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बिहार विधानसभा चुनाव में जाली नोट का जलवा

पटना :बिहार विधानसभा चुनाव पर जाली नोट के कारोबारियों की नज़रें टिकी हुई हैं. खबर है कि जाली नोटों की भारी खेप बिहार विधानसभा में खपाने की जुगत में है. ऐसी रिपोर्ट खुफिया विभाग के पास से छनकर आ रही है. जिसके बाद से पूरे बिहार में प्रशासन को जाली नोटों के मामले को लेकर […]

पटना :बिहार विधानसभा चुनाव पर जाली नोट के कारोबारियों की नज़रें टिकी हुई हैं. खबर है कि जाली नोटों की भारी खेप बिहार विधानसभा में खपाने की जुगत में है. ऐसी रिपोर्ट खुफिया विभाग के पास से छनकर आ रही है. जिसके बाद से पूरे बिहार में प्रशासन को जाली नोटों के मामले को लेकर एलर्ट कर दिया गया है.

विधानसभा चुुनाव के दौरान जाली नोटों का जलवा देखने को मिल सकता है. इसके लिए जाली नोट तस्करों ने कमर कस ली है. हाल में बिहार के कई जिलों में धड़ल्ले से बरामद हो रहे जाली नोट इसके प्रमाण हैं.
विभाग ने बिहार के मुजफ्फरपुर,सीतामढ़ी और रक्सौल को जाली नोट तस्करों के लिए ट्रांजिट रूट बताते हुए प्रशासन को अलर्ट रहने की हिदायत दी है. गौरतलब हो कि 2008 में मुजफ्फरपुर कस्टम के तत्कालीन आयुक्त रहे एस. के सिंह ने मुजफ्फरपुर को जाली नोटों का ट्रांजिट रूट करार दिया था. तब से लेकर अबतक मुजफ्फरपुर इलाके से दर्जनों बार फेक करेंसी बरामद हो चुकी है.
किशनगंज के सामाजिक कार्यकर्ता और व्यवसायी कृष्ण कुमार वैद्य बताते हैं कि स्थानीय नेताओं की स्वार्थ भरी राजनीति की वजह से किशनगंज पूरी तरह राष्ट्रद्रोही गतिविधियों का अड्डा बनते जा रहा है. यहां कोई भी अपराधी और आतंकवादी चंद पैसे खर्च करके छुप सकता है. कोई भी गलत काम कर सकता है.
खुफिया विभाग की जानकारी के मुताबिक जाली नोटों के तस्करी और बाजार में चलाने का ट्रेंड भी बदला है. पहले फटेहाल कैरियर ही बाजारों में नोट सप्लाई करते थे. लेकिन अब स्मार्ट पर्सान्लिटी के युवक भी मॉल और स्थानीय गल्ला व्यवसायियों को फेक करेंसी सप्लाई करते हैं. स्थानीय बाजार के अलावा इन नोटों को वोटरों को खरीदने के लिए भी यूज किया जाता है.
सीमांचल के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बांग्लादेश से भारत नोट लाने के लिए किशनगंज जिले के बांग्लादेश सीमा से सटे गांव ग्वालिन का सहारा लिया जाता है. ग्वालिन गांव के कुछ निवासियों की जमीन बांग्लादेश के अंदर है। जहां आपसी समझौते की वजह से सीमा पार ग्वालिन गांव के लोग खेती करने जाते हैं. और देर शाम लौटकर आते हैं. बीएसएफ की कड़ी निगरानी में उसपार जाने वाले लोग बैलगाड़ी भी ले जाते हैं और मिट्टी काटकर ले जाना ले आना उनका काम है. इन्हीं लोगों को पैसे का लालच देकर सीमा के अंदर नोटों को लाया जाता है.

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