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हमर जे ख्याल रखते, हम भी ओकरे ख्याल रखबई

हमर जे ख्याल रखते, हम भी ओकरे ख्याल रखबईग्राउंड रिपोर्टिंग : फतुहा प्रहलाद, पटना फतुहा विधानसभा क्षेत्र के कोलहर गांव से सटे एक दलित-महादलित की छोटी बस्ती. एक आदमी गमछी की पोटली खोल रहा था और तीन बच्चे वहां खड़े थे. पोटली खुलने के बाद मालूम पड़ता है कि उसमें कच्चा चना है, जो उन […]

हमर जे ख्याल रखते, हम भी ओकरे ख्याल रखबईग्राउंड रिपोर्टिंग : फतुहा प्रहलाद, पटना फतुहा विधानसभा क्षेत्र के कोलहर गांव से सटे एक दलित-महादलित की छोटी बस्ती. एक आदमी गमछी की पोटली खोल रहा था और तीन बच्चे वहां खड़े थे. पोटली खुलने के बाद मालूम पड़ता है कि उसमें कच्चा चना है, जो उन सभी बच्चों को चाहिए था. उसी वक्त हम भी वहां पहुंचे, उस आदमी को बुलाये, पर वह घर में घुस गया. दो-तीन बार बुलाने के बाद जब वह बाहर आता है, ताे उससे हमने पूछा कि चुनाव में वोट डालियेगा. वह मेरी बात ठीक से समझ नहीं पाता है, वहीं मौके पर मौजूद मेरे एक साथी ने पूछा कि चुनाव में वोट करव ना, तब वह धीमी आवाज में कहता है जी करवई. जेकरा तू कहव हम वोट कर देबई. उस समय तक वह आदमी हमें किसी पार्टी का समझ रहा था, लेकिन जब हमने उससे कहा कि हम पटना से अइली हे औ हम अखबार में काम करी ला. तब उस आम आदमी में बदवाल आता है और वह कहता है कि हमर जो ख्याल रखिए, हम भी उनकरे ख्याल रखबई ना. यह वो वोटर है, जो इस बार चुनाव का परिणाम में अपनी अहम भागीदारी निभायेंगे और इसी वोट बैंक को नेता हल्के में लेकर चुनाव लड़ रहे हैं उनको इनका वोट बहुत भारी पड़ने वाला है. चाहे वह महागंठबंधन हो या एनडीए या अन्य पार्टी के नेता. जातीय समीकरण में अगड़ा व पिछड़ा दोनों का वर्चस्व :फतुहा विधानसभा क्षेत्र के जातीय आंकड़े को देखें, तो वहां यादव 90 हजार और राजपूत, भूमिहार व ब्राह्मण को मिलाकर 60 हजार है. इसके बाद कुर्मी, कोयरी, वैश्य, मुस्लिम 50 हजार और पासवान, महादलित, अति पिछड़ा की संख्या 60 हजार है. इस जातीय गणित को लेकर सभी पार्टियां मैदान में हैं. इस समीकरण में 60 हजार वोटर ऐसे हैं, जिनको लुभाने के लिए हर कोई प्रयास में लगा है, लेकिन उनका मूड अभी तक ठीक से प्रत्याशियों के समझ में नहीं आया है. इस कारण से सभी नेताओं की परेशानी बढ़ी हुई है. मुद्दा नेता व जनता किसी के पास भी नहीं : विधानसभा क्षेत्र में चुनाव लड़ने वाले व नेता को चुनाव जिताने वालों के पास कोई मुद्दा नहीं है. पूरे क्षेत्र में बने नेता के प्रचार ऑफिस में बैठे लोग बस अपने नेता को जातीय समीकरण समझाने में जुटे दिखे. दूसरी ओर उस क्षेत्र के वोटरों के पास भी कोई मुद्दा नहीं है. बस उनका मानना है कि उनके जात का नेता या उनके साथ का खड़ा नेता को ही वोट करेंगे. वोटर को इससे मतलब नहीं है कि उनके यहां अस्पताल, स्कूल नहीं है. इस कारण से चुनाव इस बार खुले आम जाति को मुद्दा बना लिया गया है. 14 प्रत्याशी खड़े हैं मैदान में- डॉ रामानंद यादव , राजद- ई सत्येंद्र कुमार सिंह, लोजपा – का शैलेंद्र कुमार यादव, माले- सतीश कुमार उर्फ बच्चा यादव, समाजवादी पार्टी- रंजन कुमार सिंह उर्फ अजय सिंह, बसपा यह हो सकता चुनाव का मुददा – रेफरल अस्पताल का नहीं होना.- महिला विश्विद्यालय व स्टेडियम की मांग.- सिंचाई के लिए टयूबबेल की मांग. – शहर को अतिक्रमण मुक्त करना. – वाहन पड़ाव, सुलभ शौचालय, बच्चों के लिए स्कूल व उसमें शिक्षक की कमी, दलित व महादलित टोलों का विकास .

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