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चार करोड़ रुपये हुए खर्च पर नहीं बदली सूरत
मौर्यालोक में सौंदर्यीकरण के नाम पर पैसे का घालमेल पटना : राजधानी के सबसे बड़ा और नगर निगम का एकमात्र मार्केटिंग कॉम्प्लेक्स जर्जर अवस्था का शिकार हो गया है. हाइकोर्ट की पहल पर पिछले साल अक्तूबर में चार करोड़ रुपये की लागत से इसका मेंटेनेंस पूरा हुआ, लेकिन उसकी तनिक भी झलक इसमें नहीं दिखती […]
मौर्यालोक में सौंदर्यीकरण के नाम पर पैसे का घालमेल
पटना : राजधानी के सबसे बड़ा और नगर निगम का एकमात्र मार्केटिंग कॉम्प्लेक्स जर्जर अवस्था का शिकार हो गया है. हाइकोर्ट की पहल पर पिछले साल अक्तूबर में चार करोड़ रुपये की लागत से इसका मेंटेनेंस पूरा हुआ, लेकिन उसकी तनिक भी झलक इसमें नहीं दिखती है.
मेंटेनेंस को लेकर चयनित एजेंसी ने सिर्फ रंग-रोगन और फर्श पर टाइल्स बिछा कर चार करोड़ का बिल बनाया और भुगतान लेकर चलते बने. एकरारनामा के मुताबिक मेंटेनेंस को लेकर जितने काम किये जाने थे, उसका एक काम भी शत-प्रतिशत पूरा नहीं हुआ. यही वजह है कि परिसर की हालत आज भी जर्जर बनी हुई है.
जगह-जगह टपक रहा बारिश का पानी :चयनित एजेंसी को वाटर प्रूफिंग वर्क करना था, ताकि बारिश होने पर दीवार में रिसाव नहीं हो और बारिश का पानी टपके नहीं. एजेंसी ने मौर्यालोक बिल्डिंग की छत पर वाटर प्रूफिंग का वर्क पूरा कर लिया है, लेकिन परिसर के तीन ब्लॉकों में बारिश का पानी टपक ही रहा है. स्थिति यह है कि एक स्थान पर तो उधर से गुजरनेवाले लोगों के शरीर पर भी पानी टपकता है. इसकी वजह से दीवार पर काई लग गयी है, जो गंदा दिख रहा है.
कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा
परिसर छह ब्लाॅकों में विभाजित है. इन सभी ब्लॉकों में विद्युत तार की स्थिति जर्जर है. आलम यह है कि परिसर में विद्युतीकरण के लिए बिछाये गये तार जाल की तरह उलझे हुए हैं.
इस स्थिति में कभी भी शॉर्ट सर्किट से आग लग सकती है. परिसर के दुकानदारों ने अपने खर्च पर तो दुकानों के अंदर बेहतर केबलिंग कर ली है, लेकिन बाहर में देखनेवाला कोई नहीं है. बेतरतीब ढंग से उलझे विद्युत तार से कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. यह स्थिति तब है, जब नगर आयुक्त जय सिंह ने कई बार विद्युत केबल को दुरूस्त करने का निर्देश दे चुके हैं.
हाइकोर्ट की पहल पर हुई थी मरम्मत
मौर्यालोक परिसर के स्थापनाकाल से कभी भी मेंटेनेंस नहीं किया गया. नगर आवास एवं विकास विभाग ने मौर्यालोक परिसर का लुक बदलने को लेकर 65 करोड़ रुपये की योजना बनायी थी, लेकिन इसकी शुरुआत में विलंब होने पर मौर्यालोक शॉप कीपर कल्याण एसोसिएशन ने हाइकोर्ट में रिट दायर की. इसके बाद कोर्ट ने चार माह में मौर्यालोक परिसर को दुरुस्त करने का आदेश दिया, तो आनन-फानन में बुडको ने एजेंसी का चयन किया और परिसर में सौंदर्यीकरण का कार्य शुरू किया गया.इन कार्यों को होना था
मौर्यालोक परिसर का लुक भी बेहतर करना था. इसको लेकर बुडको ने चयनित एजेंसी के साथ एकरारनामा किया. एकरारनामे की सेवा-शर्त के अनुसार फ्लोरिंग वर्क, फिनिशिंग वर्क, वाटर प्रूफिंग वर्क, इंटरनल व एक्सटर्नल वाटर सप्लाइ, ठोस कचरा व वेंट पाइप, एक्सटर्नल सीवरेज सिस्टम व स्टोर्म वाटर सिस्टम, सैनेटरी इंस्टॉलेशन, एक्सटर्नल इलेक्ट्रिक लाइट वर्क, सभी ब्लाॅक के विद्युत तार को दुरूस्त करना आदि काम किये जाने थे. सभी कामों को अक्तूबर तक हर हाल में पूरा कर देना था.
चयनित एजेंसी ने कागज पर सारे कार्य पूरे भी कर लिये और इसके एवज में राशि भी उसे भुगतान कर दी गयी. लेकिन, रंग-रोगन के अलावा कुछ भी पूरा नहीं हुआ है.
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