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70 फीसदी सरकारी व निजी संस्थानों में अब तक नहीं बना सेक्सुअल ह्रासमेंट सेल

पटना : कार्यस्थलों पर सेक्सुअल ह्रासमेंट को लेकर कानून बने दो साल हो गये हैं, लेकिन इसका पालन नहीं हो पा रहा है. आये दिन महिला थाने या लोकल थानों में ऐसे मामले देखे जाते हैं. इसके तहत कामकाजी महिलाएं यह आरोप लगाती हैं कि उसके साथ ऑफिस के अंदर में गलत व्यवहार किया जाता […]

पटना : कार्यस्थलों पर सेक्सुअल ह्रासमेंट को लेकर कानून बने दो साल हो गये हैं, लेकिन इसका पालन नहीं हो पा रहा है. आये दिन महिला थाने या लोकल थानों में ऐसे मामले देखे जाते हैं. इसके तहत कामकाजी महिलाएं यह आरोप लगाती हैं कि उसके साथ ऑफिस के अंदर में गलत व्यवहार किया जाता है.
वर्क प्लेस पर महिलाओं के लैंगिक उत्पीड़न के विरुद्ध संरक्षण 2013 के रूप में कानून बना. इसे देश भर में लागू किया गया, लेकिन प्रदेश में अब तक 70 फीसदी ऐसे सरकारी और निजी संस्थान हैं, जहां पर यह कानून लागम नहीं हो पाया है. वहीं, निजी संस्थान, सभी जगहों पर कामकाजी महिलाओं के साथ सेक्सुअल ह्रासमेंट की घटनाएं घटती रहती हैं.
हर ऑफिस में होगा विंग
महिलाओं को समानता दिलाने के लिए मूल अधिकार और संविधान के अनुच्छेद 21 में संशोधन कर इस कानून को बनाया गया. इसके तहत महिलाओं की गरिमा बचाने का प्रयास किया गया है. इसमें कहा गया कि किसी भी कारोबार को करने का अधिकार महिलाओं को है.
उन्हें सुरक्षित वातावरण मिले, इसके लिए हर ऑफिस में सेक्सुअल ह्रासमेंट विंग खोलने के लिए कहा गया, लेकिन आज भी अधिकांश ऑफिस में यह विंग नहीं खुल पाया है. वहीं महिला थाने की मानें तो हर माह एक से दो केस इस तरह के आते हैं, जिसमें कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ सेक्सुअल ह्रासमेंट की घटनाएं होती हैं.
दोषी कर्मियों पर 50 हजार का जुर्माना
कोई महिला किसी ऑफिस में काम करते हुए किसी कर्मचारी पर सेक्सुअल ह्रासमेंट का आरोप लगाती है और जांच के बाद अगर आरोप सही पाया जाता है तो दोषी कर्मचारी पर 50 हजार रुपये तक का जुर्माना भी लगाने का प्रावधान हैं. कर्मचारी पर दोष सिद्ध किये जाने पर उसे अपने कारोबार से भी बेदखल किया जा सकता हैं. उसका रजिस्ट्रेशन रद्द किया जा सकता है.
सेक्सुअल ह्रासमेंट के मामले आये दिन हमारे पास आते रहते हैं. पटना में अब भी 70 फीसदी ऐसे सरकारी और निजी संस्थान हैं, जहां पर महिलाओं की सुरक्षा के लिए सेक्सुअल ह्रासमेंट सेल नहीं बनाया गया है. इससे महिलाओं के साथ कोई घटना घटती है, तो मामले आगे नहीं बढ़ पाती है. इस मामले में कानून होते हुए भी उसका पालन नहीं हो पाता है. लोग इस कानून के प्रति अलर्ट हों या डरें, तभी तो इसे रोका जा सकेगा. अब भी इसे लोग हल्के रूप में लेते हैं.
श्रुति सिंह, वकील, पटना हाइकोर्ट
पटना : पीएमसीएच इमरजेंसी में मरीजों के लिए ऑक्सीजन नहीं, वार्ड में निमोलाइजर नहीं, आइसीयू में मॉनीटर खराब और मरीजों के लिए एक साल से दवा व सजिर्कल आइटम नहीं. ऐसे में हर दिन इमरजेंसी में 300 मरीज इलाज के लिए आते हैं, जिनका इलाज सरकारी अस्पताल में निजी खर्च पर किया जाता है. भरती मरीजों को सारा सामान खरीद कर लाना पड़ता है. मरीजों को एक भी दवा अस्पताल से नहीं दी जाती है.
मरीजों की मानें तो डॉक्टर स्पष्ट कहते हैं किबीते तीन सप्ताह में 700 मरीज भरती हुए हैं, जिनमें से 165 का ऑपरेशन होना था, लेकिन दवा के कारण नहीं हो पाया. इन मरीजों को ऑपरेशन के पहले ही कह दिया गया कि ऑपरेशन का हर सामान बाहर से लाना पड़ेगा. ऐसे में गरीब मरीज अधीक्षक व उपाधीक्षक के पास भी पहुंचे, लेकिन उनकी मदद नहीं हो पायी और वह अस्पताल से चले गये.
