हाइकोर्ट के आदेश का नहीं है असर, अफसर बेखबर
पटना : शहर में सड़क किनारे खटालों का अवैध कब्जा बरकरार है. पंद्रह साल में लोकहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट ने कई बार खटाल हटाने के आदेश दिये, पर अधिकारियों की शिथिलता बरकरार रही. कड़े आदेशों पर कभी अभियान चला, मगर दिन क्या, कुछ घंटों बाद ही फिर वही स्थिति कायम हो गयी.
हैरत की बात यह है कि शहर की आवासीय कॉलोनियों में खटाल संचालित हो रहे हैं. ऐसी जगहों पर भी खटाल खुले हैं, जहां बड़े-बड़े अधिकारियों व राजनेताओं के घर हैं. नूतन राजधानी अंचल में ही नगर निगम ने 353 अवैध खटाल चिह्न्ति किये हैं.
बदबू से परेशान हैं लोग
आवासीय कॉलोनियों में बने खटाल की बदबू से आसपास के घरों में रहनेवाले लोग परेशान हैं. साथ ही, जहां-तहां पसरे गोबर से लोगों का आना-जाना भी मुश्किल होता है. स्थानीय नागरिक दिन-प्रतिदिन इससे जूझ रहे हैं. सड़कों पर दिन-रात आवारा पशुओं के घूमने से आने-जाने वाले लोगों को परेशानी होती है.
कभी-कभी बच्चे और महिलाएं भय से उधर से जाना छोड़ देते हैं. सड़कों पर आवारा पशुओं के विचरण से यातायात भी प्रभावित होता है. खटाल को लेकर जहां आम आदमी परेशान हैं, वहीं सड़कों पर जमा कूड़े-कचरे के ढेर में फेंके पॉलीथिन के गाय द्वारा खाने से वह भी समस्या ग्रसित हो रही हैं.
लोकहित याचिका भी दायर
शहर से खटाल को हटाने के लिए हाइकोर्ट लगातार निदेश जारी कर रहा है. विदित हो कि खटाल हटाने को लेकर कई लोगों ने हाइकोर्ट में लोकहित याचिका दायर किया है. इस संबंध में हाइकोर्ट ने पांच अगस्त, 1998 को आदेश पारित किया था.
इसके बाद वर्ष 2000, 2005 में भी कई बार निर्देश दिया गया. हाल के दिनों में रामजनम मेहता व अन्य की लोकहित याचिका में हाइकोर्ट ने 19 दिसंबर तक खटाल हटाने का निर्देश पटना नगर निगम और जिला प्रशासन को दिया था. एक बार फिर 17 जनवरी तक का अल्टीमेटम दिया है.