चर्चित पुस्तकों पर हुई परिचर्चाबुक फेयर में नुक्कड़ नाटक और जनसंवाद भी हुए आयोजितलाइफ रिपोर्टर पटनाइन दिनों ठंड भले ही बढ़ गयी है, लेकिन सीआरडी बुक फेयर में भीड़ कम नहीं हो रही हैं. लोग यहां अपनी पसंद की बुक खरीदने आ रहे हैं. इस बार बुक फेयर में बड़ों के साथ-साथ बच्चों की संख्या भी बढ़ते जा रही है. क्योंकि यहां साहित्य और नॉवेल के साथ छोटे बच्चों के लिए भी कई तरह की बुक्स मिल रही हैं. इसलिए पैरेंट्स के साथ बच्चे भी बुक फेयर में बुक्स की शॉपिंग कर रहे हैं. साथ ही यहां हर दिन हो रहे कार्यक्रम भी लोगों को आकर्षित कर रहे हैं. बुक फेयर में हर दिन नुक्कड़ नाटक, जन संवाद, पुस्तक का विमोचन के अलावा भी कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. ऐसे में लोग भी सभी कार्यक्रमों का लुत्फ उठाते हुए अपना समय व्यतीत कर रहे हैं. इसके अलावा बुक फेयर के कई एरिया सेल्फी जोन बने हुए हैं. इसमें सबसे ज्यादा मेड इन इंडिया और ड्रीफ्ट आर्ट जैसे स्टॉल के पास सेल्फी ली जा रही है.नाटक में दिखी बाल मजदूरीगुरुवार को बुक फेयर में इस्ट वेस्ट हाइ स्कूल नेउरा द्वारा नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया गया. इसमें बाल मजदूरी का प्रदर्शन किया गया. यह नाटक बाल श्रमिकों पर केंद्रित था. इस नाटक में दिखाया गया कि एक गरीब परिवार में आर्थिक तंगी के कारण बालक श्रमिक बनने पर मजबूर होते हैं. इसके लिए बच्चे के माता-पिता भी दोषी होते हैं क्योंकि वे बच्चों को पढ़ाने की बजाय उन्हें काम करने के लिए भेजते हैं. इस नाटक का निर्देशन रामजीत ने किया. नाटक देख दर्शकों ने भरपूर तालियां बजायीं. ‘लोकतंत्र की कसौटी’ का विमोचनबुक फेयर के मुख्य प्रेक्षागृह कोसी मुक्ताकाश मंच में पत्रकार अनंत विजय की पुस्तक लोकतंत्र की कसौटी का विमोचन किया गया. इस अवसर पर फिल्म समीक्षक और लेखक विनोद अनुपम ने कहा कि अनंत विजय का लेखन जनता का पक्षधर है. वे किसी खास विचारधारा का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं. उन्हें वामपंथ या दक्षिणपंथ से कोई मतलब नहीं है. यह पुस्तक जन सरोकार की बात करेगी और लोगों की राजनैतिक समझ में इजाफा करेगी. मौके पर सीआरडी के अध्यक्ष रत्नेश्वर ने कहा कि एक पत्रकार के लिए यह दुरूह होता है कि दिन भर खबरों को निपटा कर वह पुस्तक लिखने जैसा कठिन काम करता है. वहीं अनंत विजय ने बताया कि मैं युवाओं के साथ और युवाओं के लिए काम करना पसंद करता हूं, लेकिन अपने बुजुर्गों के प्रति सम्मान और उनका आशीर्वाद हमेशा अपने पास रखना चाहता हूं. इस दौैरान मौजूद द हिन्दू की सहायक संपादक नेस्तुला हेब्बर ने कहा कि खबरों की दिनचर्या निपटाने के बाद गंभीर लेखन का कार्य काफी मुश्किल होता है. इस मौके पर कई वरीय लेखक व कलाकार भी मौजूद थे.’