पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने व्यापमं घोटाले पर केंद्र सरकार को घेरा है. सोमवार को पटना में उन्होंने कहा कि व्यापमं घोटाले की गहन जांच होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि कोई भी स्वतंत्र एजेंसी इस पूरे मामले की जांच करे. यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट को भी इसकी मॉनीटरिंग करने की उन्होंने सलाह दी. मुख्यमंत्री ने कहा कि व्यापमं घोटाले को लेकर हो रही मौत पर देश में संशय की स्थिति बरकरार है. यह आश्चर्य होता है कि किसलिए यह घटना घट रही है.
इक्का-दुक्का मौत होती, तो लोग संयोग मान लेते, लेकिन लगातार मौत हो रही है. यह विचित्र घटना है और इससे संशय का वातावरण बनता जा रहा है. सरकार का काम है कि लोगों के इस संशय को दूर करे. इसकी गंभीरता से जांच होनी चाहिए. सीबीआइ जांच के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि कोई एक एजेंसी जांच कर ले तो क्या होगा? जो लोग सत्ता में हैं उन्हें इस पर सोचना चाहिए कि वे कैसे इस संशय की दूर करेंगे.
भाजपा से घनघोर जातिवादी कोई नहीं : नीतीश
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार से जाति आधारित जनगणना की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि कास्ट सेंसस में जो कुछ भी सामाजिक और आर्थिक आंकड़े आये हैं, उन्हें सार्वजनिक किया जाना चाहिए. 1931 में पहली बार जाति जनगणना हुई थी, उसके बाद अभी हुई है. जाति आधारित जानकारी होगी, तो उस जाति विशेष के विकास के लिए काम किया जायेगा. यह समझ से परे है कि केंद्र की सरकार ने इस रिपोर्ट को अपने तक रोके रखा है, रोल बैक कर रहे हैं, रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं कर रही है. नीतीश कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार कमजोर लोगों का विकास नहीं करना चाहती है. रात-दिन वे जातिवादी सम्मेलन कर रहे हैं. लोकसभा चुनाव के समय प्रधानमंत्री उम्मीदवार को किस-किस जाति का प्रत्याशी बनाया गया है. रात-दिन वे जात-पांत, मजहब पर राजनीति करते हैं, पिछड़ा-अतिपिछड़ा करते हैं.
जब जदयू ने बिहार में मुख्यमंत्री (जीतन राम मांझी) बनाया और उन्हें हटाया गया, तो भाजपा ने जात-पांत करना शुरू कर दिया. हमने को किसी जात का समझ कर नहीं बनाया था. भाजपा से घनघोर जातिवादी पार्टी कोई नहीं है. उनका कमिटमेंट और दिलचस्पी गरीबों, पिछड़ों तबकों के प्रति नहीं है. वे वोट लेने के लिए जात-पांत की बात करते हैं. वोट लेने के लिए पिछड़ा-अतिपिछड़ा बन जाते हैं. मंडल से लेकर कमंडल तक की बात करते हैं. उन्होंने कहा कि जातिगत आधारित जनगणना की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं करने से भाजपा एक्सपोज्ड हो गयी है और उनका परदाफाश हो गया है. जातिगत आधार पर कमजोर लोगों के सामाजिक-आर्थिक स्थिति के उत्थान के लिए केंद्र को ठोस योजना बनानी चाहिए. केंद्र ने इन लोगों के लिए कुछ नहीं किया है. जाति आधारित जनगणना की रिपोर्ट सार्वजनिक करना पूरे देश का मुद्दा है.
शिवसेना-भाजपा की विचारधारा ही है ऐसी
शिवसेना की ओर से आये बयान ‘2003-11 में मुसलिमों की जनसंख्या बहुत बढ़ गयी है, परिवार नियोजन लागू किया जाये’ पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एतराज जताया है, उन्होंने कहा कि उनकी विचारधारा ही ऐसी है. शिवसेना और भाजपा की विचारधारा है कि समाज को विभाजित कर शासन करो. लोगों को मजहब, जाति व धर्म के आधार पर लोगों को बांटना उनका उद्देश्य है. देश में लोगों ने उन्हें वोट दे दिया और सरकार बन गयी, अब लोग खामियाजा भुगत रहे हैं. पूरे देश में ऐसा ही वातावरण है. मुख्यमंत्री ने कहा कि आज जिन लोगों के हाथ में देश की सत्ता आ गयी है, उन्होंने देश की आजादी में हिस्सा नहीं लिया था. भाजपा के मुख्य संगठन का आजादी में कोई भागीदारी नहीं थी. इसलिए आजादी का जो मूल्य है उसमें उनका कोई विश्वास नहीं है. आजादी की लड़ाई में बहुत लोगों ने बलिदान दिया और बापू के नेतृत्व में आजादी की लड़ाई लड़ी गयी, देश आजाद हुआ. आज वैसे लोग गांधी जी के बारे में टिप्पणी करते हैं, उनकी बात पर प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की जा सकती है.
राजनाथ ने सीबीआइ जांच से किया इनकार
तीन दिन में तीन की मौत के साथ कांग्रेस ने ने मामले की सीबीआइ जांच कराने और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को बरखास्त करने की मांग की है. वहीं, मामले की सीबीआइ जांच पर केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार हाइकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट को निर्देश नहीं दे सकती. मध्य प्रदेश हाइकोर्ट की निगरानी में पहले से ही एसआइटी जांच कर रही है. विपक्ष गैर मुद्दे को मुद्दा बना रहा है. यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है.