पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को राज्य सरकार का रिपोर्ट कार्ड करते हुए कहा कि उन्होंने लोगों के विकास पर ध्यान पर देते हुए बिहार में कानून का राज कायम किया है. उन्होंने कहा कि राज्य की पहली जवाबदेही शांति व्यवस्था बहाल करना होती है और हमने अपने शासन के दौरान इसे पूरा किया है. उन्होंने कहा कि बिहार में हर क्षेत्र में विकास हुआ है. जिसकी दुनिया भर में सराहना की गयी. हालांकि कुछ लोगों को बिहार में विकास दिखाई नहीं दे रहा है और वे इस संबंध में गलत तरीके से भ्रम फैलाने की कोशिश में जुटे है. नीतीश ने कहा कि आज बिहार की छवि पूरे देश में सुधरी है जिसका फायदा राज्य को मिला है. इस मौके पर नीतीश कुमार ने विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की जनता के लिए तोहफों की बरसात कर दी.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सीएम संवाद कक्ष में आज राज्य सरकार का रिपोर्ट कार्ड जारी करते हुए कहा कि बीते करीब साढ़े नौ वर्षो के दौरान बिहार में हर क्षेत्र में विकास हुआ है. मुख्यमंत्री ने कहा कि हम शासन के दसवें साल में है और हमने सत्ता में रहते हुए जो कुछ भी किया है उसको आज जनता के सामने पेश करने का उचित मौका है. उन्होंने कहा कि 2005 में पहली बार सत्ता में आने के साथ ही हमारी सरकार ने सुशासन के कार्यक्र मों पर अमल करने का निर्णय लिया था. 2010 में पुन: सत्ता में आने के साथ ही हमने इससे जुड़े कार्यक्र मों को फिर से लागू किया. जिसका नतीजा आज सबके सामने है. राज्य में पहले लोग अपने घरों से बाहर निकलने में डरते थे. लेकिन आज बिहार के बाहर से आने वाले लोग भी बेखौफ होकर राज्य में कही भी यात्र पर निकल जाते है और उन्हें किसी प्रकार का डर नहीं लगता है.
उन्होंने कहा कि राज्य की पहली जवाबदेही शांति व्यवस्था बहाल करने की होती है और हमने 2005 में सत्ता आने के साथ ही जनता से इसे बहाल करने का वादा किया था. आज 2015 में मैंने अपने इस वादे को पूरा कर दिया है. लोगों के मन से असुरक्षा की भावना को निकालने में हमने सफलता पायी है. ऐसा होने से बिहार के बाहर भी राज्य की छवि सुधरी है और लोग कहने लगे है कि बिहार बदल गया है. उन्होंने कहा कि बिहार प्रगति के रास्ते पर चल पड़ा है. जिसका फायदा राज्य को मिलने भी लगा है. नीतीश ने कहा कि शिक्षा, बिजली व्यवस्था समेत अनेक क्षेत्रों पर सरकार ने गंभीरता से काम किया है. जिसका असर साफ तौर पर देखा जा सकता है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि लोगों ने हमे मौका दिया और हमने काम किया है. दुनिया भर में बिहार के विकास व प्रगति को लेकर चर्चा हो रही है. हालांकि कुछ लोगों को बिहार में विकास दिखाई नही दे रहा है. उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाते हुए कहा कि बिहार में विकास को लेकर बुरी तरीके से भ्रम फैलाने की कोशिश की जा रही है जिससे राज्य की छवि पर असर पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि बीते दस वर्षो के दौरान महादलितों, संवर्णो व अल्पसंख्यकों का भी विकास हुआ है.
नीतीश ने इस तरह सरकार से रखी अपनी उपलब्धियां
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी सरकार के दस साल के कार्यकाल की लेखा जोखा में बताया कि भ्रष्टाचार के विरुद्ध बड़ी कार्रवाई की गयी. 2005 में नियमावली में परिवर्तन के बाद गलत ढ़ंग से धनोपाजर्न करने, रंगे हाथों रिश्वत लेते पकड़े जाने वाले के साथ साथ पद के दुरुपयोग करने वाले 1032 मामलों में 763 कर्मियों को गिरफ्तार किया गया. 487 कर्मियों की सेवा बरखास्त और पेंशन जब्त किया गया और 119 कर्मियों को अन्य दंड दिया गया. भ्रष्टाचार मामले में ही 664 राजपत्रित पदाधिकारियों के विरुद्ध अभियोजन की स्वीकृति दी गयी. भ्रष्टाचार से निबटने के लिए छह विशेष न्यायालय का गठन (पटना, भागलपुर, मुजफ्फरपुर में कार्य शुरू) किया गया.
