पटना : बिहार में असली दवाओं के कारोबार के समानांतर नकली दवाओं का कारोबार खुलेआम चल रहा है. शायद यही कारण है कि अवैध व नकली दवाओं का कारोबार से जुड़े माफिया बहुत ताकतवर हो चुके हैं. मध्यप्रदेश, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात सहित अन्य राज्यों में जब लूट की दवा खोजने की बात होती है, तो एक बार पुलिस राजधानी के जीएम रोड जरूर आती है और यहां वह दवा मिलती भी है. क्योंकि दिल्ली व कानपुर नकली दवाओं का मुख्य अड्डा है और वहां से पटना का जीएम रोड और गया को नकली दवाओं की सप्लाई खुलेआम होती है. इन ठिकानों की जानकारी विभाग से लेकर सभी को है, लेकिन यहां हाथ डालने के बाद जीएम रोड में हत्या तक हो जाती है. क्योंकि, इस अवैध धंधे में सफेदपोश से लेकर बड़े व्यापारी भी जुड़ गये हैं, जिन पर अंकुश लगाना सरकार के बस में नहीं है.
Advertisement
आधे से ज्यादा मरीज खा रहे हैं नकली दवा
पटना : बिहार में असली दवाओं के कारोबार के समानांतर नकली दवाओं का कारोबार खुलेआम चल रहा है. शायद यही कारण है कि अवैध व नकली दवाओं का कारोबार से जुड़े माफिया बहुत ताकतवर हो चुके हैं. मध्यप्रदेश, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात सहित अन्य राज्यों में जब लूट की दवा खोजने की बात होती है, तो […]
छापेमारी में कमी नहीं, पर जोर पकड़ रहा गंदा धंधा
अब तक पूरे बिहार में 650 से अधिक छापे मारे गये है, जिसमें से 45 मामलों में प्राथमिकी दर्ज हुई अथवा अभियोजन चला. 21 से अधिक दुकानों के लाइसेंस रद्द किये गये और 266 के लाइसेंस सस्पेंड हुए. इन मामलों में 40 की गिरफ्तारी भी हुई थी. बावजूद इसके नकली और सब स्टैंडर्ड दवाओं का धंधा घटा नहीं है, बस अपनी रफ्तार से बढ़ता जा रहा है. 2010 तक इसका कारोबार 700 करोड़ का था, जो अब बढ़ कर एक हजार करोड़ का हो गया है. नकली दवाओं के धंधे को रोकने वाली एजेंसियों को मुंह पर ताला लगाये रखने के एवज में पैसे दिये जाते हैं.
20 करोड़ से ज्यादा की वसूली
बिहार में दवा की खुदरा और थोक दुकानों की संख्या 42186 है. इसमें खुदरा दुकानों की संख्या 28600 है. सूत्र बताते हैं कि एक खुदरा दुकान को साल में दो बार तीन से छह हजार रुपये देना होता है. अगर मान लें कि एक दुकान से तीन हजार रुपये की वसूली होती तो साल में यह राशि छह हजार रुपये होती है. राज्य में 28600 खुदरा दवा की दुकानें हैं. यानी सिर्फ खुदरा दुकानों से 17 करोड़ 16 लाख की अवैध वसूली होती है.
अवैध दवा के कारोबार पर अंकुश लगाने के लिये हमेशा से कोशिश रहती है, लेकिन जिस तरह से मिस ब्रांडेड दवा दुकान व गोदाम से मिल रही है, यह हमारे लिए भी परेशानी की बात है. छोपमारी के बाद जो दवा नकली मिलेगी या एक्सपायी मिलेगी, उनका लाइसेंस रद्द होगा और उन पर कार्रवाई होगी.
रमेश प्रसाद, बिहार स्टेट ड्रग कंट्रोलर
दवा कंपनियां डॉक्टरों को हर तरह से प्रलोभन देती है और उपकार के एवज में बिना जरूरत भी दवाएं लिखी जाती हैं. दवा व्यवसाय में गिफ्ट कल्चर ही भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहा है. अब ज्यादातर डॉक्टरों ने अपने सगे-संबंधियों के नाम पर दवा कंपनी खोल दी है. उनका जोर उस कंपनी की दवा लिखने पर होता है. ऐसे में बाजार में हर तरह की दवा की मांग बढ़ गयी है़
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement