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खांसी-बुखार की दवा भी खत्म

बेहाल अस्पताल. नहीं मिल रहीं दवाएं, गरीब मरीज हो रहे परेशान राजधानी के सरकारी अस्पतालों में मरीजों की मुश्किलें और बढ़ गयी हैं. अधिकांश दवाएं खत्म हो गयीं हैं और मरीजों को बाहर से दवा लाने को कहा जा रहा है. पटना : राजधानी के सबसे प्रमुख सरकारी अस्पताल पीएमसीएच में मरीज दवाओं की कमी […]

बेहाल अस्पताल. नहीं मिल रहीं दवाएं, गरीब मरीज हो रहे परेशान
राजधानी के सरकारी अस्पतालों में मरीजों की मुश्किलें और बढ़ गयी हैं. अधिकांश दवाएं खत्म हो गयीं हैं और मरीजों को बाहर से दवा लाने को कहा जा रहा है.
पटना : राजधानी के सबसे प्रमुख सरकारी अस्पताल पीएमसीएच में मरीज दवाओं की कमी से जूझ रहे हैं. ओपीडी सबसे बदहाल स्थिति में है. यहां के स्टोर में पिछले दो महीने से कई दवाओं का टोटा है. ओपीडी में कुल 65 प्रकार की दवाएं हमेशा उपलब्ध होनी चाहिए, लेकिन फिलहाल यहां सात प्रकार की दवाएं ही मौजूद हैं.
आलम यह है कि मरीजों को खांसी व बुखार में दी जानेवाली पारासिटामॉल जैसी दवाओं का सिर्फ सीरप मौजूद है. टैबलेट के लिए मरीजों को भटकना पड़ रहा है.
पीएमसीएच इंडोर की हालत भी दयनीय : पीएमसीएच के इमरजेंसी व गायनी विभाग छोड़ अन्य सभी विभागों में दवाओं की भारी किल्लत है. पीएमसीएच इंडोर में 127 प्रकार की दवाएं होनी चाहिए, लेकिन 87 प्रकार की दवाएं ही उपलब्ध ही हैं. जब मरीज दवा काउंटर पर जाते हैं तो उनसे कहा जाता है, ‘दवा उपलब्ध नहीं है, बाहर से खरीद लीजिये.’ यहां भरती होने वाले मरीजों के लिए डीएनएस 10 व डीएनएस 15 सलाइन भी नहीं है.
गर्दनीबाग : 95 दवाएं आउट ऑफ स्टॉक
गर्दनीबाग अस्पताल में महिलाओं व बच्चों की भीड़ अधिक रहती है. इसके बावजूद यहां स्त्री रोग से जुड़ी कई प्रकार की दवाएं खत्म हो गयी हैं. यहां भी 102 प्रकार की दवाएं होनी चाहिए, लेकिन फिलहाल सिर्फ सात प्रकार की दवाएं उपलब्ध हैं.
यह स्थिति तब है जब अस्पताल परिसर में ही सिविल सर्जन का कार्यालय भी है. यहां अस्पताल प्रशासन अपने स्तर पर एक लाख रुपये तक का टेंडर करता है, फिर दवाओं की खरीद होती है. लेकिन, मरीजों की संख्या अधिक होने के कारण दवाएं तुरंत खत्म हो जाती हैं.
नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल का भी है बुरा है
नालंदा मेडिकल काॅलेज अस्पताल में भी मरीज दवाओं की कमी से जूझ रहे हैं. आउटडोर के मरीजों के लिए बने चार दवा काउंटरों पर हर दिन 1500 से 1600 मरीज दवा की कमी से निराश लौटते हैं. आउटडोर में लगभग 34
तरह की दवाएं मरीजों को देनी हैं, लेकिन महज आठ दवा ही उपलब्ध हैं. इंडोर का भी यही हाल है. वहां 40 की जगह आठ दवाएं ही उपलब्ध हैं.
गार्डिनर अस्पताल : 18 प्रकार की दवाएं खत्म
आयकर विभाग चौराहे स्थित गार्डिनर अस्पताल में महज 22 प्रकार की दवाएं उपलब्ध हैं. यहां कुल 40 प्रकार की दवाएं होनी चाहिए. छोटी-बड़ी बीमारियों को मिलाकर 18 प्रकार की दवाएं खत्म हो चुकी हैं. इस वजह से मरीजों को बहुत परेशान होना पड़ रहा है. वे यहां से दूसरे सरकारी अस्पताल जाते हैं लेकिन वहां भी ऐसी ही स्थिति मिलती है. बाहर दवाओं की कीमत बहुत ज्यादा है.
पीएमसीएच में कभी नहीं मिलती है पूरी दवा
पीएमसीएच में बहुत बुरा हाल है. मैं यहां दो महीने से अपने भतीजे को इलाज के लिए ला रहा हूं. यहां कभी भी पूरी दवा नहीं मिलती. अधिकारी मरीज की बात नहीं सुनते हैं. शिकायत करें तो कहते हैं लेते हैं कि हम क्या करें, दवा तो कॉरपोरेशन कंपनी से आता है.
राजेश कुमार, मरीज के चाचा
पांच में से सिर्फ एक दवा मिली अस्पताल में
मै ओपीडी में दिखाने गया जहां डाक्टर ने कुल पांच दवा लिखी थी. इनमें से सिर्फ एक ही दवा ही मिली है. चार दवा बाहर से खरीदने को कह रहे हैं. बाहर दवा बहुत महंगी आती है. प्रशासन को मरीज की परेशानी दिखाई नहीं देती. अगर वो बाहर से दवा खरीद सकते तो सरकारी अस्पताल में इलाज कराने क्यों आते
संतोष सिंह, मरीज
जितना बजट था, उतने की दवा खरीद ली है
जितना मेरे पास बजट था उतने रुपये की दवाएं खरीदी जा चुकी हैं. कुछ दवाएं एक सप्ताह के अंदर आ जायेंगी. लेकिन लंबे समय तक के लिए स्टॉक नहीं है. अगर मदद मिलती है तो दवाएं उपलब्ध करा दी जायेंगी.
डॉ जीएस सिंह, सिविल सर्जन

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