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वत्तिीय आयोग के मापदंड पर राज्यों का हो वर्गीकरण : सद्दिीकी

वित्तीय आयोग के मापदंड पर राज्यों का हो वर्गीकरण : सिद्दीकी- आद्री द्वारा तैयार 14वें वित्त आयोग की एडवोकेसी पेपर जारी करने के बाद वित्त मंत्री ने कहा, राज्यों को तीन श्रेणी विकसित, विकासशील और पिछड़ा में बांटा जायेसंवाददाता, पटनाराज्य के वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी ने कहा कि केंद्रीय वित्त आयोग की अनुशंसा प्राप्त […]

वित्तीय आयोग के मापदंड पर राज्यों का हो वर्गीकरण : सिद्दीकी- आद्री द्वारा तैयार 14वें वित्त आयोग की एडवोकेसी पेपर जारी करने के बाद वित्त मंत्री ने कहा, राज्यों को तीन श्रेणी विकसित, विकासशील और पिछड़ा में बांटा जायेसंवाददाता, पटनाराज्य के वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी ने कहा कि केंद्रीय वित्त आयोग की अनुशंसा प्राप्त करने में बिहार जैसे पिछड़े राज्यों की अनदेखी हो रही है. वित्त आयोग के मापदंडों के आधार पर सभी राज्यों का वर्गीकरण किया जाये. इसके आधार पर ही सभी राज्यों को वित्तीय अनुशंसा दी जाये. राज्यों को तीन श्रेणी विकसित, विकासशील और पिछड़ा के आधार पर बांटा जाये. इस आधार पर ही राज्यों को वित्तीय अनुदान प्रदान किया जाये. वित्त मंत्री शुक्रवार को आद्री संस्थान में आद्री की ओर से तैयार 14वें वित्त आयोग की अनुशंसा से संबंधित रिपोर्ट संयुक्त रूप से जारी कर रहे थे. उन्होंने कहा कि बिहार कृषि आधारित कंज्यूमर (उपभोक्ता) राज्य है. यह निर्माता राज्यों की श्रेणी में नहीं आता है. हर हाल राज्य आपदा और समस्याएं आयात करता है. नेपाल से आने वाला पानी बड़े स्तर पर तबाही लेकर आता है. बारिश नहीं होने के बावजूद बाढ़ आती है. इसकी रोकथाम के लिए योजनाविदों को सशक्त नीति तैयार करनी चाहिए. योजना आयोग को भी इन समस्याओं पर सोचना चाहिए. विशेष राज्य का दर्जा या विशेष पैकेज देने पर विचार करना चाहिए. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में राज्य की वित्तीय स्थित पर बोझ बढ़ने जा रहा है. नये वेतन आयोग की अनुशंसा लागू करने का दबाव बढ़ेगा. ऐसे में इसका मूल्यांकन करने की जरूरत है कि किस क्षेत्र में कितनी क्षमता है. सिर्फ टैक्स बढ़ाना ही इलाज नहीं है. खर्च में कटौती करने के साथ-साथ वित्तीय प्रबंधन का स्टाइल बदलने की जरूरत है. योजनाओं को वैज्ञानिक विश्लेषण करके तैयार करना चाहिए.राज्य को देनी पड़ेगी 40 फीसदी हिस्सेदारी ऊर्जा मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि देश में इस बार 5.80 लाख करोड़ के राजस्व घाटा का खामियाजा बिहार को भी भुगतना पड़ेगा. इसके अलावा केंद्र प्रायोजित योजना और केंद्रीय प्लान योजनाओं में कटौती करने या इसका स्वरूप बदलने से राज्य पर वित्तीय बोझ काफी बढ़ेगा. ऊर्जा क्षेत्र में ही पहले जिन केंद्रीय योजनाएं 90-10 के अनुपात में चलती थी, अब इनका स्वरूप बदलकर 60-40 के अनुपात में कर दिया गया है. इन योजनाओं में राज्य को 40 फीसदी हिस्सेदारी देनी पड़ेगी. इससे राज्य पर वित्तीय बोझ काफी बढ़ेगा. ऐसे में वित्तीय प्रबंधन पर खासतौर से ध्यान देने की जरूरत है. वहीं, योजना पर्षद के सदस्य गुलरेज होदा ने कहा कि राज्य को बेहतर वित्तीय प्रबंधन के लिए ‘व्यय प्रबंधन’ पर खासतौर से ध्यान देना चाहिए. उदाहरण के तौर पर बिजली में ‘डिमांड मैनेजमेंट’ किया जा सकता है, यानी बिजली को बरबादी से बचाकर भी इसकी बचत कर सकते हैं. इसी तरह वित्तीय स्रोत के व्यय का प्रबंधन करके भी स्रोत को सशक्त किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि दक्षिण के कई राज्य में ‘व्यय प्रबंधन आयोग’ का स्वरूप देखने को मिलता है, जबकि उत्तर के राज्यों में इस तरह का कोई आयोग नहीं दिखता है. हमारा राज्य ‘रेवेन्यू सरप्लस स्टेट’ है, जो अच्छी बात नहीं है. हम ज्यादा टैक्स ले रहे हैं. बेहतर वित्तीय प्रबंधन में इन बातों का ध्यान रखना चाहिए. इसके साथ ही आय को बढ़ाने पर ध्यान देने की जरूरत है. राज्य का बजट रेवेन्यू सरप्लस वाला नहीं होगाविभागीय जांच आयुक्त रामेश्वर सिंह ने कहा कि राज्य को अपने सीमित वित्तीय स्रोत के बावजूद तरक्की करने के लिए निर्धारित प्रावधान के दायरे में रहते हुए अधिक से अधिक कर्ज लेने की पहल करनी चाहिए. कई केंद्रीय योजनाओं में अनुपात घटना चिंता की बात है. 2016-17 से राज्य का बजट रेवेन्यू सरप्लस वाला नहीं होगा. वित्तीय प्रबंधन से जुड़े कई तरह के शोध करने की जरूरत है. विधान पार्षद रामबचन राय ने कहा कि ब्रिटेन की संस्थान मोरी के अनुसार, दुनिया में दो देश भारत और मैक्सिको एेसे हैं, जिनके नागरिकों को अपने देश की समृद्धि या अर्थव्यवस्था के बारे में पता नहीं है. भारत में एक प्रतिशत लोगों का देश की कुल समृद्धि के 70 फीसदी हिस्से पर कब्जा है. 14वें वित्त आयोग की अनुशंसा से राज्य को 8.9 फीसदी का घाटा हुआ है. जगजीवन राम शोध संस्थान के निदेशक श्रीकांत ने कहा कि राज्य में वित्तीय प्रबंधन के सुधार के लिए कौन-सा मॉडल अपनाने की जरूरत है, इस पर ध्यान देने की जरूरत है, परंतु इसमें कल्याणकारी राज्य की अवधारणा भी बरकरार रहे. कार्यक्रम में स्वागत संबोधन आद्री के सदस्य सचिव शैबाल गुप्ता और समापन संबोधन पीएन घोष ने किया.

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