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छात्राएं 1100, कमरे 8, कैसे पढ़ें

पटना: सरकार शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए प्रयत्नशील है, लेकिन प्रयास के अनुरूप परिणाम नहीं दिख रहा है. शिक्षा निजी विद्यालयों तक सिमटती जा रही है. सवाल यह है कि ऐसी स्थिति क्यों बन रही है? सिर्फ योजना बना देने से काम नहीं चलेगा. योजनाएं कितनी क्रियान्वयित हुईं. उनकी तह तक जाना होगा. मानव […]

पटना: सरकार शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए प्रयत्नशील है, लेकिन प्रयास के अनुरूप परिणाम नहीं दिख रहा है. शिक्षा निजी विद्यालयों तक सिमटती जा रही है. सवाल यह है कि ऐसी स्थिति क्यों बन रही है? सिर्फ योजना बना देने से काम नहीं चलेगा. योजनाएं कितनी क्रियान्वयित हुईं. उनकी तह तक जाना होगा. मानव संसाधन विभाग का एक बड़ा विंग है. क्या विभाग के मातहत अधिकारियों की यह जिम्मेवारी नहीं बनती है कि हर पहलू की कड़ी निगरानी हो. राज्य के अधिकतर स्कूलों में आधारभूत संरचना की कमी है. कहीं बैठने को बेंच नहीं, कहीं जजर्र भवन, तो कहीं पेयजल व शौचालय की व्यवस्था नहीं है. प्रभात खबर संवाददाता ने राजधानी के कन्या मध्य विद्यालय गोलघर, मध्य विद्यालय महुआबाग जगदेव पथ, मध्य विद्यालय जलकतरबाग व सर्वदानंद मध्य विद्यालय,चंदेरिया, पटना सिटी का जायजा लिया.

आधारभूत संरचना की कमी: गोलघर कन्या मध्य विद्यालय में 1100 छात्राएं हैं, जबकि कमरे आठ हैं. एक कमरा बैठक के लिए है. एक कमरे में 100 छात्राएं पढ़ती हैं.

ऐसी ही स्थिति मध्य विद्यालय महुआ बाग की है, जहां 500 बच्चों पर मात्र दो कमरे हैं. स्कूलों में आधारभूत संरचना का अभाव है. मध्य विद्यालय, महुआबाग में पेयजल की व्यवस्था नहीं है. कहीं बेंच हैं,तो कहीं डेस्क नहीं. बच्चे जमीन पर पढ़ाई करने को विवश हैं. चहारदीवारी नहीं होने के कारण जानवर व बाहरी लोगों का आवागमन होता रहता है. शौचालय की भी सुविधा नहीं है.

जजर्र है विद्यालय: मध्य विद्यालय जलकतरा बाग विद्यालय की स्थिति काफी खराब है. विद्यालय 93 वर्ष पुराना है. मरम्मत नहीं होने के कारण विद्यालय जजर्र है. ऐसी स्थिति में यहां पढ़ाई करना जोखिम भरा है. बावजूद पढ़ाई हो रही है. कुछ कमरे ठीक-ठाक स्थिति में हैं. सर्वदानंद मध्य विद्यालय,चंदोरिया की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है. इस कारण विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति काफी कम है.

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