तब दुर्गेश गिरोह का सुरेंद्र राम काम करता था रवि की दुकान पर संवाददाता, पटना वर्ष 2015 में 27 जून को रिक्शा चालक उमाशंकर गुप्ता (मैनपुरा ) से दो लाख की रंगदारी मांगे जाने के तार व्यवसायी रविकांत की दुकान से भी जुड़े थे. रंगदारी रविकांत की दुकान में पोछा आदि मारने का काम करनेवाले सुरेंद्र राम के मोबाइल फोन से मांगी गयी थी. इसमें सुरेंद्र की पहचान उसके आइएमइआइ नंबर से पुलिस ने की थी. हालांकि सुरेंद्र राम घटना के बाद से ही अब तक फरार है. इस मामले में पुलिस ने राजनंदन नाम के शख्स को पकड़ा था. सिम उसके नाम से था और उसने अपने नाम से सिम निकलवा कर अपने मित्र जीतेंद्र उर्फ जीतू को दे दिया था. जीतू ने वह सिम दुर्गेश शर्मा को दिया और उसी सिम से दो लाख की रंगदारी मांगी गयी. इसके लिए जीतेंद्र ने राजनंदन को यह लोभ दिया था कि अगर वह अपने नाम से सिम निकाल कर देगा, तो उसे भी रंगदारी की रकम में हिस्सा मिलेगा. रंगदारी मांगे जाने के संबंध में पाटलिपुत्र थाने में 193/15 केस नंबर भी दर्ज है. रिक्शा चालक ने फुलवारीशरीफ स्थित मित्रमंडल कॉलोनी की अपनी जमीन बेची थी और उसमें उसे दस लाख रुपये मिले थे. इसकी भनक दुर्गेश को लग गयी और उसने रंगदारी मांगी.
तब दुर्गेश गिरोह का सुरेंद्र राम काम करता था रवि की दुकान पर
तब दुर्गेश गिरोह का सुरेंद्र राम काम करता था रवि की दुकान पर संवाददाता, पटना वर्ष 2015 में 27 जून को रिक्शा चालक उमाशंकर गुप्ता (मैनपुरा ) से दो लाख की रंगदारी मांगे जाने के तार व्यवसायी रविकांत की दुकान से भी जुड़े थे. रंगदारी रविकांत की दुकान में पोछा आदि मारने का काम करनेवाले […]
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