राजेश कुमार
पटना : मंत्री जी, जरा इधर भी ध्यान दीजिए. ट्रेन बार-बार डिरेल हो रही है. चलती ट्रेन में कपलिंग टूटने से बोगियों का अलग होना, सिगनल की खराबी, इंजन फेल व रेल पटरी टूटने की घटना सामान्य हो गयी है. इसका सीधा असर पूर्व मध्य रेल रेल मंडल से गुजरने या खुलनेवाली ट्रेनों पर साफ पड़ रहा है. नतीजन ट्रेन या तो लेट हो रही या उसे रद्द करना पड़ रहा है. कुछ तकनीकी खराबी पिछले वित्तीय वर्ष 2013-14 की तुलना में 31 मार्च को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष 2014-15 से अधिक है, तो कुछ में कमी आयी है. संयोग से बुधवार को रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा बिहार दौरे पर रहेंगे. शायद वे इस ओर ध्यान दें. बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पटना जंकशन पर नये रिटायरिंग रूम का उद्घाटन होना है.
दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ी
पूमरे के पांचों रेल मंडल में संरक्षा-सुरक्षा से संबंधित मार्च, 2014 तक 12 घटनाएं हुई थीं. जबकि मार्च 2015 तक आठ फीसदी की वृद्धि हुई है. यह घटनाएं बढ़ कर 19 हुई. इसमें छह पटरी से उतरने, तीन टक्कर व रेलवे लेवल क्रॉसिंग की सात घटनाएं शामिल है.
हुई है बोगी अलग
पूमरे में 72 बार बोगियां अलग हो गयी हैं. 2013-14 में इसकी संख्या 92 थी. चलती ट्रेन में बोगियों के अलग होने की घटना पिछले साल के बराबर 47 बार ही रही. वहीं चलती ट्रेनों में 2014-15 में 64 बार पहिया जाम हुआ. जबकि 2013-14 में 75 बार पहिया जाम हुआ था.
तार टूटने की घटनाएं बढ़ीं
इसी तरह बिजली के तार टूटने की घटना भी पिछले साल से अधिक हुई. पिछले साल 85 स्थानों पर तार (ओवर हेड इलेक्ट्रिक वायर) टूटे, तो इस बार संख्या बढ़ कर 96 तक पहुंच गयी.
सिगनल फेल
हर रोज अकेले 55 सिगनल फेल होरहे हैं. केवल पूमरे में 20,312 सिगनल फेल हो चुके हैं. पिछले वर्ष इसकी संख्या 20,727 थी.
इंजन फेल
डीजल इंजन फेल होने की घटनाएं भी बढ़ी हैं. 174 की तुलना में 228 इंजन फेल हुए हैं, जबकि इलेक्ट्रिकल इंजन में 163 के स्थान पर 156 इंजन फेल हुए हैं.
पटरी में दरार और टूटना
हर दो दिन पर कहीं-न-कहीं पटरी में दरार आये हैं. एक साल में पूमरे में 168 स्थानों पर पटरी में दरार आये. जबकि 2013-14 में 170 स्थानों पर पटरी टूटी थीं. पटरियों का टूटना (वेल्ड फेल्योर) भी लगातार जारी है. पिछले वर्ष 184 की तुलना में इस बार 153 स्थानों पर पटरियां टूटी हैं.