सुशासन के कार्यक्रम के
232 जनता दरबार के कार्यक्रम का हुआ आयोजन, इसमें 253510 से आवेदन मिले. निबटाये गये 204664 आवेदन.
मुख्य सचिव जन शिकायत कोषांग में जून 2015 तक 36114 मिले आवेदनों में से 25708 आवेदनों का निष्पादन.
बिहार जन शिकायत निवारण प्रणाली के कार्य को भारत सरकार ने दिसंबर 2012 में वेब रत्न अवार्ड सम्मान मिला.
शिक्षा के क्षेत्र उपलब्धियां
बच्चों को स्कूल लाने में मिली बड़ी उपलब्धि, अब 1.72 प्रतिशत बच्चे स्कूल से बाहर, 2005 में 12 प्रतिशत बच्चे स्कूल से बाहर थे. स्कूल चलो कार्यक्रम में 3.70 लाख बच्चे, प्रयास केंद्र के माध्यम से 12 लाख बच्चे, मकतब मदरसा नवाचारी केंद्र के माध्यम से अल्पसंख्यक मुसलिम समुदाय के लगभग 1.41 लाख बच्चे, तालीमी मरकज केंद्र के माध्यम से 85 हजार बच्चे, उत्थान केंद्र के माध्यम से महादलित समुदाय के लगभग छह लाख बच्चे एवं उत्प्रेरण केंद्र के माध्यम से लगभग 3.77 लाख बच्चे को मुख्य धारा से जोड़ा गया. 2014-15 में 1.5 करोड़ बच्चों को पोशाक और पुस्तकें दिया गया. 2007-08 से अब तक 40 लाख लड़कियों को दिया गया साइकिल खरीदने के लिए राशि. 2009-10 से अब तक नौवें वर्ग के 39 लाख छात्रों को साइकिल योजना का लाभ मिला. 98 लाख छात्रों को मिड डे मिल दिया जा रहा है. शिक्षकों की संख्या 2005 में 2.8 लाख थी, अब शिक्षकों की संख्या 4.7 लाख हो गया.
सड़क और पुल पुलियों का निर्माण
– 2006 से अब तक ग्रामीण कार्य विभाग और पथ निर्माण विभाग ने 66508.46 किमी से अधिक सड़क निर्माण,
– 5431 बड़े पुलों का निर्माण
– मुख्यमंत्री सेतु निर्माण योजना के तहत 4689, राज्य निधि से 257 और अन्य योजना के तहत 235 लघु पुल-पुलियों का निर्माण
– चार मेगा पुल और पटना शहर के बेली रोड शेखपुरा मोड़ से जगदेव पथ मोड़ के बीच फ्लाइ ओवर का निर्माण.
-मीठापुर फ्लाइ ओवर, चिरैंया टांड़ ऊपरी पुल से गांधी मैदान तक फ्लाइ ओवर का निर्माण, आरा-डोरीगंज गंगा पुल का निर्माण, गया-मानपुर के बीच फल्गू नदी पर छह लेन का पुल.भागलपुर जिला के सुलतानगंज और खगड़िया जिला के अगुआनी घाट पर गंगा नदी प पुल सहित छह बड़े पुलों का निर्माण. स्पेशल प्लान के तहत 10 वीं, 1 1वीं और 12 वीं पंचवर्षीय योजना में अब तक 2042.84 किमी राज्य उच्च पथों का चौड़ीकरण हुआ. सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम के तहत 146.94 किमी लंबाई में 7328.46 लाख की लागत से पक्की सड़क तैयार, 478.79 लाख रुपये की लागत से 28 पुल कल्भर्ट का निर्माण पूरा.
बिजली के क्षेत्र की उपलब्धियां
39073 गांवों में से 36504 गांवों का विद्युतीकरण हुआ. बिजली चोरी के खिलाफ 35747 प्राथमिकी दर्ज की गयी. 5.9 लाख आवेदनों में से 5.4 लाख आवेदकों को बिजली कनेक्शन दिया गया. 2005 में शहरी क्षेत्र में 6-8 घंटे और ग्रामीण क्षेत्र में दो-तीन घंटे बिजली मिलती थी, अब औसत उपलब्धता शहरी क्षेत्र में 22 से 24 घंटे और ग्रामीण क्षेत्र में 15-16 घंटे है. बिजली की खपत प्रति व्यक्ति 2005 में 70 यूनिट था अब यह खपत 203 यूनिट हो गया. 2005 में बिजली का उत्पादन 700 मेगावाट था अब यह 3012 मेगावाट हो गया है. 2010-15 तक 46564 ट्रांसफार्मर बदले गये. 949 सोलर पंप स्थापित किया गया.
