इसे अभी से ही देखें. यहां अभी निर्माण शुरू करेंगे, तो उसे पूरा होने में एक-डेढ़ साल का समय लगेगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि ट्रैफिक अनुशासन का पालन करना आवश्यक है. गांधी सेतु की हालत लोगों को पता है कि उसकी हालत ठीक नहीं है. बावजूद इसके मंजिल पर जल्द पहुंचने के लिए लोग ओवर टेक करते हैं और उसी में जाम लग जाता है. दानापुर कैंट रोड में तो कोई ओवर टेक नहीं करता है. वहां तो आराम से कतार में वाहन चलते हैं, बाकी जगहों पर ओवरटेक क्यों करते हैं? ट्रैफिक अनुशासन को हमें अपने स्वभाव व आदतों में शुमार करना चाहिए. मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें अगर उत्तर बिहार में किसी कार्यक्रम में शामिल होने के लिए गांधी सेतु से गुजरना पड़ता है तो यह देख कर परेशानी होती है कि लोगों को रोक दिया जाता है. यहां तक कि शहर में भी वीआइपी मूवमेंट होता है तो जिस दिशा में वीआइपी को जाना है उसी दिशा में जानेवाली गाड़ियों को भी रोका जाता है. इससे सड़क पर जाम की स्थिति हो जाती है.
वीआइपी मूवमेंट को सुगम बनाने के लिए ट्रैफिक जाम हो जाता है. यह देख कर उन्हें काफी बुरा लगता है. स्थापना दिवस समारोह में मुख्यमंत्री ने कॉफी टेबुल बुक और निगम की प्रगति प्रतिवेदन का अनावरण किया. साथ ही उत्कृष्ट सेवा, समय से काम पूरा करने वाली कंस्ट्रक्शन कंपनी समेत ट्रैफिक व्यवस्था देखने वाले अधिकारियों को सम्मानित भी किया. समारोह में विधायक इजहार अहमद, पथ निर्माण विभाग के प्रधान सचिव अरुण कुमार सिंह, पुल निर्माण विभाग के अध्यक्ष विनय कुमार, प्रबंध निदेशक रविशंकर प्रसाद सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डी. एस. गंगवार, सचिव चंचल कुमार, अतीश चंद्रा समेत अन्य मौजूद थे. मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार राज्य पुल निर्माण लिमिटेड दूसरे राज्यों के प्रोजेक्ट पर काम करे, इसके लिए बिजनेस डेवलपमेंट सेल का गठन किया गया है. इसमें निदेशक की बहाली की प्रक्रिया चल रही है. सीएम ने कहा कि डेग-डेग पर पुल का निर्माण नहीं होना चाहिए. बड़ी नदियों को जगह-जगह बांधने की कोशिश नहीं की जानी चाहिए. इससे पैसे को खर्च होंगे ही प्रकृति के साथ यह छेड़छाड़ होगा. आज जहां पुल बन रहा है उसके 20-25 किमी के बाद के लोग प्ले कार्ड लेकर खड़े हो जाते और पुल निर्माण की मांग करते हैं. यह सही नहीं है.