इसके अलावा आइजीआइएमएस में मरीज के बेड पर की चादर पिछले तीन दिनों से नहीं बदली जा रही है तो इनकम टैक्स स्थित गार्डिनर अस्पताल में बैंगनी रंग की चादर नहीं होने से हर दिन सात रंगों के बिछाये जानेवाले नियम टूटते नजर आ रहे हैं, जबकि धुलाई के नाम पर लाखों रुपये खर्च किये जा रहे हैं.
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अव्यवस्था. शहर के अधिकतर सरकारी अस्पतालों की स्थिति खराब, चादर भी लाते हैं अपने घर से
पटना: सरकार भले ही सरकारी अस्पतालों में भरती मरीजों को सप्ताह में सात रंगों की चादर देने की घोषणा की हो, लेकिन राजधानी के सभी सरकारी अस्पतालों में आज भी ‘नंगे बेड’ पर इलाज कराने को मरीज मजबूर हैं. खासकर यह स्थिति पीएमसीएच में अधिक देखने को मिल रही है. प्रभात खबर टीम ने जब […]
पटना: सरकार भले ही सरकारी अस्पतालों में भरती मरीजों को सप्ताह में सात रंगों की चादर देने की घोषणा की हो, लेकिन राजधानी के सभी सरकारी अस्पतालों में आज भी ‘नंगे बेड’ पर इलाज कराने को मरीज मजबूर हैं. खासकर यह स्थिति पीएमसीएच में अधिक देखने को मिल रही है. प्रभात खबर टीम ने जब अस्पताल के प्रसूति वार्ड, इमरजेंसी वार्ड का मुआयना किया तो स्थिति सामने आयी. स्थिति यह है कि जहां बेड फटे हुए हैं, वहीं बेडशीट व तकिया भी नहीं दिया जा रहा है.
मरीज अपने घर से लाते हैं चादर
पीएमसीएच में भरती होने आये मरीज अपने घर से चादर और तकिया लेकर आ रहे हैं. इस बात का खुलासा तब हुआ, जब पीएमसीएच प्रसूति वार्ड के टीवी व चेस्ट वार्ड की पड़ताल की गयी. एक नंबर वार्ड में इलाज करा रहे जहानाबाद के बीबीपुर गांव के राम विनय यादव ने बताया कि वह अपने घर से चादर व तकिया लेकर आये हैं. उन्होंने बताया कि चादर तो दी गयी लेकिन वह काफी गंदी थी. यादव का ब्रेन हेमरेज का इलाज चल रहा है. वहीं खगड़िया से आये मो. अब्बास का कहना है कि वह 15 दिनों से भरती थे, इतने दिन के बीच में महज तीन बार ही उनकी चादर बदली गयी है. कोई विकल्प नहीं होने के चलते वह भी अपने घर का सामान प्रयोग कर रहे हैं.
आइजीआइएमएस व गार्डिनर की भी स्थिति ठीक नहीं
इंदिरा गांधी अस्पताल यानी आइजीआइएमएस में पिछले तीन दिनों से मरीज के बेड पर की चादर नहीं बदली जा रही है. तीन दिन पहले बिछायी गयी चादर पर ही मरीज सोमवार को भी सोये थे. इतना ही नहीं, कुछ बेडों पर से चादर भी गायब थी. मरीजों का कहना है कि जब वह चादर व तकिया की मांग करते हैं तो अस्पताल प्रशासन कम होने का हवाला देते हैं. यही स्थिति गार्डिनर हॉस्पिटल की भी है. वहां डॉक्टरों का कहना है कि बैंगनी रंग की चादर कम होने से सात रंगों के बनाये गये नियम का पालन नहीं हो पा रहा है.
कहां कितनी चादर, तकिया की है कमी
अस्पताल बेड चादर/तकिया चादर/तकिया की कमी
पीएमसीएच 1657 2000 5000
आइजीआइएमएस 550 1200 3000
गार्डिनर अस्पताल 6 80 नहीं
धुलाई पर 25 लाख रुपये होते हैं खर्च
पीएमसीएच में मरीजों की चादर की धुलाई का सालाना खर्च 25 लाख रुपये है. इस बात का खुलासा पीएमसीएच के लोक सूचना पदाधिकारी के आरटीआइ के तहत दिये गये जवाब से हुआ. हालांकि इसमें अस्पताल में कार्यरत डॉक्टरों के कमरों में लगे परदे और चादर को भी जोड़ा गया है. पिछले साल बिहार सूचना का अधिकार मंच की ओर से मांगी गयी जानकारी में ये बातें सामने आयी थीं.
कम हैं बेड व चादर
अस्पताल में हर दिन बेड व चादर बदले जाते हैं. राजधानी के
सबसे बड़े अस्पताल व मरीजों की बढ़ती संख्या से बेड व चादर कम हैं. इसकी वजह से यह परेशानी
सामने आ रही है. बहुत जल्द यह समस्या खत्म हो जायेगी, क्योंकि अस्पताल में बेड के साथ चादर और तकियों की संख्या भी बढ़ायी जा रही है.
लखींद्र प्रसाद, अस्पताल अधीक्षक, पीएमसीएच
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