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नयी सरकार नयी उम्मीदें : राज्य में उद्योगों के लिए जमीन नहीं बनेगी बाधा
नयी सरकार, नयी उम्मीदें की कड़ी में अब तक आपने िबजली, िशक्षा, गांव का िवकास और अर्थव्यवस्था की सेहत से जुड़ी चुनौतियों और नये कार्यभार के बारे में पढ़ा. इस क्रम में आज चर्चा उद्योग की, िजसकी िबहार को सबसे ज्यादा जरूरत है. िबहार लंबे समय से औद्योगिक पिछड़ेपन का शिकार रहा है़. हालांिक पिछले […]
नयी सरकार, नयी उम्मीदें की कड़ी में अब तक आपने िबजली, िशक्षा, गांव का िवकास और अर्थव्यवस्था की सेहत से जुड़ी चुनौतियों और नये कार्यभार के बारे में पढ़ा. इस क्रम में आज चर्चा उद्योग की, िजसकी िबहार को सबसे ज्यादा जरूरत है. िबहार लंबे समय से औद्योगिक पिछड़ेपन का शिकार रहा है़.
हालांिक पिछले दस वर्षों में राज्य सरकार ने कई पहलकदमियों के जरिये सूरत बदलने की कोशिश की है, लेिकन अब भी बहुत कुछ करना शेष है. राज्य के जीएसडीपी में उद्योगों का योगदान मात्र 18 फीसदी है. यदि राज्य के नौजवानों को रोजगार उपलब्ध कराना है और कृिष पर आबादी के दबाव को कम करना है, तो बड़ी पूंजी वाले औद्योगिक िनवेश पर फोकस करना होगा. उद्योग मंत्री जय कुमार िसंह का दावा है िक िनवेश का माहौल बना है और िनवेशकों को जमीन की समस्या नहीं होगी.
अब बड़े पूंजी िनवेश के िलए माहौल बनाने की चुनौती
कौशलेंद्र रमण, पटना
औद्योगिककरण के मामले में िबहार िपछड़ापन का िशकार रहा है. झारखंड के अलग होने के बाद राज्य में िगने-चुने उद्योग रह गये. इस वजह से जीएसडीपी में उद्योग सेक्टर का योगदान 18-19 फीसदी है, जबकि देश के जीडीपी में उद्योगों का योगदान करीब 32-33 फीसदी है. हालांकि िपछले एक दशक में िबहार ने औद्योिगक विकास के क्षेत्र में प्रगति की है. वर्ष 2004-05 से 2012-13 के बीच औद्योिगक क्षेत्र ने 16.2 फीसदी की चक्रवृद्धि विकास दर हासिल की.
इस कालखंड में औद्योगिक विकास के मामले में देश में उत्तराखंड के बाद बिहार दूसरे स्थान पर था. अगर पूरे देश के संदर्भ में तुलना करें तो िबहार का औद्योगिक िवकास की रफ्तार दोगुनी से भी ज्यादा थी.िपछले एक दशक में राज्य सरकार ने औद्योिगक िनवेश के लायक माहौल तैयार करने के िलए कई कदम उठाये. नयी औद्योगिक नीित में उद्यमियों को कई सहुलियतें दी गयी हैं. िसंगल िवंडो िसस्टम लाया गया. कई नये उद्योग भी लगे. हालांकि उनमें ज्यादातर मध्यम या छोटे स्तर के हैं.
वर्ष 2013 के नवंबर में जारी एसोचेम की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2011-12 के दौरान िबहार में मात्र 15 फीसदी कामकाजी आबादी अपनी आजीविका के िलए उद्योगों पर निर्भर है़ राष्ट्रीय स्तर पर यह औसत 24.3 फीसदी का है. इसी साल िसतंबर में देश के कारोबारी माहौल पर जारी िवश्व बैंक की िरपोर्ट में िबहार को 21वां रैंक िदया गया. झारखंड व छत्तीसगढ़ जैसे राज्य भी िबहार से आगे हैं.
िबहार में औद्योगिक िनवेश के िलए सबसे बड़ी चुनौती जमीन की व्यवस्था है. कृषि योग्य जमीन को उद्योग के िलए देने को िकसान तैयार नहीं होते. इसके अलावा िबजली, रोड-रेल नेटवर्क और आधारभूत संरचना की कमी भी माहौल बनाने में बाधक है. चीनी के साथ एथनॉल बनाने की मंजूरी न िमलने से चीनी उद्योग फल फूल नहीं पाया. नयी सरकार के सामने प्रमुख कार्यभार औद्योगिक िनवेश के िलए माहौल बनाने और िनवेशकों को आकषिर्त करने के िलए नीितयों में बदलाव करना है. जटिल सरकारी प्रकि्रयाओं को आसान बनाना होगा.
