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बीपीएससी रिजल्ट को लेकर फैसला एक सप्ताह में!

बीपीएससी रिजल्ट को लेकर फैसला एक सप्ताह में!सुप्रीम कोर्ट में पूरी हुई बहस, फैसला सुरक्षितफैसला आने का बाद 56वीं से 59वीं का रिजल्ट होगा जारी लाइफ रिपोर्टर, पटनाबीपीएससी में 56वीं से 59वीं का रिजल्ट कब प्रकाशित होगा, इसका फैसला एक सप्ताह के अंदर हो जायेगा. वहीं 53वीं से 55वीं बीपीएससी पर सुप्रीप कोर्ट क्या फैसला […]

बीपीएससी रिजल्ट को लेकर फैसला एक सप्ताह में!सुप्रीम कोर्ट में पूरी हुई बहस, फैसला सुरक्षितफैसला आने का बाद 56वीं से 59वीं का रिजल्ट होगा जारी लाइफ रिपोर्टर, पटनाबीपीएससी में 56वीं से 59वीं का रिजल्ट कब प्रकाशित होगा, इसका फैसला एक सप्ताह के अंदर हो जायेगा. वहीं 53वीं से 55वीं बीपीएससी पर सुप्रीप कोर्ट क्या फैसला सुनाती है, इसका भी फैसला जल्द हो जायेगा. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में 53वीं से 55वीं केस की बहस सात अक्तूबर को पूरी हो गयी. कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. कोर्ट अपना फैसला एक सप्ताह के अंदर सुनायेगी. 56वीं से 59वीं का रिजल्ट कोर्ट के आदेश के कारण ही जारी नहीं किया गया था. कोर्ट ने साफ तौर पर कह दिया था कि हमारे परमिशन या ऑर्डर के बिना 56वीं से 59वीं की बहाली प्रक्रिया नहीं हो सकती. जबकि सुनवाई प्रक्रिया समाप्त होने के बाद बीपीएससी ने कोर्ट से रिजल्ट जारी करने का परमिशन मांगा, लेकिन कोर्ट ने कहा कि चिंता न करें, एक सप्ताह में फैसला आ जायेगा.इस केस में 17 बहस चली, जिसमें छह व सात अक्तूबर को ओपेन बहस चली थी. समीर सिविल सर्विसेज कोचिंग के डायरेक्टर समीर जी कहा कि सुप्रीम कोर्ट में उपरोक्त केस की सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रखने से अब छात्रों के बीच असमंजस की स्थिति जल्द ही समाप्त होगी. साथ ही आगामी प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी वे लोग पूरे मन से कर सकेंगे, जो बीपीएससी के फैसले का इंजतार कर रहे थे. सुप्रीम कोर्ट में सुनील कुमार एवं अन्य बनाम बीपीएससी एवं अन्य के नाम से केस चल रहा है. केस की पहली सुनवाई सात अप्रैल, 2014 को शुरू हुई थी.यह था पूरा मामला48वीं से 52वीं बीपीएससी के एग्जाम में अधिकतर रिजल्ट दो विषयों दर्शनशास्त्र एवं मानवशास्त्र से हुए थे, क्योंकि इन दोनों विषयों में छात्रों को अधिकतम अंक प्राप्त हुए थे. इस वजह से अन्य विषयों के छात्रों ने बीपीएससी द्वारा उत्तरपत्र के मूल्यांकन प्रद्धति पर सवाल उठाते हुए पटना हाइकोर्ट में केस कर दिया. इस केस पर पटना हाइकोर्ट ने फैसला तो बीपीएससी के पक्ष में दिया, लेकिन साथ ही उसे आगामी परीक्षाओं के उत्तरपत्र के मूल्यांकन पद्धति में समरूपता लाने का निर्देश दिया. 53वीं से 55वीं का मामला उलट गया 53वीं से 55वीं बीपीएससी एग्जाम हुए. एग्जाम में उत्तरपत्र का मूल्यांकन बीपीएससी ने नये स्केलिंग पैटर्न पर किया. इस परीक्षा में दर्शनशास्त्र ए‌वं मानवाशास्त्र के छात्र कुल 1063 सीटों में से नहीं के बराबर सफल हो सके. अधिकांशत: इतिहास, हिंदी, भूगोल, श्रम एवं समाज कल्याण विषय के छात्र सफल हुए. परिणमत: दर्शनशास्त्र, मानवशास्त्र एंव अन्य विषय के छात्रों ने पटना हाइकोर्ट में अलग-अलग कई केस किये. उपरोक्त मामलों से संबंधित छह केसों की सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट ने तीन जनवरी, 2014 को फैसला बीपीएससी के पक्ष में दिया. हाइकोर्ट के फैसले के बाद छात्रों ने अप्रैल, 2014 में सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. केस ‘सुनील कुमार ए‌वं अन्य बनाम बिहार लोक सेवा आयोग एवं अन्य’ के नाम से चला. इसकी सुनवाई सात अक्तूबर को पूरी हो गयी. अब छात्रों के साथ बीपीएससी को भी फैसले का बेसब्री से इंतजार है. यह दुर्भाग्य हैसमीर सिविल सर्विसेज कोचिंग के डायरेक्टर समीर जी ने कहा कि बिहार और बिहार के प्रतियोगी छात्रों का यह दुर्भाग्य है कि राज्य स्तरीय लगभग हर प्रतियोगिता परीक्षा विवादग्रस्त होकर हाइकोर्ट एंव सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच जाती है. इसके चलते बीपीएससी संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा का परिणाम क्लियर होते-होते लगभग पांच वर्ष लग जाता है. बिहार एसएससी से संबंधित लगभग 10 हजार केसेज कोर्ट में विचाराधीन हैं. यह स्थिति बिहार जैसे गरीब राज्य के छात्रों के साथ भद्दा मजाक है. इसलिए यह आवश्यक है कि बीपीएससी एवं बीएसएससी अपनी कार्य पद्धति में सुधार लाए.

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