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योद्धा दिखाओ तब सीट पाओ

पटना: लोकसभा चुनाव में महागंठजोड़ की अगुवाई कर रहे राजद के लिए सीट बांटना आसान नहीं होगा. सहयोगी दलों कांग्रेस व लोजपा ने अधिक सीटें हासिल करने के लिए अभी से दबाव बनाना शुरू कर दिया है, पर राजद इस बार अडिग है. पार्टी ने खासकर लोजपा को कठिन लड़ाई की घड़ी बताते हुए कहा […]

पटना: लोकसभा चुनाव में महागंठजोड़ की अगुवाई कर रहे राजद के लिए सीट बांटना आसान नहीं होगा. सहयोगी दलों कांग्रेस व लोजपा ने अधिक सीटें हासिल करने के लिए अभी से दबाव बनाना शुरू कर दिया है, पर राजद इस बार अडिग है. पार्टी ने खासकर लोजपा को कठिन लड़ाई की घड़ी बताते हुए कहा है कि इस बार सीटों का तालमेल ऐसे नहीं होगा. लोजपा को पहले उम्मीदवार के बारे में बताना होगा, तभी सीटों पर बात होगी.

पहले चर्चा, फिर समझौता
पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि जुबानी समझौता नहीं होगा. बड़े नेता आपस में बैठेंगे, उम्मीदवार की चर्चा होगी, फिर सीटों का बंटवारा होगा. राजद ने संकेत दिया है कि वह कम-से-कम 25 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगा. बाकी की 15 सीटों पर ही सहयोगी दलों से तालमेल की गुंजाइश होगी.

2009 में मिली थीं 12 सीटें
2009 के चुनाव में कांग्रेस से गंठबंधन टूट जाने की स्थिति में लोजपा को राजद ने 12 सीटें दी थीं. 28 सीटों पर राजद के उम्मीदवार खड़े हुए थे. 12 सीटों में लोजपा एक भी सीट नहीं जीत पायी. यहां तक कि पार्टी प्रमुख रामविलास पासवान खुद भी चुनाव हार गये. राजद से मिल रहे संकेतों के मुताबिक इस बार लोजपा को चुनिंदा सीटें ही समझौते में दी जायेंगी. अधिक-से-अधिक उनके दो-तीन प्रमुख नेताओं के लिए सीटें राजद छोड़ सकता है. तालमेल के लिए कांग्रेस की भी लंबी सूची बन रही है, जिसमें मधुबनी, सासाराम, औरंगाबाद व शिवहर प्रमुख हैं.

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