इतनी बड़ी संख्या में प्रमाण-पत्रों और बहाली की संपूर्ण प्रक्रिया की जांच करने के लिए सभी 9 प्रमंडलों के लिए एक-एक टीम बनायी गयी है. निगरानी विभाग प्रमंलडवार टीम का गठन करके इस प्रक्रिया को तय समय में पूरी करने में पूरी तरह से जुटा हुआ है. इस दौरान गलत तरीके से बहाल हुए सभी शिक्षकों की हकीकत सामने लाने की जुगत की जा रही है. निगरानी अपनी जांच के दौरान शिक्षकों के बीएड प्रमाण-पत्रों की प्रमुखता से जांच कर रहा है. इसमें कई शिक्षकों ने ऐसे कॉलेजों या संस्थानों से बीएड की डिग्री प्राप्त कर ली है, जिसकी मान्यता बिहार में नहीं है. इस तरह की गड़बड़ी के सबसे ज्यादा मामले दूसरे राज्यों से डिग्री प्राप्त करने वाले शिक्षकों के साथ है.
इसके अलावा फर्जी तरीके से मार्क शीट तैयार करके पेश करने ने मामले भी काफी सामने आ रहे हैं. इस तरह के मामलों में ज्यादा अंक प्राप्त करने के चक्कर में किसी दूसरे के नाम के मार्क शीट पर अपना नाम लगा कर फोटोकॉपी पेश कर दिया है. ऐसा करने से ज्यादा अंक के आधार पर मेरिट लिस्ट में नाम ऊपर हो जाता है और बहाली की संभावना काफी बढ़ जाती है. इस तरह के मामले भी काफी सामने आ रहे हैं.
फर्जी शिक्षकों की बहाली के मामले में निगरानी बहाली की प्रक्रिया और इसमें नियोजन इकाइयों की भूमिका पर भी जांच की जा रही है. कहीं-कहीं नियोजन इकाइयों ने गलत तरीके से किसी अभ्यर्थी की बहाली कर दी है. इसके लिए गलत मेधा सूची तैयार कर दी गयी थी. ऐसी तमाम पहलुओं को ध्यान में रखते हुए प्राथमिक से लेकर उच्चतर माध्यमिक स्तर तक बहाल हुए सभी शिक्षकों की जांच चल रही है.