– िबहार में बड़े निवेश के िलए सरकार का क्या रोड मैप है?
बिहार में िनवेश का सकारात्मक माहौल बना है़ पहले कहा जाता था कि बिहार में बिजली नहीं है, रोड नहीं है़ अब बिहार के बारे में कोई ऐसा नहीं कह सकता है. 18 से 20 घंटेबिजली देने वाले चार-पांच राज्यों में बिहार भी है. बिहार में गांव-गांव तक अच्छी सड़कों का जाल बिछ गया है.
यह कहने वाली बात नहीं है, सभी को यह दिख रहा है. नीतीश कुमार के नेतृत्व में िबहार की जनता ने जो जनादेश दिया है उससे उद्योग जगत को भी विश्वास बढ़ा है. उनके प्रतिनिधि हमसे मिलते हैं और राज्य में उद्योग लगाने के प्रति अपनी दिलचस्पी दिखाते हैं. डुमरांव में कोका कोला 1400 करोड़ रुपये खर्च कर प्लांट लगायेगी. इससे करीब दस हजार लोगों को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से रोजगार मिलेगा. कंपनी ने यह भी कहा कि स्थानीय इलाके का भी विकास करेगी़ दूसरे इलाकों में ऐसे उद्योगों की संभावनाएं देखी जा रही है़
– लेकिन, औद्योगिक निवेश में बड़ी बाधा जमीन भी है़ इसे आप कैसे दूर करेंगे?
यह बात सही है. हमारे यहां कृषि योग्य जमीन बहुत ज्यादा है. इसलिए इसके अधिग्रहण में समस्या आती है. इस समस्या को दूर करने के लिए हमलोग लैंड बैंक बनाने जा रहे हैं.
छह माह में जमीन की समस्या का समाधान कर लिया जायेगा. लैंड बैंक बन जाने से उद्योगों के िलए जमीन की समस्या का काफी हद तक समाधान हो जायेगा. दूसरे राज्यों की तरह यहां भी उद्यमियों को सुविधाएं दी जायेंगी. ज्यादा सुविधा देने के लिए ही हमलोग बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं. बिहार विशेष दर्जा पाने के कैटेगरी पर खरा उतरता है.
-छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने के िलए क्या नीित अपना रहे हैं?
बिहार का छोटा उद्योग ही बड़े उद्योग के बराबर है. हमारे राज्य में 50-50 करोड़ रुपये के पूंजी की राइस िमल हैं. यह किसी बड़े उद्योग से कम हैं क्या? इसलिए छोटे उद्योगों पर राज्य सरकार का विशेष फोकस है.
इसमें राेजगार सृजन की संभावना भी अधिक रहती है. छोटे उद्योगांे को बढ़ावा देने के लिए सरकार उन्हें 35 फीसदी सब्सिडी देती है़ यह सब्सिडी पहले चार किस्तों में दी जाती थी. अब तीन किस्तों में दी जाती है. छोटे उद्योगों को प्रोत्साहित करने के िलए और सुविधाएं बढ़ायी जायेंगी. इस समय 137 फूड प्रोसेसिंग इकाइयां काम कर रही हैं़ इस तरह की कई इकाइयां पाइपलाइन में हैं. राज्य मंे तैयार सकारात्मक माहौल और हमारी नीितयों से बेहतर नतीजे िनकलेंगे़
– लघु उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए कोई नीति बन रही है?
लघु उद्योग लगाने के िलए बहुत ज्यादा पूंजी की दरकार नहीं होती है, लेकिन उसमें राेजगार सृजन बड़े स्तर पर होता है. इसमें हमलोगों ने खादी को बढ़ावा देने के िलए िनफ्ट के साथ समझौता िकया है. खादी को बाजार के अनुरूप ढालने में िनफ्ट के िडजाइनर मदद करेंगे. खादी के शौकीन तो बहुत लोग हैं, लेिकन अपमार्केट िडजाइन नहीं होने की वजह से यह प्रतियोगिता में नहीं आ पाती है. िनफ्ट की मदद से खादी के कपड़ों के रंग और िडजाइन दोनों को बाजार के अनुरूप ढाला जायेगा.
– बुनकरों के िलए कोई नयी योजना?
