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गंगा गयी, समझिए हमारी सभ्यता भी गयी
गंगा की चिंता. अविरलता में न पहुंचे बाधा, नालों का पानी न गिरे, इसका पुख्ता प्रबंध करना होगा : मुख्यमंत्री पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार-झारखंड बंटवारे के बाद बिहार को पर्यावरण प्रदूषण से बचाने के लिए वन क्षेत्र बढ़ाना जरूरी था. बिहार सरकार ने 2017 तक 24 करोड़ पौधे लगाने का […]
गंगा की चिंता. अविरलता में न पहुंचे बाधा, नालों का पानी न गिरे, इसका पुख्ता प्रबंध करना होगा : मुख्यमंत्री
पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार-झारखंड बंटवारे के बाद बिहार को पर्यावरण प्रदूषण से बचाने के लिए वन क्षेत्र बढ़ाना जरूरी था. बिहार सरकार ने 2017 तक 24 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य तय किया है.
अब तक 10 लाख से अधिक पौधे लगे हैं. वन पर्यावरण सुरक्षा को ले कर सिर्फ आम लोग ही नहीं, बल्कि सामाजिक संस्थाएं और सरकारी कर्मचारी भी जागरूक हुए हैं. बिहार में 2017 तक 24 करोड़ पौधारोपण का लक्ष्य हासिल करने में सफलता मिलेगी. वे पटना में 26 करोड़ की लागत से बने वन विभाग के ‘अरण्य भवन’ के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे.
मुख्यमंत्री ने कहा कि वन विभाग का कार्यालय कई हिस्सों में बंटा था. अब वन विभाग का कार्यालय एक ही जगह होगा. वन विभाग के इस नये भवन के माध्यम से हम ‘हरियाली मिशन’ की महात्वाकांक्षी योजना का लक्ष्य हासिल करने में शत-प्रतिशत सफल होंगे.
उन्होंने कहा कि झारखंड बनने के बाद वर्ष 2011-12 में बिहार में वन क्षेत्र महज 9. 79 प्रतिशत ही रह गया था. सरकार ने 2017 तक वन क्षेत्र का विस्तार 15 प्रतिशत करने का लक्ष्य तय किया है. पौधारोपण के लिए जागृति अभियान भी चलाया गया है. उन्होंने स्वीकार किया कि हरियाली-मिशन के तहत पौधे तो लगाये गये, पर उनकी रक्षा नहीं हो पा रही थी.
सरकार ने पौधारोपण व उसकी सुरक्षा को कृषि रोड मैप में शामिल किया. अब-तो सामाजिक संगठन भी पौधारोपण में इंट्रेस्ट लेने लगे हैं. उन्होंने कहा कि मौसम का मिजाज लगातार बदल रहा है. बिहार हर वर्ष बाढ़ की त्रसदी ङोलने को अभिशप्त है, किंतु यहां की मिट्टी में इतनी ताकत है कि यह फिर उठ खड़ा होता रहा है. उन्होंने गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने की लोगों से अपील की. आज गंगा की निर्मलता और अविरलता पर जोर दिया जा रहा है.
आठ-नौ वर्षो में गंगा सिकुड़ रही है. हिमालय से निकलने वाली गंगा बिहार में कहां पहुंच रही है? यह हाल तब है, जब बिहार ही गंगा के जल प्रवाह को बढ़ाता है. हमे गंगा की अविरलता की चिंता करनी होगी. नालों का पानी गंगा में न गिरे, इसका पुख्ता प्रबंध करना होगा. गंगा गयी, तो समङिाए हमारी सभ्यता भी गयी.
समारोह को पर्यावरण वन संस्थान, देहरादून के निदेशक पीपी भोज वैद्य, वन विभाग के सचिव विवेक सिंह, भवन निर्माण विभाग की सचिव अंशुली आर्या और मुख्य वन संरक्षक बीए खान आदि ने भी संबोधित किया. इस मौके पर संजय गांधी जैविक उद्यान के कर्मचारियों ने अपने एक दिन का वेतन मुख्यमंत्री राहत कोष में दान भी दिया.
जहां जमीन मिले, पौधा लगा दीजिए
पटना : हाल ही में आये भूकंप के बाद पर्यावरण संरक्षण को ले कर सरकार कितनी सतर्क हो गयी है, इसकी बानगी मंगलवार को अरण्य भवन के उद्घाटन समारोह में देखने को मिली. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लोगों से अपील कि जहां जमीन मिले, वहां पौधे लगा लीजिए.
वृक्ष काटने की किसी को हिम्मत नहीं होगी. उन्होंने बोधि वृक्ष की चर्चा करते हुए कहा कि उसकी हालत खराब थी. उसकी देखभाल की जिम्मेवारी फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीच्यूट को दी गयी है. मैं तो जहां भी रहां, वहां मैंने शिशु बोधि वृक्ष लगवाये. मैं रोज उसे देखता हूं. इसका प्रभाव देखने को मिल रहा है. उन्होंने मजाक में कहा कि देहरादून के पर्यावरण संरक्षण संस्थान भी इसे ले जा सकते हैं, किंतु इसे संस्थान बेचने का काम नहीं करेगा.
बढ़ा है वन क्षेत्र : शाही
वन पर्यावरण मंत्री पीके शाही ने कहा कि यदि इच्छा शक्ति प्रबल हो, तो लक्ष्य हासिल करना मुश्किल नहीं होता. झारखंड बनने के बाद बिहार में वन क्षेत्र बढ़ाने को ले कर हम चिंतित थे. वन क्षेत्र बढ़ाने के लिए लगातार काम हो रहे हैं.
बेतिया के जंगल में लुप्त हो चुके रक्त चंदन के वृक्षों की संख्या बढ़ी है. कोसी क्षेत्र में बांस की खेती को अधिक-से-अधिक बढ़ावा देने की योजना पर भी काम हो रहा है. यदि यह योजना सफल हुई, तो कोसी क्षेत्र के किसानों की किस्मत बदल जायेगी. आज बिहार का वन क्षेत्र उत्तर प्रदेश से भी अधिक हो गया है.
उन्होंने कहा कि वन क्षेत्र के विकास के साथ-साथ प्रदूषण नियंत्रण के मोरचे पर भी बड़े पैमाने पर काम करने की जरूरत है. राजधानी पटना में वायु-प्रदूषण का स्तर आज खतरनाक स्थिति में पहुंच गया है. ऐसे में प्रदूषण नियंत्रण पर्षद को और सशक्त बनाने की आवश्यक्ता है. वन विकास के लिए योजना विकास विभाग ने एक दिन पहले ही 100 करोड़ की स्वीकृति दी है.
गंगा किनारे वन क्षेत्र पर भी हो काम
मुख्य सचिव अंजनी कु मार सिंह ने कहा कि जब मैं वन विभाग का सचिव था, तब चार कमरों में ही विभाग चलता था. आज एक ही भवन में वन विभाग होगा. उन्होंने कहा कि गंगा के कि नारे वन क्षेत्र लगाने की योजना पर भी काम होना चाहिए. इससे गंगा प्रदूषण कम होगा.
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