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बिहार की घटना पर दलित प्रेम क्यों नहीं जागा : मोदी
सासाराम में दलित लड़कियों से गैंगरेप हुआ हो या लखीसराय में दो दिन पहले मामूली बात पर दलित की हत्या की गयी.नीतीश कुमार और लालू प्रसाद का दलित प्रेम नहीं जगता. वे न पीड़तों को न्याय दिलाते हैं, न उनके आंसू पोछने जाते हैं. दूसरे राज्य की हर घटना पर इनकी संवेदना छलकने लगती है. […]
सासाराम में दलित लड़कियों से गैंगरेप हुआ हो या लखीसराय में दो दिन पहले मामूली बात पर दलित की हत्या की गयी.नीतीश कुमार और लालू प्रसाद का दलित प्रेम नहीं जगता.
वे न पीड़तों को न्याय दिलाते हैं, न उनके आंसू पोछने जाते हैं. दूसरे राज्य की हर घटना पर इनकी संवेदना छलकने लगती है. इन लोगों ने आंसुओं का भी राजनीतिकरण कर दिया है. मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री रह चुकने के बावजूद लालू प्रसाद अमर्यादित भाषा का प्रयोग करते हैं. वे खुलेआम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक के नाम तिरस्कार के साथ लेते हैं.
लालू प्रसाद को बड़ी तकलीफ है कि कभी उनका नाम इज्जत के साथ नहीं लिया जाता था. क्या वही तकलीफ दूसरों को देकर वे अपनी क्षुद्रता दिखा रहे हैं? लालू प्रसाद ने अपने जंगलराज, कुर्ताफाड़ होली और फूहड़ भाषा से हमेशा बिहार को शर्मिंदा किया. नीतीश कुमार बताएं कि लालू की गोद में बैठ कर क्या वे बिहार का सम्मान बढ़ा रहे हैं ?
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