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इन्हें पुल नहीं, ट्रैक पार करना ही ठीक लगता है

इधर, धनुष पुल को छोड़कर जान को खतरे में डाल रोज पांच हजार लोग ट्रैक कर रहे हैं पार पटना : एनएमसीएच, बाजार समिति समेत आसपास इलाकों के लोग ट्रैक पार नहीं करें, इसको लेकर रेलवे ने धनुष पुल का निर्माण कराया. लेकिन, इसे इग्नोर करते हुए पांच हजार से अधिक लोग हर दिन शॉर्टकट […]

इधर, धनुष पुल को छोड़कर जान को खतरे में डाल रोज पांच हजार लोग ट्रैक कर रहे हैं पार
पटना : एनएमसीएच, बाजार समिति समेत आसपास इलाकों के लोग ट्रैक पार नहीं करें, इसको लेकर रेलवे ने धनुष पुल का निर्माण कराया. लेकिन, इसे इग्नोर करते हुए पांच हजार से अधिक लोग हर दिन शॉर्टकट के चक्कर में ट्रैक पार कर अपनी जान को खतरे में डालते हैं. लोगों को रोकने के लिए रेलवे ने धनुष पुल के बनने के बाद क्रॉसिंग को बंद करा दिया और चारों आेर से लोहे का खंभा भी डाल दिया, लेकिन धीरे-धीरे खंभाें को ही गायब कर दिया गया.
रेलवे सूत्रों की मानें तो यह क्रॉसिंग को कागज में तो बहुत पहले ही बंद कर दिया गया है और लोगों पर नजर रखने के लिए कुछ समय तक वहां सुरक्षा कर्मचारियों को भी रखा गया, पर कर्मचारियों के हटते ही फिर वही स्थिति. अब इसे रेल प्रशासन गंभीरता से ले रहा है. अब एक बार फिर उस रास्ते को बंद करने के लिए रेलवे ने कवायद शुरू कर दी है. जल्द ही रास्ते को घेरा जायेगा.
दोनों ओर से बेरिकेडिंग
मेन लाइन व टर्मिनल के साइड से दोनों ओर बेरिकेडिंग दी जायेगी. बेरिकडिंग इस कदर दी जायेगी कि वहां से लोगों का पैदल चलना भी मुश्किल होगा. बस आदेश आते ही बेरिकेडिंग का काम शुरू हो जायेगा.
बना रहता है खतरा
ट्रैक पार करने वालों के लिए मेन लाइन खतरनाक तो है ही, लेकिन उससे अधिक खतरनाक वे गाड़ियां हैं, जो राजेंद्र नगर टर्मिनल में धुलाई व सफाई के लिए लायी जाती हैं. यहां इन गाड़ियों को बैक करके ही लाया जाता है. सूत्रों की मानें तो पीछे लाने के क्रम में कभी-कभी हाॅर्न भी नहीं बजाया जाता है और कई बार क्रॉसिंग के काफी पीछे तक ट्रेनें चली जाती हैं. कभी-कभी तो ऐसा होता है कि गाड़ी को बीच में ही रोक दिया जाता है, ऐसे में ट्रेन के नीचे से लोग ट्रैक पार करने लगते हैं. यह अनहोनी का संकेत है. बिना फाटक की क्राॅसिंग से हर दिन हजारों की
भीड़ आती-जाती है. कई बार यहां से क्रॉस करनेवालों को पटरी पार
करते समय अंदाजा नहीं रहता है कि वहां से गाड़ी गुजर रही है. उस इलाके में सबसे अधिक कोचिंग संस्थान है, जहां हर इलाके से छात्र-छात्राएं पढ़ने आते हैं. ये सभी क्रॉस करते समय अपनी धुन में रहते हैं. ट्रैक पार करनेवालों में साइकिल सवार भी पीछे नहीं रहते हैं. यहां कई बार हादसे भी हो चुके हैं.
ये हो सकते हैं विकल्प
– ट्रैक के ऊपर फुट फ्लाइ ओवर बनाने पर
– अंडर ग्राउंड रास्ता बनाने पर
एक बार फिर खंभे लेगेंगे
धनुष पुल के निर्माण के पीछे एक मकसद यह भी था कि लोग ट्रैक पार करने से बचें. इसी वजह से क्रॉसिंग को बंद कर दिया गया था. लोहे के खंभे से उसे घेर दिया गया था, लेकिन लोगों ने खंभों को उखाड़ दिया. एक बार फिर उसे घेरने की तैयारी की जा रही है, ताकि लोग ट्रैक को पार नहीं कर सकें .
अरविंद कुमार रजक, सीपीआरओ, पूर्व मध्य रेल

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