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लापरवाही. बीएन कॉलेज के भवन का अधिकतर हिस्सा जजर्र, कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा पटना : पटना विश्वविद्यालय के बीएन कॉलेज में प्रतिदिन डर के साये में कक्षाएं चलती हैं. कब व कहां से कौन-सा प्लास्टर का टुकड़ा आ कर किस छात्र के माथे पर आकर गिर जाये कोई नहीं कह सकता. हाल […]

लापरवाही. बीएन कॉलेज के भवन का अधिकतर हिस्सा जजर्र, कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा
पटना : पटना विश्वविद्यालय के बीएन कॉलेज में प्रतिदिन डर के साये में कक्षाएं चलती हैं. कब व कहां से कौन-सा प्लास्टर का टुकड़ा आ कर किस छात्र के माथे पर आकर गिर जाये कोई नहीं कह सकता. हाल के दिनों में ऐसी घटनाएं कई बार हो चुकी हैं और छात्र बाल बाल बचे हैं. कॉलेज के भीतर कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है.
शनिवार को भी ऐसी घटना हुई, जब पॉलिटिकल साइंस के क्लास में छत का टुकड़ा गिरा. इससे पहले बॉटनी, प्रशासनिक भवन, केमेस्ट्री विभाग के क्लास में भी सीमेंट का चट उखड़ कर गिर चुका है.
इससे पहले जनवरी में भी छत का टुकड़ा गिरा था. मालूम हो कि बीएन कॉलेज का मुख्य प्रशासनिक भवन काफी पुराना और बहुत जजर्र हो चुका है. वहीं बरसात में भवन से पानी टपकता है. कॉलेजमें करीब चार हजार से अधिक स्टूडेंट्स पढ़ते हैं. हाल में भूकंप आया था, उस समय भी कॉलेज में काफी दरारें पड़ गयी थीं.
रंग-रोगन पर एक करोड़ खर्च
बिहार एजुकेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन द्वारा अभी हाल में करीब एक करोड़ रुपये की लागत से बाहरी मरम्मती व रंगरोगन तो किया गया, लेकिन भवन में भीतरी मरम्मती का काम ठीक से नहीं हुआ.
भवन का छत काफी खराब स्थिति में है और मजबूती के साथ उसकी मरम्मती का आवश्यकता है. यह भवन लंबे समय से अपने जीर्णोद्धार की राह देख रहा है. कॉलेज का सेमिनार हॉल की मरम्मती कुछ दिन पहले ही हुई थी, लेकिन इसकी छत हल्की बारिश में ही टपकने लगी. भीतर से भवन का खस्ता हाल है.
सौ साल पुराना है भवन
यह भवन करीब सौ साल पुराना है. छिटपुट मरम्मती के अलावा कभी इसका पूरा रिनोवेशन नहीं हुआ है. लाइब्रेरी की हालत और भी जजर्र है. कंपाउंड की हालत भी बेहतर नहीं है. सड़कें भी काफी जजर्र हैं.
मैदान भी काफी उबर-खाबड़ है. कॉलेज के अनुसार कॉलेज भवन के भीतर के रिनोवेशन के लिए करीब छह करोड़ रुपये का एस्टीमेट बना कर बिहार गवर्नमेंट को भेजा जा चुका है, लेकिन कुछ नहीं हुआ.अभी हाल में जब छत का टुकड़ा गिरा था, तो यूनिवर्सिटी इंजीनियरों ने दौरा किया था, लेकिन कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया गया.
कुछ ही दिनों में कई जगहों से छत का प्लास्टर गिरा है. कोई एक जगह हो तो बताएं. भवन की मरम्मती के लिए कॉलेज में फंड की काफी कमी है. सरकार को भवन की मरम्मती के लिए लिखा जा चुका है. वहीं यूनिवर्सिटी को भी लिखा गया है. हम पूरी तरह से सरकार पर निर्भर हैं. पूर्व में सरकार की ओर से काम कराया गया था, लेकिन उस समय सिर्फ रंगरोगन और बाहरी मरम्मती ही हो पायी.
राजकिशोर प्रसाद, प्राचार्य, बीएन कॉलेज

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