आजादी मेरा ब्रांड’ पुस्तक पर बातचीतबुक फेयर के मुख्य प्रेक्षागृह में शतरंज की नेशनल प्लेयर अनुराधा बेनीवाल मौजूद थीं, जिन्होंने अपनी पुस्तक आजादी मेरा ब्रांड के बारे में लोगों को बताया. उन्होंने बताया कि मेरी शिक्षा अनौपचारिक रूप से हुई है. मैं 12वीं तक स्कूल भी नहीं गयी थी. समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं. एक दिन मेरे पिता और उनके मित्र ने मुझे शतरंज के बारे में बताया तो मुझे लगा कि इसमें ज्यादा भाग-दौड़ नहीं है. हम बैठ कर खेल सकते हैं. पहले अपनी मां के साथ शतरंज खेलती थी. खेल-खेल में यह मेरा कैरियर बन गया. मां स्टेट लेवल चैंपियन थीं और मैं नेशनल लेवल तक आ गयी. इस मौके पर राजकमल प्रकाशन के संपादक और लेखक सत्यानंद निरूपम मौजूद थे.10 देशों का किया भ्रमणखास बातचीत में अनुराधा बेनीवाल ने अपनी पुस्तक के बारे में बताया कि इस पुस्तक में एक ऐसी लड़की की कहानी है, जो मध्य वर्ग की होने के बावजूद 10 देशों में घूमने का हौसला रखती है. मैंने यूरोप, लंदन, पेरिस, ब्रातिस लावा, अमेरिका जैसे कई देशों का भ्रमण किया है. मेरा घूमना कोई साधारण घूमना नहीं था. मैं वहां जा कर लोगों को समझती थी. यह जानना चाहती थी कि यहां का कल्चर कैसा है. यहां के लोग अपने देश के लोगों से कितने अलग हैं. एक लड़की होते हुए हर जगह गयी, कई लोगों से मिली. अनजान देशों में अनजान लोगों से मिल कर काफी अच्छा लगा. मेरी यात्रा में मेरे पिता का पूरा सपोर्ट मिला. अभी लंदन में रहती हूं. शतरंज खिलाड़ी होने के अलावा मैं एक स्कूल टीचर भी हूं. पटना में पहली बार आयी हूं. यहां के लोगों में बुक कल्चर ज्यादा है. मैं हरियाणा के रोहतक में बड़ी हुई हूं. वहां लोगों में बुक्स के प्रति इतना लगाव नहीं है.पुस्तकों पर परिचर्चागुरुवार की शाम मुख्य प्रेक्षागृह में चर्चित पुस्तकों पर चर्चा हुई. इस अवसर पर द हिंदू की पत्रकार नेस्तुला हेब्बर ने कहा कि लोकप्रिय किताबों में रामायण और देवी-देवताओं की किताबें भी प्रसिद्ध हैं. लोगों की रुचि बदल रही है और अब लोग रामायण और गीता को नये परिपेक्ष्य में पढ़ना चाहते हैं. वहीं अनंत विजय ने कहा कि हिंदी के लेखक तानाशाह हो गये हैं. उन्हें पाठकों की रुचि से कोई मतलब नहीं है. चर्चित होने के मापदंड के बारे में उन्होंने आलोचकों को आड़े हाथों लिया. साथ ही बताया कि 2015 में हिंदी साहित्य की कोई किताब नहीं आयी है. उन्होंने सवाल उठाया कि लोकप्रिय होने के लिए भी क्या अंगरेजी की आवश्यकता है?मेले में आजनुक्कड़ नाटक- 1.30 बजेपुस्तक ‘ब्रेकिंग अप दे शैकलेस’ का विमोचन- एक बजेपुस्तक ‘चांद के पार एक चाभी’ का विमोचन- 2 बजेपुस्तक ‘नज्में इंतजार की’ का विमोचन- 3 बजेजनसंवाद- नई सदी की कविताएं- 4.30 बजे
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चर्चित पुस्तकों पर हुई परिचर्चा
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