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हॉर्लक्सि विज कड्सि के फिनाले में बिहार का प्रतिनिधत्वि करेंगी साक्षी

हॉर्लिक्स विज किड्स के फिनाले में बिहार का प्रतिनिधित्व करेंगी साक्षी हेल्थ एंड न्यूट्रीशन फॉर अंडर प्रिविलेज चिल्ड्रेन’ प्रोजेक्ट पर पूरा किया कामप्रोजेक्ट का नाम ‘बुनियाद’ है लाइफ रिपोर्टर , पटनापटना के कई स्लम एरिया में हेल्थ कैंप नहीं लगता है. स्लम एरिया में रहने वाले लोगों में हेल्थ अवेयरनेस नहीं है. पैरेंट्स बच्चों को […]

हॉर्लिक्स विज किड्स के फिनाले में बिहार का प्रतिनिधित्व करेंगी साक्षी हेल्थ एंड न्यूट्रीशन फॉर अंडर प्रिविलेज चिल्ड्रेन’ प्रोजेक्ट पर पूरा किया कामप्रोजेक्ट का नाम ‘बुनियाद’ है लाइफ रिपोर्टर , पटनापटना के कई स्लम एरिया में हेल्थ कैंप नहीं लगता है. स्लम एरिया में रहने वाले लोगों में हेल्थ अवेयरनेस नहीं है. पैरेंट्स बच्चों को तो पालते हैं, लेकिन उनकी परवरिश किस प्रकार करनी है यह उन्हें नहीं पता है. स्लम में रहने वाले बच्चे फिजिकली फीट नहीं हैं. यह बातें साक्षी सिंह ने प्रोजेक्ट वर्क पूरा करने के बाद कही. पटना के ईशान इंटरनेशनल गर्ल्स स्कूल में क्लास 11 में पढ़ने वाली साक्षी सिंह हॉर्लिक्स विज किड्स के साउथ एशिया फिनाले में बिहार का प्रतिनिधित्व करने के लिए 12 नवंबर को बेंगलुरु के लिए रवाना होंगी. यह फिनाले 15 से 19 नवंबर तक आयोजित होगा. इसमें शामिल होने से पहले हॉर्लिक्स विज किड्स की तरफ से मिले प्रोजेक्ट वर्क को उन्होंने पूरा कर लिया है. साक्षी ने ‘हेल्थ एंड न्यूट्रीशन फॉर अंडर प्रिविलेज चिल्ड्रेन’ पर काम खत्म कर लिया है. उन्होंने इस प्रोजेक्ट का नाम ‘बुनियाद’ रखा है. उन्होंने कहा कि प्रोजेक्ट के अनुसार ही नाम रखा गया है. सर्वे के लिए शहर के कई इलाकों को सेलेक्ट किया गया. वहां कई बुनियादी सुविधाओं का अभाव पाया गया. साक्षी ने कहा कि कार्यक्रम में बिहार का प्रतिनिधित्व करना है तो इसके लिए खास तैयारी भी कर ली है. पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के साथ-साथ अनेक जानकारियों का संग्रह व बिहार के लिए एक बेहतर स्पीच तैयार कर लिया है. वहां पर बेहतर परफॉर्मेंस देना है. बताते चलें कि साक्षी सिंह पटना में आयोजित हुए हॉर्लिक्स विज किड्स की विजेता रही थीं. इसमें करीब 300 से अधिक स्कूलों के बच्चों ने भाग लिया था. स्लम एरिया में जाकर लोगों को मदद भी करना हैसाक्षी ने कहा कि प्रोजेक्ट पर काम करना काफी पसंद आया. लोगों की समस्याओं को हल करने को लेकर उनसे चर्चा भी की. स्कूलों में इस विषय पर कार्यक्रम भी आयोजित कराया गया था. ताकि स्लम एरिया में लोगों को बेहतर सुविधा और जीवन जीने का रास्ता मिल सके. मुझे हमेशा से लोगों की मदद करने की इच्छा रहती है. इसी पर काम भी करना है. वहां से लौटने पर स्लम एरिया में व्याप्त कई समस्याओं को हल करने पर काम किया जायेगा. कुछ ग्रुप बना कर काम करना है ताकि यहां के बच्चे जागरूक हों और बेहतर जीवनयापन कर सकें. स्लम एरिया में बच्चों को इन्सुलिन भी नहीं दिया जाता है और न ही लोग इसके बारे में जानते हैं. इसके साथ न्यूट्रीशन के अलावा अन्य कमियां भी स्लम एरिया में मौजूद हैं.

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