आइएमइआइ नंबर से पुलिस ने किया ट्रेस
पटना : मनीष ने यदि हत्या के बाद नागेंद्र का मोबाइल फोन नहीं चुराया होता, तो शायद पुलिस अपराधियों तक पहुंच नहीं पाती. अशोक से पूछताछ व उसके घटना में हाथ होने से इनकार करने के बाद पुलिस करीब–करीब हार चुकी है.
आखिर में उसने नागेंद्र के मोबाइल फोन के आइएमइआइ नंबर को ट्रेस करना शुरू किया, जिसका लोकेशन दिघवारा, छपरा में मिला.
शनिवार की रात सिटी एसपी जयंत कांत के नेतृत्व में सदर डीएसपी मुत्तफीक अहमद, कंकड़बाग थानाध्यक्ष अरुण कुमार गुप्ता की टीम दिघवारा की ओर निकल गयी और घेराबंदी कर मनीष कुमार को पकड़ लिया. उसके पास से नागेंद्र का मोबाइल फोन भी बरामद कर लिया गया.
मनीष से जब पूछताछ की गयी, तो उसने सारी हकीकत बयां कर दी. जिस समय हत्या हुई थी, वह भी मौके पर मौजूद था. हत्या के बाद शव को गंगा में प्रवाहित करने के बाद सभी वापस लौट गये. इस बीच मनीष ने चालाकी से नागेंद्र का मोबाइल फोन अपने पास रख लिया.
उसमें लगा सिम कार्ड हटा कर नया सिम कार्ड लगा लिया. इसके बाद मनीष दिघवारा चल गया. यही उसकी गिरफ्तारी का आधार बना. उसने पुलिस को बताया कि अशोक कुमार ने ही हत्या करने के लिए ललन तिवारी व अजय यादव को दो लाख रुपये दिये थे. सुनियोजित साजिश के तहत नागेंद्र प्रसाद को बुलाया और गंगा किनारे ले जाकर हत्या करने के बाद शव को फेंक दिया गया.
पांचवें नंबर पर था
नागेंद्र अपने भाइयों में पांचवें नंबर पर था. उसके ऊपर बड़े भाई धीरेंद्र प्रसाद, सुरेंद्र गुप्ता, सुरेश गुप्ता, व्यास गुप्ता हैं, जबकि उसका छोटा भाई जीतेंद्र गुप्ता है. जीतेंद्र के अनुसार उनके पिता स्व जगन्नाथ गुप्ता की मृत्यु उस समय हुई थी, जब नागेंद्र मात्र तीन साल के थे और वे छह माह के. उनकी मां रमा देवी की मृत्यु भी कुछ साल बाद हो गयी थी.