महिलाओं और आम लोगों ने विरोध शुरू कर दिया. अंत में सरकार को पूरे सूबे में पूर्णतः शराबबंदी की घोषणा करनी पड़ी. गांव, शहर, होटल, रेस्टोरेंट और बार में भी शराब पर प्रतिबंध लगा दिया गया. अब सरकार के सामने चुनौती थी वैसे तत्वों से निबटने की जो सरकार के आदेश की अनदेखी करते हैं. ठीक इसी वक्त महिलाएं सामने आयी हैं. महिलाओं ने सरकार द्वारा स्थापित कंट्रोल रूम को लगातार शराब बनानेवालों और इसे प्रयोग करने वालों के बारे में जानकारी दे रही हैं.
कंट्रोल रूम के संपर्क में महिलाएं
किसी इलाके में शराब का स्टॉक है और कौन शराब पी रहा है. इसकी जानकारी महिलाएं कंट्रोल रूम को दे रही हैं जो विशेषकर शराबबंदी के लिये बनाया गया है. महिलाओं ने सरकार के इस अभियान को सफल बनाने के लिये कमर कस लिया है. महिलायें उन ठिकानों पर धावा बोल रही हैं या वहां की जानकारी सीधे कंट्रोल रूम को दे रही हैं. महिलाओं की इस जानकारी के आधार पर कंट्रोल रूम और उत्पाद विभाग ने छापेमारी कर कई जगहों का पता लगाया है और वहां से शराब की बरामदगी हुई है. दुकानें खुलने का किया विरोध बिहार विधानसभा में आंशिक शराब बंदी की घोषणा के बाद जैसे ही सरकार ने शहरी इलाके में शराब की दुकानों को खोलने का निर्णय लिया. महिलाओं ने इसका विरोध जताना शुरू कर दिया. सरकार ने महिलाओं के रूख को देखते हुए पूरी तरह बिहार को ड्राइ स्टेट बनाने का फैसला कर लिया. महिला ब्रिगेड और बाकी महिला संगठनों ने सरकार के फैसले का स्वागत किया है. सरकार की मदद के लिये महिलाओं ने सतर्क रहते हुए एक टीम बनाया है जो यह पता लगाता है कि शराब का स्टॉक कहा हैं और कौन पी रहा है.
महिलाएं कर रही हैं ज्यादा कॉल
बिहार उत्पाद विभाग द्वारा बनाये गये कंट्रोल रूम में सबसे ज्यादा शराबबंदी के लिये महिलाओं का कॉल आ रहा है. संबंधित पदाधिकारियों का कहना है कि अबतक जीतने भी कॉल आये हैं उसमें पुरुषों के कॉल की मात्रा काफी कम है जबकि महिलाओं के फोन लगातार आ रहे हैं. सरकार के फैसले के साथ महिलाएं डटकर खड़ी हैं जिसकी वजह से विभाग को पूर्ण शराबबंदी में काफी मदद मिल रही है.