वहां की खेतों में एक हेक्टेयर में चार टन, जबकि बिहार की खेतों में मात्र एक टन अनाज का उत्पादन हो रहा है. बिहार को अनाज उत्पादन और कृषि क्षेत्र में अव्वल बनाने के लिए हर खेत को पानी पहुंचाना होगा. उक्त बातें रविवार को केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कही. वे एसके मेमोरियल हॉल में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के स्थापना दिवस समारोह में समापन भाषण कर रहे थे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले वर्ष भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के स्थापना दिवस समारोह में ही अपना मार्ग दर्शन दिया था. उनके ‘लैब-टू- लैंड’ कार्यक्रम के तहत कृषि को उन्नत बनाने के लिए कई मोरचों पर काम हो रहे हैं.
इसका लाभ भी मिला है. तेलहन और दलहन की खेती का रफ्तार बढ़ी है. केंद्र सरकार ने कृषि विज्ञान केंद्रों के संचालन के लिए 3900 करोड़ की स्वीकृति दी है. बिहार में पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर और गया में भी केंद्र सरकार ने कृषि विज्ञान केंद्र खोलने की स्वीकृति दी है. समापन समारोह में उन्होंने आठ लोगों को केवीके अवार्ड से सम्मानित भी किया. इस मौके पर उन्होंने अखिल भारतीय कृषि छात्र संघ का बेबसाइट भी लांच किया. समापन समारोह में केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री डॉ संजीव कुमार बलियान, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष डॉ एस अयप्पण, उपाध्यक्ष आ. राजगोपाल, डॉ एके सिंह और डॉ अनुपम मिश्र आदि भी उपस्थित थे.