कोटला पर गंभीर और तिवारी के बीच मैदान पर झडप नयी दिल्ली : फिरोजशाह कोटला स्टेडियम में शनिवार को भद्रलोक का खेल क्रिकेट शर्मसार हो गया. यहां रणजी मैच के दौरान दिल्ली के कप्तान गौतम गंभीर और पश्चिम बंगाल के कप्तान मनोज तिवारी के बीच तीखी झड़प हुई. गंभीर ने तिवारी को धमकी दी और मारने के लिए उनकी तरफ बढ़े और मनोज भी गंभीर की तरफ बढ़ने लगे. इस बीच बीच-बचाव के लिए आगे आये अंपायर श्रीनाथ को भी गंभीर ने धक्का दे दिया. क्या है मामला यह घटना आठवें ओवर की है, जब पार्थसारथी भट्टाचार्य को मनन शर्मा ने आउट किया था. तिवारी चौथे नंबर पर बल्लेबाजी के लिए उतरे. उन्होंने गेंदबाज को रोका और ड्रेसिंग रूम में हेलमेट लाने का इशारा किया. दिल्ली के खिलाड़ियों को लगा कि वह जान-बूझ कर समय खराब कर रहे हैं. मनन और उनके बीच बहस हुई. अचानक पहली स्लिप में खड़े गंभीर आ गये और मनोज तिवारी को गालियां देने लगे. तिवारी ने भी उसी भाषा में जवाब दिया. गंभीर ने कहा , शाम को मिल, तुझे मारूंगा. तिवारी ने भी जवाब दिया, शाम क्या, अभी बाहर चल. बाद में तिवारी ने कहा, मैं गौतम गंभीर का काफी सम्मान करता हूं, लेकिन आज उसने इस तरह के बयान देकर सीमा पार कर दी. उसने व्यक्तिगत बयानबाजी की. मैं स्तब्ध रह गया, क्योंकि शुरुआत मैंने नहीं की थी. वह काफी सीनियर हैं और मैं उनका सम्मान करता हूं.तिवारी ने कहा, मैंने हेलमेट बाउंड्री के पास रखी थी, क्योंकि वह गीला हो गया था और मैं उसे सुखाना चाहता था. सभी ने उसे देखा और मैंने पहले प्रतिक्रिया नहीं दी. उन्होंने मारने की कोशिश की, लेकिन मार नहीं सके. उन्होंने अंपायर को भी धक्का दिया. वीडियो में सब कुछ है. हालांकि, गंभीर ने घटना के बारे में पूछने पर कहा, कुछ नहीं हुआ है. दिल्ली के कोच विजय दहिया ने कहा, जब दोनों कप्तान जुनूनी हों, तो ऐसा होता है. मैच रेफरी इस बारे में फैसला लेंगे. यह पहली या आखिरी बार नहीं हुआ है. बंगाल के गेंदबाज प्रज्ञान ओझा ने कहा, क्रिकेट भद्रजनों का खेल है, लेकिन ऐसी बातें होती रहती है. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. गंभीर ने कहा कि मैंने अंपायर को धक्का नहीं दिया और न ही तिवारी के खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल किया. उन्होंने कहा, मैं हैरान हूं कि मीडिया के कुछ हलकों में कहा गया कि मैंने मैदानी अंपायर को धक्का दिया. यह गलत है. हुआ यह था कि बंगाल के दो विकेट दो रनों पर गिरने के बाद मनोज तिवारी बल्लेबाजी के लिए आया. पहली पारी में पिछड़ने के बाद हम सकारात्मक क्रिकेट खेलना चाहते थे. हमने तिवारी के आस-पास फील्डर लगा कर दबाव बनाने की कोशिश की. उसने गेंद खेलने के लिए ज्यादा समय लिया. मेरे साथी खिलाड़ियों ने तिवारी को समय बरबाद नहीं करने के लिए कहा. उसने दिल्ली के खिलाड़ियों को अपशब्द कहने भी शुरू कर दिये. उसी समय मैं आया और मैंने अपनी राय जाहिर की. अंपायर ने बीच-बचाव करके मामले को संभाला और मसला खत्म हो गया. मैंने अंपायर या तिवारी को कभी धमकी नहीं दी.
कोटला पर गंभीर और तिवारी के बीच मैदान पर झडप
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