हेल्थ के क्षेत्र में मिली उपलब्धियां
2005 में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के लिए 39 रोगी आते थे, अब यह संख्या 11 हजार तक पहुंच गयी. जिला अस्पतालों में 24 घंटे आपात सुविधा, 24 जिला अस्पतालों में ब्लड बैंक की सुविधा. 2005 में शिशु मृत्यु दर 61 से घटकर अब 42 हो गया. मातृ मृत्यु दर 312 से घटकर 208 रह गया है.
2005 में नियमित टीकाकरण 18.6 प्रतिशत था, अब यह बढ़कर 78 प्रतिशत हो गया. यह राष्ट्रीय औसत से अधिक है. 2005 में कुल प्रजनन दर 4.3 प्रतिशत से घटकर 2015 में यह 3.4 प्रतिशत हो गया.
नियोजित शिक्षकों को एक जुलाई से वेतनमान
राज्य के 4.03 लाख प्रशिक्षित-अप्रशिक्षित नियोजित शिक्षकों व पुस्तकालय अध्यक्षों के लिए राज्य सरकार ने वेतनमान की घोषणा कर दी. नियोजित शिक्षकों को एक जुलाई 2015 से ही नया वेतनमान का लाभ दिया जायेगा. इसमें प्रशिक्षित शिक्षकों को 5200-20,200 का वेतनमान, 2000-2400-2800 का ग्रेड पे, 113 प्रतिशत डीए, मेडिकल एलाउंस 200, पांच से 20 प्रतिशत किराया भत्ता भी दिया जायेगा. जबकि अप्रशिक्षित शिक्षकों को ग्रेड पे नहीं मिलेगा. इसके अलावा जिन नियोजित शिक्षकों की सेवा छह साल व उससे ज्यादा हो गयी है उन्हें दो इंक्रिमेंट और जिन शिक्षकों की सेवा दो साल से अधिक हो गयी है उन्हें एक इंक्रिमेंट दिया जायेगा.
नियोजित शिक्षकों को वेतनमान देने के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कुल 12 घोषणाएं भी की. इसमें किसान सलाहकारों और टोला सेवक व शिक्षा स्वयंसेवी के मानदेय में भी वृद्धि करने की मुख्यमंत्री ने घोषणा की. किसान सलाहकार के मानदेय में दो हजार रुपये की वृद्धि की जायेगी, जबकि टोला सेवक व शिक्षा स्वयं सेवी के मानदेय में तीन हजार रुपये की बढ़ोतरी की जायेगी. साथ ही टोला सेवक व शिक्षा स्वयंसेवी की सेवा 60 साल की आयु तक ली जायेगी. वे शिक्षा व सामाजिक उत्थान से संबंधित काम करेंगे.
इसके अलावा राज्य के सभी नियोजित शिक्षक, टोला सेवक, शिक्षा स्वयंसेवी, आशा कार्यकर्ता, ममता, आंगनबाड़ी सेविका, आंगनबाड़ी सहायिका, स्कूल के रोसइया, अनुबंध पर कार्यरत कनीय-सहायक अभियंता, चिकित्सक, किसान सलाहकार, कृषि समन्वयक, डाटा इंट्री ऑपरेटर, कार्यपालक सहायक, आइटी मैनेजर की सेवा अवधि के दौरान मृत्यु होने पर उनके नजदीकी आश्रित को चार लाख रुपये अनुग्रह अनुदान की राशि दी जायेगी.
लोक शिकायत निवारण के लिए मानसून सत्र में बनेगा कानून
मुख्यमंत्री ने राज्य के नागरिकों को लोक शिकायतों के निवारण के लिए कानून बनाने की भी घोषणा की. उन्होंने कहा कि राज्य के नागरिकों को वे अधिकार संपन्न बनाना चाहते हैं. इसके लिए एक विधयेक आगामी विधानमंडल सत्र में लाने जा रहे हैं. इससे जनता को लोक शिकायतों के निवारण में कानूनी अधिकार प्राप्त होगा. मुख्यमंत्री ने पत्रकार पेंशन योजना एक अगस्त 2015 से लागू करने की भी घोषणा की. साथ ही स्वास्थ्य सेवा, आयुष, चिकित्सा शिक्षा सेवा के चिकित्सकों की सेवा निवृत्ति की उम्र सीमा भी 65 साल से बढ़ा कर 67 साल की जायेगी.