पटना: बिहार कैबिनेट के युवा मंत्री तेजप्रताप यादव सोमवार को स्वास्थ्य विभाग की कमान संभाल लेंगे. स्वास्थ्य विभाग आम लोगों के दुख-दर्द से सीधा जुड़े होने से काफी महत्वपूर्ण स्थान रखता है. दूसरे विभागों की तरह स्वास्थ्य विभाग में भी बड़ी चुनौतियां हैं. इसकी सबसे बड़ी चुनौती जन सामान्य को नि:शुल्क दवाएं मुहैया कराना है. दवाओं की खरीद नहीं हो पाने से पिछले एक-डेढ़ साल से मेडिकल कॉलेजों से लेकर पीएचसी तक में दवाओं की भारी कमी है. साथ ही अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी, मरीजों से व्यवहार, नये उपकरण की उपलब्धता, पुराने उपकरणों की मरम्मती सहित कई चुनौतियां हैं, जिनका नये स्वास्थ्य मंत्री को सामना करना होगा.
बिहार में नौ मेडिकल कॉलेज हैं और तीन नये कॉलेज खोलने की तैयारी पूरी हो चुकी है, लेकिन इन कॉलेजों का निरीक्षण नहीं हो पाया है. इसके अलावा अस्पतालों में मिलनेवाली जांच की सुविधा भी अधिकतर जिलों में बंद है और जहां चल रही है, वहां इतनी लापरवाही है कि मरीजों को सरकारी अस्पताल छोड़ निजी अस्पताल में जाकर पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं.
स्वास्थ्य मंत्री के सामने ये हैं चुनौतियां
बिहार के अस्पतालों में मरीजों को दवाइयां पिछले एक साल से नहीं मिल रही हैं. दवा खरीद को लेकर कई बैठकें हुईं, लेकिन आज तक काम पूरा नहीं हो पाया और मरीजों को हर दिन बिन दवा अस्पताल से लौटना पड़ रहा है. दवा खरीदने की जिम्मेवारी बीएमएसआइसीएल को सौंपी गयी है, लेकिन वह भी कुछ नहीं कर पा रहा है.
पटना आयुर्वेद व तिब्बती कॉलेज तथा मुजफ्फरपुर होमियोपैथ कॉलेज में शुरू हाेना है इलाज.
प्रत्येक जिले के दो अतिरिक्त अस्पतालों में लोक निजी भागीदारी से एमआरआइ, सिटी स्कैन मशीनों को लगाना (यह योजना जनवरी, 2014 में बनायी गयी थी).
सभी 36 जिला अस्पतालों में सीटी स्कैन को शुरू किया जाना (यह योजना जनवरी, 2014 में बनायी गयी थी).
सभी चिकित्सा महाविद्यालय अस्पतालों एवं 36 जिला अस्पतालों में लोक निजी भादीगारी के तहत डायलेसिस की सुविधा शुरू करना (यह योजना जनवरी, 2014 में बनायी गयी थी).
एनएमसीएच परिसर में जननी एवं शिशु के लिए 100 बेड वाले सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल की स्थापना. साथ ही अन्य चिकित्सा महाविद्यालय अस्पतालों में जननी एवं शिशु के बेहतर चिकित्सीय सुविधा के लिए 100 बेड यूनिट की स्थापना. (यह योजना जनवरी, 2014 में बनायी गयी थी).
चिकित्सा महाविद्यालयों में लोड को कम करने के लिए सामान्य चिकित्सा सेवा के लिए आधुनिक अस्पतालों का निर्माण करना, इसमें दानापुर अनुमंडलीय अस्पताल, दरभंगा जिला अस्पताल एवं फुलवारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में सौ-सौ बेड बढ़ाये जाने हैं. वहीं गुरु गोविंद सिंह अस्पताल को 300 बेड का किया जाना है (यह योजना जनवरी, 2014 में बनायी गयी थी).
राज्य के प्रत्यके जिले के दो अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में रेडियोलॉजी एवं पैथोलॉजी की सेवा शुरू करना (यह योजना जनवरी, 2014 में बनायी गयी थी).
राज्य के 53 प्रखंडों में न्यूनतम एक-एक अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का 24X7 की तर्ज पर संचालन (यह योजना जनवरी, 2014 में बनायी गयी थी).
बिहार के सभी जिलों में 102 व 108 सेवा की सुविधा मौजूद नहीं है. (यह योजना जनवरी, 2014 में बनायी गयी थी).
डॉक्टरों की सुरक्षा व बिहार में क्लीनिकल एक्ट के तहत निजी नर्सिंग होम का रजिस्ट्रेशन करना.
मेडिकल कॉलेजों सहित जिला अस्पतालों में डॉक्टर व अन्य कर्मचारी पूरी डयूटी करें.
सभी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस कॉलेजों की सीट को बरकरार रखना व सीट बढ़ा कर 250 करना.
एमसीआइ के मुताबिक अस्पतालों में शिक्षक व चिकित्सक की नियुक्ति व प्रमोशन की प्रक्रिया को पूरा करना.
नये तीन मेडिकल कॉलेज को खुलवाना व बाकी मेडिकल कॉलेजों की कमियों को दूर करना.
मेडिकल छात्रों के लिए शोध का दायरा बढ़ाना.