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पैकेज नहीं, चुनावी जुमला फेंक रहा केंद्र: नीतीश

पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार की उपेक्षा पर केंद्र सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने कहा है कि केंद्र बिहार को कोई स्पेशल पैकेज नहीं देना चाहता, बल्कि वह चुनावी पैकेजिंग कर रहा है. राजनैतिक माइलेज लेने के लिए यह हथकंडा अपनाया जा रहा है. भाजपा इस तरह की बातों को चुनावी शिगूफा बना […]

पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार की उपेक्षा पर केंद्र सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने कहा है कि केंद्र बिहार को कोई स्पेशल पैकेज नहीं देना चाहता, बल्कि वह चुनावी पैकेजिंग कर रहा है. राजनैतिक माइलेज लेने के लिए यह हथकंडा अपनाया जा रहा है. भाजपा इस तरह की बातों को चुनावी शिगूफा बना कर पेश करने की तैयारी में है.

चुनाव के बाद इसे जुमला कह कर वह निकल जायेगी. भाजपा पर कटाक्ष करते हुए कहा कि काठ की हांड़ी दोबारा आग पर नहीं चढ़ती. लोग भाजपा के भ्रमजाल में फंसने वाले नहीं हैं. अगर केंद्र को कुछ करना है, तो स्पष्ट बताये कि क्या कर रही है. पटना-बक्सर फोर लेन, गांधी सेतु के निर्माण समेत अन्य जरूरी प्रोजेक्ट के लिए कब पैसे दे रही है. राज्य को हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई करने के लिए क्या ठोस कदम उठा रही है.

उन्होंने कहा कि केंद्र सही में बिहार को 1.50 लाख करोड़ का स्पेशल पैकेज देने की चिंता है, तो केंद्रीय वित्त मंत्री इसकी बैठक में बिहार सरकार के किसी प्रतिनिधि को क्यों नहीं बुलाते हैं. भाजपा नेता को बुला कर बैठक कर लेते हैं. क्या भाजपा नेता राज्य में निर्णय लेने की स्थिति में हैं, जो उन्हें बुलाया जाता है. उन्होंने केंद्र पर प्रहार करते हुए कहा कि क्या केंद्र सरकार का ‘लोकस स्टैंडी’ यही है. क्या को-ऑपरेटिव फेडरलिज्म (सहयोगी संघवाद) की बात करने वाली सरकार की यही हकीकत है. सरकार साथ नहीं, बल्कि पार्टी के साथ बैठ कर राज्य से जुड़े मुद्दों की चर्चा करना. बैठक के बाद इसकी जानकारी भी भाजपा के नेता ही देते हैं. ये सारे प्रयास राजनीतिक फायदा लेने के लिए किये जा रहे हैं. सीएम ने कहा कि 14वें वित्त आयोग से बिहार को जो 12 हजार करोड़ रुपये का सालाना नुकसान हुआ है, इसकी भरपाई करने के लिए उन्होंने स्वयं पीएम से मिल कर ज्ञापन सौंपा था. राज्य के मुख्य सचिव ने कई बार इसके लिए नीति आयोग के सामने मांग रखी है. परंतु अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला है. बिहार को विशेष पैकेज और दर्जा देने के लिए केंद्र क्या कर रहा है, इसका स्पष्ट उत्तर दे. आंध्र प्रदेश की तर्ज बिहार को विशेष पैकेज देने की घोषणा आज तक पूरी नहीं हुई है.
जदयू से गंठबंधन संभव : लालू : विधानसभा चुनाव के पहले जदयू और राजद के बीच गंठबंधन को लेकर दिल्ली में एक बार फिर जनता परिवार के नेताओं का जुटान होगा. लालू ने कहा कि जदयू के साथ गंठबंधन संभव है. लालू प्रसाद अगले दो से तीन दिनों में दिल्ली जायेंगे. वहां एक बार फिर गंठबंधन को लेकर जदयू नेताओं से बातचीत होगी. लालू ने गुरुवार को कहा कि जदयू के साथ गंठबंधन संभव है. विलय को लेकर कई तकनीकी पेंच हैं, इसमें अभी देरी होगी. अररिया रवाना होने के पहले राजद प्रमुख ने कहा कि भाजपा को रोकने के लिए यह जरू री है. भाजपा वोट में जब-जब कमजोर पड़ती है, हिंदू कार्ड खेलने लगती है. उन्होंने कहा कि बिहार में भाजपा को रोकना जरूरी है. इसके लिए वह सेकुलर ताकतों के साथ तालमेल को तैयार हैं. उन्होंने कहा कि बिहार में यदि भाजपा को रोका नहीं गया तो वह बंगाल में घुसेगी और इसके बाद पूरे पूर्वाेत्तर राज्यों को तबाह कर देगी.
राजद, जदयू, कांग्रेस मिल कर लड़ेंगे चुनाव : बिहार में अहम चुनाव से पहले जदयू और राजद के बीच गंठजोड़ पर जदयू अध्यक्ष शरद यादव ने गुरुवार को फिर जोर दिया कि दोनों दल राज्य में विधानसभा चुनाव कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ेंगे और भाजपा को चुनौती देंगे. शरद ने गंठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर नीतीश को पेश करने के विषय पर दोनों दलों में वाकयुद्ध पर भी कोई टिप्पणी करने से इनकार किया. शरद ने सहरसा से फोन पर कहा, ‘एकजुटता तय है, क्योंकि यह वक्त की जरूरत है. कांग्रेस, राजद, जदयू, एनसीपी और अन्य मिलकर चुनाव लड़ेंगे.’ यह पूछे जाने पर कि कब तक गंठबंधन को अंतिम रूप दिया जा सकता है, उन्होंने कहा, ‘मैं कोई तारीख नहीं दे सकता, लेकिन एकता होगी.’जदयू अध्यक्ष की यह टिप्पणी ऐसे समय में आयी है, जब एक दिन पहले ही राजद प्रमुख लालू प्रसाद के दूत भोला यादव और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच बैठक हुई है. नीतीश पार्टी विधायकों और सांसदों से इस विषय पर जारी गतिरोध के बारे में उनकी राय ले रहे हैं. लालू प्रसाद ने बुधवार को पटना में कहा था कि वह सांप्रदायिक ताकतों से लड़ने को प्रतिबद्ध हैं.
भाजपा नहीं चाहती लालू-नीतीश गंठबंधन
अटकलें हैं कि भाजपा नहीं चाहती कि लालू, नीतीश के साथ गंठबंधन करें. ऐसी भी अटकलें हैं कि गंठबंधन नहीं होता है, तो जदयू और राजद ने अलग-अलग चुनाव लड़ने के लिए प्लान बी तैयार किया है.

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