पटना: पिछले कुछ सालों में तेजी से आये बाजारवाद और आधुनिकता की आंधी से बिहार जैसे पिछड़े राज्यों में मौजूद टाइप-ए और बी सिटी की चमक भी बढ़ी है. इससे इन शहरों में नये आयकरदाताओं की संख्या भी बढ़ायी है, लेकिन आमदनी के इस बढ़ते अनुपात में आयकर (इनकम टैक्स) देनेवालों की संख्या में बढ़ोतरी नहीं हुई है. इसके मद्देनजर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने बिहार और झारखंड दोनों राज्यों में ऐसे लोगों की तलाश करने की खास मुहिम शुरू की है.
बिहार-झारखंड मिला कर करीब दो लाख नये टैक्स पेयर्स को जोड़ने का लक्ष्य है. इसके तहत धन कमानेवाले वैसे नये ‘रिच पीपुल्स (अमीर)’ को आयकर देनेवाले लोगों की सूची में शामिल किया जायेगा, जो अपनी आमदनी के अनुरूप टैक्स जमा नहीं करते हैं. इन लोगों की तलाश करने के लिए विभाग ने कुछ मापदंड भी तय किये हैं, जिनके आधार पर ऐसे लोगों की आसानी से पहचान की जायेगी. आयकर विभाग ने चालू वित्तीय वर्ष 2015-16 के दौरान बिहार से करीब एक लाख नये आयकरदाताओं (टैक्स अदा करने वाले) को सूची में जोड़ने का लक्ष्य रखा है.
इसी तरह झारखंड से एक लाख के आसपास लोगों को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है. बिहार-झारखंड मिला कर आयकरदाताओं की सूची में दो लाख के आसपास नये लोगों को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है. इससे टैक्स देनेवालों की तादाद और आयकर संग्रह में 15-20 प्रतिशत की बढ़ोतरी होने का अनुमान लगाया जा रहा है.
इन पर रहेगा खासतौर से फोकस
नये आयकरदाताओं की तलाश करने के लिए आयकर विभाग ने कुछ मानक या फोकस प्वाइंट तैयार किये हैं. इसके आधार पर लोगों को छांटा जायेगा या कहे इन लोगों की खासतौर से स्कैनिंग की जायेगी. छांटे गये ऐसे लोगों से पहले टैक्स जमा करने की अपील की जायेगी, नहीं मानने पर कार्रवाई होगी. बिहार-झारखंड में मौजूद टाइप-ए और बी तरह के शहरों में इनकम टैक्स विभाग खासतौर से तलाश करेगा. इन लोगों पर खासतौर से फोकस किया जायेगा.