पटना: हाइकोर्ट ने राज्य सरकार को सहकारी समितियों की गतिविधियों की जांच के लिए दो अलग-अलग टीम गठित करने का आदेश दिया है. इतना ही नहीं सहकारी समितियों के अधीन बने और निर्माणाधीन बिल्डिंग के विवादों के निबटारे के लिए बिल्डिंग ट्रिब्यूनल के गठन का भी आदेश दिया. कोर्ट ने इस संबंध में की गयी कार्रवाई के संबंध में अद्यतन रिपोर्ट 19 नवंबर को दाखिल करने के लिए कहा है.
बुधवार को न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा व विकास जैन के खंडपीठ ने एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान उक्त निर्देश दिये.खंडपीठ ने सहकारिता विभाग के रजिस्ट्रार को निर्देश दिया कि सहकारी समितियों के सभी प्लॉट की जांच कराएं.
रिपोर्ट नगर निगम को सौंपे, ताकि कार्रवाई हो सके. टीम में एक टेक्निकल अफसर भी रखें. खंडपीठ ने राज्य सरकार के अधिकारियों से पूर्व में पूछा था कि आदेश के बाद भी कार्रवाई क्यों नहीं हुई. विभाग के रजिस्ट्रार ने बताया कि समितियों की जांच के लिए बोर्ड का गठन किया जा चुका है. खंडपीठ ने नगर विकास विभाग के सचिव को 15 दिनों में बिल्डिंग ट्रिब्यूनल के गठन का निर्देश दिया है. नगर विकास सचिव ने खंडपीठ को बताया कि बिल्डिंग ट्रिब्यूनल के सदस्य के नाम की स्वीकृति मिल गयी है. शेष सदस्यों को नामित करने की कार्रवाई हो रही है. खंडपीठ ने कहा कि जो गलत तरीके से मकान बने हैं, उनसे नक्शा मांगे.
अगर देने में आनाकानी करे तो पटना नगर निगम की सहायता लें और निगम को रिपोर्ट दें. याचिकाकर्ता नरेंद्र मिश्र ने लोकहित याचिका दाखिल कर 20 फीट सड़क नहीं होने पर भी मल्टी स्टोरेज बिल्डिंग बनाये जाने को लेकर आपत्ति दर्ज करायी है. सुनवाई 19 नवंबर को होगी.