मेडिकल आइसीयू का अधिकतर मॉनीटर खराब
मेडिकल इमरजेंसी के आइसीयू में भरती मरीजों का पल्स ठीक से चल रहा है या नहीं, इसके लिए बार-बार आला लगाना पड़ता है, क्योंकि अधिकांश मॉनीटर सालों से खराब हैं. इसको लेकर एचओडी ने अस्पताल प्रशासन को कई बार पत्र लिखा है, लेकिन उसे ठीक नहीं किया गया.
हालात ऐसे हैं कि पल्स मापने के लिए बीपी मशीन भी समय पर नहीं मिलती है. आइसीयू में भरती मरीजों का पल्स हर घंटे ही नहीं, हर वक्त देखना होता है, पर यहां के आइसीयू भगवान भरोसे चल रहे हैं.
मरीजों की पीड़ा
पीएमसीएच में दवा नहीं रहने से हमें बाहर से दवाएं लानी पड़ती हैं. बहुत-सी जांच हमने बाहर से करायी है. डॉक्टर साहब से कहते हैं, तो वह कहते हैं कि यहां दवा नहीं है. तुमको इलाज कराना है, तो दवा बाहर से लाना पड़ेगा. वरना चले जाओ.
– राजेश (इमरजेंसी में भरती)
अस्पताल से एक भी दवा नहीं मिल पाती है. बहुत से मरीज दवा नहीं खरीद पाते हैं, तो वह अस्पताल से इलाज कराये बिना भी चले जाते हैं. हमने अब तक पांच हजार की दवा खरीदी है और अब मेरे पास भी पैसा नहीं है.
– सुनील कुमार( हड्डी विभाग)
जिम्मेवार बोल
दवा नहीं रहने से इमरजेंसी में लाइफ सेविंग ड्रग की कमी है. लेकिन जब जरूरत पड़ती है, तो दवाओं की खरीद कर ली जाती है. बीएमएसआइसील को भी दवाओं की सूची भेजी गयी है. बहुत जल्द दवाएं मिल जायेंगी. जहां तक ऑक्सीजन और निमोलाइजर प्वाइंट की बात है, उसे भी ठीक किया जा रहा है. काफी हद तक ठीक भी कर लिया गया है.
– डॉ लखींद्र प्रसाद, पीएमसीएच अधीक्षक
सजिर्कल वार्ड में एक घंटा गायब रही बिजली
पटना. पीएमसीएच आरएसबी के सजिर्कल वार्ड में साढ़े तीन बजे अचानक से बिजली चली गयी. कुछ देर बिजली नहीं आने के बाद मरीजों की परेशानी बढ़ी,तो किसी एक ने परिजन ने अधीक्षक को फोन कर मामले की सूचना दी. इसके बाद जब मालूम किया गया, तो कुछ तकनीकी कारण से बिजली गायब थी और जनरेटर भी नहीं चलाया गया था. इस कारण से भरती मरीजों को परेशानी हो रही थी. अधीक्षक डॉ लखींद्र प्रसाद ने कहा कि लगभग एक घंटे तक बिजली नहीं थी. बाद में उसे सुधार कर लिया गया था. बिजली कटने पर जेनरेटर की व्यवस्था है,लेकिन उसे चलाया नहीं गया था. इस कारण से उसका पैसा काटा जायेगा.
नहीं मिल रहा जननी बाल सुरक्षा योजना का पैसा
पटना : पीएमसीएच के स्त्री विभाग में प्रसव के बाद महिलाओं को जननी बाल सुरक्षा योजना का लाभ नहीं मिल रहा है. पिछले 20 दिनों से पैसा नहीं मिलने से परेशान परिजनों ने गुरुवार को स्त्री विभाग में हंगामा किया और उसके बाद शिकायत करने अधीक्षक के पास पहुंचे. मामला सुनने के बाद अधीक्षक ने लाभुकों को आश्वासन दिया कि सभी को पैसा मिलेगा. अब आप रसीद अपने पास रखे. फिलहाल अभी उस मद में पैसा नहीं है. इस कारण से पैसा नहीं दिया जा रहा है,लेकिन सभी को फंड आने के बाद पैसा मिल जायेगा. जब परिजनों को अधीक्षक का आश्वासन मिला,तो बाद में मामला शांत हुआ.
डेंगू. 12 बेडों का वार्ड बनाया
पटना. पीएमसीएच में डेंगू मरीजों के लिए 12 बेड का एक वार्ड बनाया गया है. वार्ड में छह बेड महिला व छह बेड पुरुष के लिए हैं. इसके अलावा नर्स व डॉक्टर की तैनाती की गयी है. पीएमसी के प्राचार्य डॉ एस.एन.सिन्हा ने कहा कि अब
तक दो मरीजों में डेंगू पॉजिटिव की पुष्टि हुई है. मरीज का स्वास्थ्य ठीक होने के कारण उनका इलाज उनके घर में चल रहा है. गुरुवार को कोई नया डेंगू मरीज नहीं मिला है.

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