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जिलों में कटाव निरोधक कार्य 15 मई तक: ललन

पटना : नदियों के किनारे बसे जिलों में बाढ़-कटाव निरोधक कार्य मई तक हर हाल में पूरा हा जायेगा. कटाव निरोधक कार्य पूरा कराने के लिए आठ प्रक्षेत्रों में फ्लाइंग स्क्वाॅयड का गठन किया गया है. टीम को हर दिन कटाव-निरोधक कार्य की जांच करने को कहा गया है. टीम को हर 15 दिन पर […]

पटना : नदियों के किनारे बसे जिलों में बाढ़-कटाव निरोधक कार्य मई तक हर हाल में पूरा हा जायेगा. कटाव निरोधक कार्य पूरा कराने के लिए आठ प्रक्षेत्रों में फ्लाइंग स्क्वाॅयड का गठन किया गया है.
टीम को हर दिन कटाव-निरोधक कार्य की जांच करने को कहा गया है. टीम को हर 15 दिन पर कटाव निरोधक कार्य की प्रोग्रेस रिपोर्ट देने को कहा गया है. सूबे में चल रहे बाढ़ कटाव निरोधक कार्य को ले कर उक्त जानकारी गुरुवार को जल संसाधन मंत्री ललन सिंह ने दी. वे सूचना-भवन में संवाददाता सम्मेलन में बोल रहे थे.
उन्होंने बताया कि वाल्मीकि नगर और भागलपुर के रानी दियारा में बड़े पैमाने पर कटाव हो रहा है. कोसी में बड़े पैमाने पर सिल्ट जमा हो रहा है. सिल्ट हटाने के लिए भी जल संसाधन विभाग युद्ध स्तर पर अभियान चला रहा है.
बिहार में बेहतर जल प्रबंधन और बाढ़ सुरक्षा के मोरचे पर व्यापक स्तर पर काम हो रहा है. सूबे में बाढ़ या आपदा की सूचना फिलहाल तीन दिन पहले मिल रही है. आनेवाले दिनों में हम 24 घंटे पहले बाढ़ या आपदा की सूचना देंगे. तीन दिन पहले बाढ़-आपदा की पूर्व सूचना देने की तकनीक तो हमने विकसित कर ली है, पर 24 घंटे पहले एलर्ट जारी करने की तकनीक विकसित नहीं हुई है. इस पर लगातार मंथन हो रहा है.
फिलहाल बागमती नदी तट पर तीन घंटे हाइअलर्ट की सूचना देने की सुविधा मिल रही है. जल्द ही कोसी-गंडक तट पर भी यह सुविधा मिलने लगेगी. जल संसाधन मंत्री ने बताया कि जल संसाधन विभाग को काम के लिहाज से दो भागों में बांटा जा रहा है. एक भाग सिंचाई सृजन का और दूसरा बाढ़-ड्रेनेज का होगा. इस पर विभाग में तजी से काम चल रहा है. एक जुलाई से दोनों विभाग काम करने लगेंगे.
यही नहीं, कोसी, गंडक, सोन और किऊल-बड़ुआ कमांड क्षेत्र का भी विलय किया जायेगा. चारों कमांड क्षेत्रों को सिंचाई सृजन के रूप में विकसित किया जायेगा. उन्होंने बताया कि सूबे में बेहतर सिंचाई सृजन के लिए ‘एक्शन प्लान’ बनाया जा रहा है. हर वर्ष के लिए इसकी कार्य योजना बनायी जा रही है.
इसके तहत कोसी क्षेत्र में मैथेमेटिकल मॉडल और बिहपुर में फिजिकल मॉडल बनाया जा रहा है. इसके लिए कंसल्टेंट भी बहाल किये गये हैं. कंसल्टेट कंपनी 29 फरवरी को अपनी रिपोर्ट फाइल करेगी.
विभाग के प्रधान सचिव अरुण कुमार ने कहा कि सोन नदी के इंद्रपुरी बराज पर रिजर्व-वायर का निर्माण हो रहा है. उत्तर-प्रदेश, झारखंड और बिहार की सीमा पर हाइडल पावर प्रोजक्ट भी बनेगा, इससे 400 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा.
यूपी-बिहार के बीच रिहंद पर पावर स्टेशन बनाने को लेकर कई वर्षों से विवाद चल रहा था, अब दोनों राज्य इस पर सहमत हो गया हैं. जल्द ही इसका डीपीआर बना कर सीपीडब्लूडी में सबमिट किया जायेगा.

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