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ग्रामीण चिकित्सकों का प्रशिक्षण पांच सितंबर से

पटना. ग्रामीण व दूरस्थ क्षेत्र में काम कर रहे ग्रामीण डॉक्टर (कम्युनिटी हेल्थ वर्कर) का प्रशिक्षण पांच सितंबर से शुरू होगा. 16 जुलाई को इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग द्वारा विज्ञापन जारी किये जाने की संभावना है. ग्रामीण क्षेत्रों में काम कर रहे करीब चार लाख ऐसे हेल्थ वर्कर हैं, जिन्हें प्रशिक्षण दिया जायेगा. ये […]

पटना. ग्रामीण व दूरस्थ क्षेत्र में काम कर रहे ग्रामीण डॉक्टर (कम्युनिटी हेल्थ वर्कर) का प्रशिक्षण पांच सितंबर से शुरू होगा. 16 जुलाई को इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग द्वारा विज्ञापन जारी किये जाने की संभावना है. ग्रामीण क्षेत्रों में काम कर रहे करीब चार लाख ऐसे हेल्थ वर्कर हैं, जिन्हें प्रशिक्षण दिया जायेगा. ये वहीं लोग हैं, जो पुश्तैनी हकीम, वैद्य, चिकित्सकों के साथ जुड़ कर अनुभव प्राप्त करनेवाले कार्यकर्ता हैं. ये लोग प्राथमिक उपचार व परामर्श आदि में सक्रिय हैं. ये ग्रामीण क्षेत्रों में इलाज भी कर रहे हैं. इन्हें राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयीय संस्थान (एनओआइएस) द्वारा तैयार पाठ्यक्रम के आधार पर प्रशिक्षण दिया जायेगा. ऐसा प्रशिक्षण केरल में दिया गया है. बिहार में पहली बार बड़े पैमाने पर इसे शुरू किया जा रहा है.
प्रशिक्षण देने के लिए सरकार की ओर से गठित राज्य परामर्शदातृ समिति के सदस्य डॉ (कैप्टन) विजय शंकर सिंह ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र के वैसे हेल्थ वर्करों का चयन किया जायेगा, जिसकी योग्यता 10वीं पास हो. इनको एक साल का प्रशिक्षण जिला अस्पताल, 149 प्रथम रेफरल अस्पताल और 533 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में दिया जायेगा. उन्होंने बताया कि ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को साल में 300 घंटे प्रशिक्षण का कोर्स डिजाइन किया गया है.

इन चिकित्सकों को शरीर रचना विज्ञान और शरीर क्रिया विज्ञान के अलावा स्वच्छता व पोषण (न्यूट्रीशन) से संबंधित प्रशिक्षण दिया जायेगा. इससे सरकार को दोहरा लाभ मिलेगा. पहली, प्रशिक्षण के बाद स्वास्थ्य कार्यकर्ता ग्रामीण क्षेत्र में मरीजों को सही मार्गदर्शन दे सकेंगे. बुखार, डायरिया और दस्त आदि में साधारण दवा देने के साथ अपने नजदीक के अस्पताल में रेफर कर सकेंगे. जानकारी मिलने के बाद ऐसे लोग गलत दवाओं के कुप्रभाव को समझते हुए उसका प्रयोग नहीं करेंगे. साथ ही सरकार के पास ऐसे चिकित्सकों की पूरी सूची उपलब्ध हो जायेगी, जिससे कि यह जानकारी होगी कि किस क्षेत्र में कौन व्यक्ति काम कर रहा है. अगर किसी मरीज की गलत इलाज से मौत होती है, तो पहचान करने में आसानी होगी. साथ ही सरकार द्वारा चलाये जा रहे स्वास्थ्य अभियान में इन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का सहयोग भी लिया जा सकता है.

डा सिंह ने बताया कि इन चिकित्सकों द्वारा न तो क्लिनिक खोल कर इलाज किया जायेगा और नहीं वे शहर में जाकर इलाज कर सकते हैं. इन चिकित्सकों को परीक्षा देने के बाद ही प्रमाणपत्र दिया जायेगा. नामांकन व कोर्स मैटेरियल के लिए हेल्थ वर्कर से पांच हजार रुपये शुल्क लिया जायेगा. नामांकन के बाद ऐसे कार्यकर्ताओं को शैक्षणिक सामग्री, पाठ्यपुस्तक, ऑडियो-वीडियो कार्यक्रम, परिचय पत्र, प्रवेश पत्र आदि उपलब्ध कराये जायेंगे. आइएम के पूर्व वरीय राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ सिंह ने बताया कि ग्रामीण हेल्थ वर्करों के प्रशिक्षण को लेकर मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से अभी तक कोई आपत्ति नहीं आयी है.

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