डेढ़ माह से अवसाद में थे संवाददाता, पटना सीनियर ऑडिटर ऑफिसर एचके वर्मा के मौत की पृष्ठभूमि उनके एजी ऑफिस में ही तैयार हुई है. कार्यस्थल पर वह मानसिक तनाव झेल रहे थे और करीब डेढ़ माह से गुमसुम रहते थे. स्वभाव से हंसमुख थे, पर ऑफिस के तनाव ने उन्हें अवसाद में ला दिया था. उनके व्यवहार में बदलाव आ गया था और अॅाफिस के लाेग इसे महसूस कर रहे थे. उन्हें छत से धक्का दे दिया गया है या फिर वह खुद खिड़की से कूद गये, यह तो अनुसंधान का विषय है, पर इतना साफ है कि उनके मौत के जिम्मेदार आफिस की परिस्थितियां ही हैं. उनकी मौत एजी ऑफिस में दिनभर चर्चा का विषय बनी रही. दबी जुबान से स्टाफ के बीच तनाव का जिक्र होता रहा. उनके अवसाद पर बातें होती रहीं. उनके अंदर करीब डेढ़ माह से बदलाव आ गया था. चर्चा यह भी थी कि एचके वर्मा को अाॅफिस के एक पदाधिकारी ने टारगेट कर लिया था. हालांकि ऑफिस के विवाद के बारे में उनकी पत्नी को कुछ खास नहीं पता है. पत्नी और दो बेटियों को छोड़ गये ऑडिटर ऑडिटर एचके वर्मा अपने पीछे पत्नी रीना वर्मा और दो बेटियों को छोड़ गये हैं. बेटियों को पापा से बहुत प्यार था. वह भी बेटियों को बहुत मानते थे. घर में कोई विवाद नहीं था. घर में सबकुछ ठीक चल रहा था. हंसते-खेलते परिवार पर किसी की नजर लगी और अचानक दुखों का पहाड़ सिर पर आ गया. बुधवार को जब मौत की खबर पहुंची, तो पत्नी और बेटियों के होश उड़ गये. सब एक-दूसरे से लिपट कर रोने लगी. पत्नी तो बदहवास हाे गयी. कुछ ही देर में उनके सभी रिश्तेदारों को फोन से जानकारी मिली, सब कोतवाली पहुंच गये. सब लोग उनकी पत्नी व बच्चों को ढांढस बंधा रहे थे. उनका ससुराल गया के टेकारी में है.
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डेढ़ माह से अवसाद में थे
डेढ़ माह से अवसाद में थे संवाददाता, पटना सीनियर ऑडिटर ऑफिसर एचके वर्मा के मौत की पृष्ठभूमि उनके एजी ऑफिस में ही तैयार हुई है. कार्यस्थल पर वह मानसिक तनाव झेल रहे थे और करीब डेढ़ माह से गुमसुम रहते थे. स्वभाव से हंसमुख थे, पर ऑफिस के तनाव ने उन्हें अवसाद में ला दिया […]
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