पटना सिटी : शहर के निकट आयी गंगा में सालों भर पानी का लेवल कायम रहे, इसके लिए भारतीय अंतरदेर्शीय जलमार्ग प्राधिकरण की ओर से दीघा घाट से महेंद्रू घाट के बीच में हाइड्रो ग्राफिक सर्वे व ड्रेिंजंग कार्य कराया जा रहा है. गंगा में गिरनेवाले नालों का कचरा कार्य के दरम्यान ड्रेनेज मशीन में फंस रहा है. इस वजह से कार्य करने में परेशानी हो रही है. इतना ही नहीं कार्य में लगे लोगों को भी दुर्गंध की वजह से काम करने में परेशानी हो रही है.
क्या है मामला
पटना उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में गंगा नदी को पटना शहर के समीप लाने के लिए दीघा घाट से महेंद्रू घाट के बीच में जल संसाधन विभाग ने 7.1 किलोमीटर लंबे व 30 मीटर चौड़े नहर की खुदाई का कार्य कराया था. खुदाई कार्य पूरा होने के बाद भारतीय अंतरदेर्शीय जलमार्ग प्राधिकरण की ओर से हाइड्रो ग्राफिक सर्वे कार्य करा गंगा का जल स्तर शहर के समीप में चैनल खोल लाया गया. गंगा का पानी तट के निकट आने के बाद गंगा का पानी सालों भर कायम रहे, इसके लिए कार्य चल रहा है.
दर्जनों नालियां गिरती हैं गंगा में :
जानकारों की मानें, तो दीघा घाट से महेंद्रू घाट के बीच में गंगा नदी में चार बड़े नाले व दर्जनों छोटी नालियां गिरती हैं. कुर्जी, राजापुर, मंदिरी व अंटा घाट के पास चार बड़े नाले हैं. इन नालों से बह कर आनेवाले पॉलीथिन, सिल्ड व पशुओं के मृत शरीर ड्रेनेज मशीन में फंस रहे हैं. इस कारण कार्य करनेवाले लोगों को परेशानी हो रही है. इतना ही नहीं कुछ जगहों पर तो निगम की ओर से गंगा किनारे ट्रैक्टर से कूड़ा गिराया जा रहा है.
जरूरत स्क्रिनिंग की
भारतीय अंतरदेर्शीय जलमार्ग प्राधिकरण के निदेशक रविकांत ने बताया कि पानी की गहरायी मापने के लिए ग्लोबल प्रीमियम सिस्टम व इको साउंड सिस्टम क इस्तेमाल किया जाता है. इसी तकनीक को हाइड्रो ग्राफिक सर्वे कहा जाता है.
इसके बाद पानी का लेवल तीन मीटर तक गहरा रहे, इसके लिए ड्रेजिंग कार्य कराया जाता है. ड्रेजिंग में हो रही परेशानी के बारे में पूछने पर निदेशक ने बताया कि गंगा में बह रहे नाले के पानी को ऊपर में ही स्क्रिनिंग कर गंदगी को छान लिया जाये, तो काफी हद तक समस्या का समाधान हो सकता है.