यहां के सिल्क और िसल्क से बनी सािड़यों की मांग देश भर में है. नालंदा िजले की साड़ी के कद्रदान विदेशों में भी हैं. हमलोग बुनकारों की समस्याओं को सुलझाने में लगे हैं. उनके काम को बाजार उपलब्ध कराने के लिए हर संभव कोशिश की जा रही है. उन्हें साहुकारों और िबचौलियों के चंगुल से बाहर निकाला जायेगा. उनकी समस्याओं को समझने और समाधान तलाशने का प्रयास कर रहे हैं.
फोकस में बड़े िनवेश
झारखंड के अलग होने के बाद बड़ी औद्योिगक इकाइयां बिहार से निकल गयीं. पहले से थीं, उसकी हालत खराब होती गयी. िबहार में 3345 कुल उद्योग हैं, जो देश भर का मात्र 1.5 फीसदी हैं.
सुधार व बदलाव
कई राज्यों ने सुधार व बदलाव की िदशा में पहल कर औद्योगिक िनवेश का वातावरण तैयार िकया है. िसंग्ल िवंडों िसस्टम से लेकर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन व भुगतान की व्यवस्था शामिल है.
28 चीनी िमलों में से 18 बीमार होकर बंद हैं. नौ चीनी िमलें चल रही हैं, जो िनजी क्षेत्रों में हैं. राज्य में तीन लाख हेक्टेयर में गन्ने की खेती है. यानी चीनी िमलों की संभावना मौजूद है. इस कारण बहार का गन्ना दूसरे राज्यों में चला जाता है.
एग्रो बेस्ड उद्योग
बिहार फल-सब्जियों के उत्पादन के लिहाज से देश में सातवें स्थान पर है, मगर इस पर आधारित उद्योग की संख्या अपेक्षाकृत कम है. दो साल में 401 यूनिट स्थापित हुए.
क्वालिटी िबजली
िबजली की हालत सुधरी है, पर उद्योगों के िलए क्वालिटी िबजली की जरूरत है. िट्रपिंग व अनियमित आपूिर्त से उद्योग परेशान हैं. बार-बार मशीन बंद होती है और औद्योगिक लागत बढ़ता है.
कदम बढ़े, अब तेज चलना होगा
1. उद्योग प्रोत्साहन नीित 2006 और औद्योगिक प्रोत्साहन नीति 2011. सिंगल विंडो क्लियरेंस अधििनयम 2006. सूक्षम, लघु एवं मध्यम उद्यम विकास अधिनियम 2006.
2. निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए राज्य निवेश प्रोत्साहन पर्षद का गठन. मई 2015 तक 2078 परियोजनाओं पर सहमति. अब तक 306 इकाइयां स्थापति.
3. 163 इकाइयों के बीच 33 करोड़ अनुदान के रूप में स्वीकृत. डीजी सेट/कैप्टिव पावर पर 219 इकाइयों के बीच 20.87 करोड़ रुपये अनुदान के रूप में वितरित.
4. उद्योग विभाग, उद्योग मित्र व बियाडा की वेब साइट तैयार.राज्य निवेश प्रोत्साहन पर्षद के तहत ऑनलाइन आवेदन की फाइलिंग और टैकिंग का साफ्टवेयर कार्यरत.
5. फूड प्राेसेसिंग में वातावरण तैयार करने के लिए पटना, मुजफ्फरपुर, बेंगलुरु, कोलकाता, पुरी, रांची, बनारस, मुंबई में रोड-शो आयोजित.
6. जुलाई 2012 से नियमित रूप से माह के प्रत्येक पांचवे सोमवार को उद्यमी पंचायत का आयोजन. अब तक आठ ऐसे पंचायत आयोजित.
7. अप्रवासी भारतीयों को राज्य में पूंजी निवेश के िलए आकर्षित करने के िलए 2006-07 से लगातार प्रवासी भारतीस दिवस में भाग लेने की परंपरा शुरू की.
8. बंद चीनी िमल, पेपर िमल, जूट िमल और सीमेंट उद्योग आिद को पुनर्जीवित कर उनके उन्नयन का काम शुरू. इसके तहत लाैरिया व सुगौली में नयी मिलें स्थापित.
9. प्रोत्साहन पैकेज से प्रेरित होकर सात चीनी िमलों ने अपनी क्षमता का विस्तार िकया. मिलों के साथ विद्युत उत्पादन इकाई स्थापित हुई. लौरिया व सुगौली में सुगर कॉम्प्लेक्स स्थापित.
10. प्रशिक्षण केंद्रों के करघा व उपकरणों का आधुनिकीकरण की योजना स्वीकृत. भागलपुर में प्रशिक्षण योजना स्वीकृत.
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